ब्रेजिंग वेल्डिंग (Brazing Welding in Hindi)
ऐसी वेल्डिंग विधि, जिसमें कार्यखण्ड धातुओं को उनके गलनांक बिंदु (Melting Point) से काफी कम तापक्रम पर ही सोल्डर या स्पैल्टर को पिघलाकर , जोड़े जाने वाले कार्यखण्डों के बीच मे डाल दिया जाता है और सोल्डर या स्पैल्टर जब ठंडे हो जाते हैं तो कार्यखण्ड को आपस मे जोड़ देते हैं, इस प्रकार वेल्डिंग करने की विधि को ब्रेजिंग वेल्डिंग (Brazing Welding) कहते हैं।
ये भी पढ़े....
कार्यखण्ड को साफ करके कार्यखण्ड धातु की सतहों पर जब सोल्डर या स्पैल्टर (Solder or Spelter) को अपनेग गलनांक बिंदु तापक्रम से अधिक तापक्रम पर पिघलाकर फैलाया जाता है तो ये कार्यखण्ड की ऊपरी सतह के साथ मिलकर एक मिश्रण तैयार करते हैं। इस ऊपरी सतह को इन्टर मैटेलिक कम्पाउन्ड (Inter Metallic Compound) कहा जाता है। यह Filler Matel (Solder or Spelter) , कैपिलरी एक्शन (Capillary Action) के द्वारा जोड़े जाने वाली सतहों के बीच में चली जाती है और ठंडा होने पर कार्यखण्ड धातुओं को जोड़ देती है। अगर Filler Metal के रूप में कोई धातु या मिश्र धातु प्रयोग की जाती है तो उनको 450℃ से अधिक गर्म किया जाता है।
जो धातुएँ फिलर मेटल के रूप में प्रयोग की जाती है उन धातुओ का गलनांक बिंदु कार्यखण्ड धातु की तुलना में कम होता है। तभी वो पिघलकर भी कार्यखण्ड की सतह पर अपना अधिक कोई प्रभाव नही करती है।
हम जानते हैं कि फ्यूजन वैल्डिंग में धातुओं को पिघलाकर आपस में जोड़ा जाता है और सोलिड फेज वेल्डिंग में धातुओं को दबाव देकर उनके अन्दर इन्टरफेस बाण्ड बनावाकर जोड़ा जाता है। दोनों ही विधियों में वैल्डिंग सतह अपना वास्तविक स्वरूप खो बैठती हैं। परन्तु ब्रेजिंग में दोनों कार्यखण्ड सतहों को वास्तविक स्वरूप को सुरक्षित रखते हुए जोड़ना हो तो उन्हें ब्रेजिंग या सोल्डरिंग के द्वारा ही जोड़ा जा सकता है।
ब्रेजिंग वेल्डिंग के लाभ (Advantages of Brazing Welding in Hindi)
A) इस वेल्डिंग से जो कार्यखण्ड बनता है उसमें सहनशीलता अधिक होती है।
B) इस वेल्डिंग में कार्यखण्ड को अधिक ताप देने की आवश्यकता नही होती है।
C) इस वेल्डिंग द्वारा समान और असमान धातुओं को आपस मे जोड़ा जा सकता है।
D) Brazing Welding करने से मूल धातुओं बहुत कम विरूपण होता है।
E) इस वेल्डिंग से कार्यखण्ड धातुएँ अपना वास्तविक स्वरूप बनाये रखती है।
F) Brazing Welding के द्वारा साफ जोड़ तैयार होता है।
G) इस वेल्डिंग में कार्यखण्ड को पिघलाने की आवश्यकता नही पड़ती है।
H) इस वेल्डिंग को बड़े पैमाने पर भी प्रयोग किया जा सकता है।
I) Brazing Welding में Filler Metal के रूप में जो धातु प्रयोग की जाती है उसका गलनांक कम होता है।
ब्रेजिंग वेल्डिंग से हानि (Disadvantages of Brazing Welding in Hindi)
A} इस वेल्डिंग से बनने वाले जोड़ कमजोर होते हैं।
B} इस वेल्डिंग से बने वस्तुओ पर जब अधिक ताप पड़ता है तो ये वेल्ड जोड़ छोड़ने लगते हैं अर्थात कमजोर होने लगते हैं।
C} जब बड़े स्तर पर Brazing Welding का प्रयोग किया जाता है तो कार्यखण्ड को बेहतर तरीके से साफ करना पड़ता है।
D} इस वेल्डिंग का प्रयोग करने से इस बात का नुकसान होता है कि कार्यखण्ड का रंग और फिलर मेटल का रंग अलग अलग होने के कारण उसके सौंदर्य में कमी होती है।
ब्रेजिंग वेल्डिंग के प्रकार (Types of Brazing Welding in Hindi)
1) ब्लो पाइप ब्रेजिंग (Blow Pipe Brazing)
2) रेजिस्टेंस ब्रेजिंग (Resistance Brazing)
3) डीप ब्रेजिंग (Dip Brazing)
4) निर्वात ब्रेजिंग (Vacuum Brazing)
5) भट्टी ब्रेजिंग (Furnace Brazing)
6) टार्च ब्रेजिंग (Torch Brazing)
7) इंडक्शन ब्रेजिंग (Induction Brazing)
1) ब्लो पाइप ब्रेजिंग (Blow Pipe Brazing in Hindi)
इस विधि का प्रयोग स्वर्णकार द्वारा सोने और चांदी के गहनों को जोड़ने के लिए किया जाता है जिस कार्यखण्ड को जोड़ना होता है उसे चारकोल पर रख दिया जाता है और चारकोल के ऊपर कार्यखण्ड को रख दिया जाता है। कार्यखण्ड में जंहा जोड़ होता है उसके ऊपर एक फ्लक्स लगाकर फिलर मेटल का टुकड़ा रख देते हैं और अब एक अग्नि पैदा करने स्रोत से ब्लो पाइप की सहायता से जोड़ पर फूंका जाता है। इससे फिलर मेटल पिघलकर जोड़ में भर जाता है और ठंडा होने पर मजबूत जोड़ बनाता है।
2) रेजिस्टेंस ब्रेजिंग (Resistance Brazing in Hindi)
इस वेल्डिंग को स्पॉट वेल्डिंग और प्रोजेक्शन वेल्डिंग के समान माना जाता है। रेजिस्टेंस ब्रेजिंग में दोनों सतहों के मध्य एक परत के रूप में फिलर मेटल रख दिया जाता है और उसके बाद स्पॉट वेल्डिंग मशीन पर स्पॉट वेल्डिंग किया जाता है। रेजिस्टेंस के कारण ऊपजी ऊष्मा से दोनों कार्यखण्ड गर्म हो जाते हैं। जिसके फलस्वरूप फिलर मेटल पिघलकर कर जोड़ बनाता है।
3) डीप ब्रेजिंग (Dip Brazing in Hindi)
डीप ब्रेजिंग ऐसी वेल्डिंग है, जिसमें कार्यखंड पर फ्लक्स से लगाकर , पिघली हुई फिलर मेटल के टब में डूबा दिया जाता है। जिसके कारण पूरा कार्यखण्ड टब में डूब जाता है और कार्यखण्ड के जोड़े जाने वाले सतह में अच्छी फिलर मेटल घुस जाता है। अब पुनः कार्यखण्ड को बाहर निकाल लिया जाता है और कार्यखंड ठंडा किया जाता है ठंडा होने के बाद डीप ब्रेजिंग के द्वारा एक मजबूत जोड़ का निर्माण होता है।
4) निर्वात ब्रेजिंग (Vacuum Brazing in Hindi)
निर्वात ब्रेजिंग विशेष प्रकार की ब्रेजिंग प्रक्रिया है इस ब्रेजिंग में एक विशेष Furnace होता है इस Furnace में धातु कार्यखण्ड को ऑक्सीकरण से बचाने के लिए वायुमंडल कंट्रोल नहीं किया जाता है, बल्कि इस Furnace में निर्वात को उत्पन्न किया जाता है। जब Furnace में निर्वात उत्पन्न होता है तो निर्वात होने के कारण , धातु कार्यखण्ड ऑक्सीकरण होने से बच जाता है। और फिलर मेटल की सहायता से कार्यखंड को जोड़ दिया जाता है।
5) भट्टी ब्रेजिंग (Furnace Brazing in Hindi)
भट्टी ब्रेजिंग में बड़े-बड़े कार्यखंड को ब्रेजिंग किया जाता है, जिनका भार 1 kg से 1.5kg के बीच में होता है। इस ब्रेजिंग प्रक्रिया में कार्यखंड धातु पर पहले से ही फिलर मेटल का कच्चा माल, जिस स्थान पर जोड़ना होता है वहां पर लगाकर बांध दिया जाता है। इस कार्यखण्ड को ऑक्सीकरण से बचाने के लिए वायुमंडल को कंट्रोल किया जाता है। जबकि निर्वात ब्रेजिंग में वायुमंडल कंट्रोल करने की जगह निर्वात को उत्पन्न किया जाता है।
जब कार्यखंड भट्टी में गरम होने लगता है तो कार्यखंड के गर्म होने के साथ-साथ फिलर मेटल भी गर्म होने लगता है। हम जानते हैं कि फिलर मेटल का गलनांक कम होता है इसी कारण गर्म होने पर फिलर मेटल पिघलकर कार्यखंड के जिस स्थान पर जोड़ लगाना होता है उन क्षेत्रों में घुस जाता है और कैपिलरी एक्शन के द्वारा फैल जाता है। बाद में यही कार्यखंड जब ठंडा होता है तो एक मजबूत जोड़ के रूप में उभरता है। भट्टी ब्रेजिंग में संपूर्ण कार्यखण्ड को गर्म करना पड़ता है इसलिए जब कार्यखण्ड में लगने वाला जोड़ ठंडा हो जाता है तो एक मजबूत जोड़ बनने के साथ-साथ पूरे कार्य खंड में इंटरनल स्ट्रेस (Internal Stress) भी बहुत कम बनता है। जिससे कार्यखंड को और मजबूती प्रदान होती है।
6) टार्च ब्रेजिंग (Torch Brazing in Hindi)
टॉर्च ब्रेजिंग को सबसे अधिक प्रसिद्ध और प्रचलित विधि माना जाता है। इस ब्रेजिंग प्रक्रिया में बनने वाले सभी कार्यखंडो को कारखानों में निर्माण किया जाता है, और उन कार्यखंडो में जब कोई परेशानी आती है तो उन्हें कारखानों में ही मरम्मत किया जाता है।
इस ब्रेजिंग प्रक्रिया में ऊष्मा प्राप्त करने के लिए एक वेल्डिंग टॉर्च होता है। वेल्डिंग टॉर्च के द्वारा ऊष्मा प्राप्त करने के लिए एसिटिलीन गैस और हवा को आपस में मिलाकर ज्वाला के रूप में ऊष्मा प्राप्त किया जाता है।
ऐसी कई अलौह धातुएँ जैसे एलुमिनियम आदि को ब्रेज करने के लिए, ऑक्सी-हाइड्रोजन टॉर्च का प्रयोग किया जाता है। अर्थात अलौह धातु के लिए ऑक्सी-हाइड्रोजन टॉर्च का उपयोग किया जाता है। टॉर्च ब्रेजिंग की प्रक्रिया में सबसे पहले कार्यखंड को गर्म करना चाहिए तथा बाद में फिलर मेटल को कार्यखंड से गर्मी लेकर पिघला लेना चाहिए।
7) इंडक्शन ब्रेजिंग (Induction Brazing in Hindi)
इंडक्शन ब्रेजिंग का प्रयोग वहां पर किया जाता है, जहां पर अधिक उत्पादन करना होता है, कार्यखण्ड को बहुत अधिक तेजी से गर्म करना होता है तथा अपने कार्यखण्ड पार्ट ,अपने आप असेंबली हो सके। ऐसे स्थानों पर ही इंडक्शन ब्रेजिंग का प्रयोग किया जाता है।
ब्रेज करने वाले असेंबली को एक इंडक्शन कॉइल के अंदर रखकर high-frequency का करंट क्वाइल में से गुजारा जाता है इससे इंडक्शन द्वारा असेंबली को ऊर्जा मिलती है। जिससे कारण पूरा कार्यखंड बहुत कम समय में ही गर्म हो जाता है, और इसकी गर्मी से फिलर मेटल पिघलकर , जोड़े जाने वाले छिद्रों में पहुंच जाता है और ठंडा होने पर मजबूत जोड़ बनाता है।
ये भी पढ़े.....
- वेल्डन जोड़ (Welding Joint) किसे कहते हैं?
- वेल्डिंग जोड़ के लाभ और हानि बताइये?
- वेल्डिंग जोड़ (Welding Joint) के प्रकार
- Butt Joint Welding क्या है?
- T-Joint क्या है?
- Lap Joint किसे कहते हैं?
- Corner Joint किसे कहते हैं?
- Edge Joint क्या है?
- फोरहैंड वेल्डिंग (Forehand Welding) किसे कहते हैं?
- बैकहैंड वेल्डिंग (Backhand Welding) किसे कहते हैं?
- वर्टिकल वेल्डिंग (Vertical Welding) क्या है?
- लिण्डे वेल्डिंग (Linde Welding) किसे कहते हैं?
- ब्लॉक वेल्डिंग (Block Welding) किसे कहते हैं?
- ओवरहेड वेल्डिंग (Overhead Welding) किसे कहते हैं?
- लेफ्टवर्ड वेल्डिंग और राइटवर्ड वेल्डिंग में क्या अन्तर है?
- परमाणु हाइड्रोजन वेल्डिंग (Atomic Hydrogen Welding) क्या है?
- मेटल गैस वेल्डिंग (Metal Gas Welding) क्या है?
- Under Water Welding किसे कहते हैं?
- Welding Process का वर्गीकरण कीजिए?
- आर्क वेल्डिंग (Arc Welding) किसे कहते हैं
- स्टड आर्क वेल्डिंग (Stud Arc Welding) क्या है?
- सबमर्ज्ड आर्क वेल्डिंग (Submerged Arc Welding) किसे कहते हैं
- कार्बन आर्क वेल्डिंग (Carbon Arc Welding) किसे कहते हैं?
- मिग वेल्डिंग (MIG Welding) किसे कहते हैं?
- मैग वेल्डिंग (Metal Active Gas or MAG Welding) किसे कहते हैं?
- टंगस्टन इनर्ट गैस वेल्डिंग (Tungsten Inert Gas Welding) किसे कहते हैं?
- टंगस्टन इनर्ट गैस वेल्डिंग और मेटल इनर्ट गैस वेल्डिंग में क्या अंतर है?
- गैस वेल्डिंग (Gas Welding) किसे कहते है
- थर्मिट वेल्डिंग (Thermit Welding) किसे कहते हैं?
- इलेक्ट्रान बीम वेल्डिंग (Electron Beam Welding) किसे कहते हैं?
- इलेक्ट्रो स्लैग वेल्डिंग (Electro Slag Welding) किसे कहते हैं?
- लेजर बीम वेल्डिंग (Laser Beam Welding) किसे कहते हैं?
- प्रतिरोध बट वेल्डिंग (Resistance Butt Welding) किसे कहते हैं?
- स्पॉट वेल्डिंग (Spot Welding) किसे कहते हैं?
- सीम वेल्डिंग (Seam Welding) क्या है?
- प्रोजेक्शन वेल्डिंग (Projection Welding) किसे कहते हैं?
- पर्कुजन वेल्डिंग (Percussion Welding) किसे कहते हैं
- हाई फ्रीक्वेंसी रेजिस्टेंस वेल्डिंग (High Frequency Resistance Welding) किसे कहते हैं?
- प्रतिरोध बट वेल्डिंग और फ्लैश बट वेल्डिंग के बीच क्या अन्तर है?
- Spot Welding और Seam Welding में क्या अंतर है
- अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग (Ultrasonic Welding) किसे कहते हैं?
- विस्फोटक वेल्डिंग (Explosive welding) क्या है?
- फोर्ज वेल्डिंग (Forge Welding) किसे कहते हैं?
- घर्षण वेल्डिंग (Friction Welding) क्या है?
- ब्लो पाइप ब्रेजिंग (Blow Pipe Brazing) क्या है
- भट्टी ब्रेजिंग (Furnace Brazing)
- टॉर्च ब्रेजिंग (Torch Brazing)
- निर्वात ब्रेजिंग (Vacuum Brazing)
- इंडक्शन ब्रेजिंग (Induction Brazing)
- डीप ब्रेजिंग (Dip Brazing)
- रेजिस्टेंस ब्रेजिंग (Resistance Brazing)