अन्डर वाटर वेल्डिंग (Under Water Welding in Hindi) -:
पानी के अंदर जाकर किसी कार्यखण्ड को वेल्डिंग करने की प्रक्रिया को अन्डर वाटर वेल्डिंग (Under Water Welding) कहा जाता है। इसे हाइपरबेरिक वेल्डिंग (Hyperbaric Welding) के नाम से भी जाना जाता है। इस वेल्डिंग को करने के लिए सीधे जल में ही वेल्डिंग करना प्रारम्भ कर देते हैं या वेल्डिंग वाले स्थान पर चैम्बर बनाकर कार्यखण्ड को वेल्ड करते हैं। इस वेल्डिंग के द्वारा पानी के जहाज, पनडुब्बी, समुंद्र में स्थित प्राकृतिक गैस तथा तेल के प्लेटफार्म, समुंद्र में स्थित मिनिरल की खदानों के पुर्जो की वेल्डिंग आदि के कार्यों को जल के अंदर ही जाकर वेल्डिंग किया जाता है। इस वेल्डिंग का प्रयोग हम लोग पानी के अंदर पुर्जो की मरम्मत करने के लिए भी करते हैं।
अन्डर वाटर वेल्डिंग के प्रकार (Types of Under Water Welding) -:
इस वेल्डिंग को दो प्रकार के भागों में बांटा गया है-
1. वेट अन्डर वाटर वेल्डिंग (Wet Under Water Welding)
2. ड्राई अन्डर वाटर वेल्डिंग (Dry Under Water Welding)
1. वेट अन्डर वाटर वेल्डिंग (Wet Under Water Welding) -:
ऐसी वेल्डिंग जिसको पानी के अंदर जाकर खुले वातावरण में कार्यखंड को जोड़ने के लिए किया जाता है उसे वेट अन्डर वाटर वेल्डिंग (Wet Under Water Welding) कहते हैं।
इस वेल्डिंग को पानी के अंदर जाकर, जहां पर चारों ओर पानी रहता है वंही पर कार्यखंड को जोड़ा जाता है। जंहा पर वेल्डिंग होती जाती है और पानी के मौजूद होने के कारण शीतलन भी होता जाता है।
पानी के द्वारा तुरंत शीतलन होने के कारण यह जोड़ भंगुर हो जाते हैं जिसके कारण इसकी गुणवत्ता अच्छी नहीं हो पाती है।
वेट अन्डर वाटर वेल्डिंग के प्रकार (Types of Wet Under Water Welding) -:
इस वेल्डिंग को तीन भागों में बांटा गया है -
१. गैस मेटल आर्क वेल्डिंग
२. अंडर वाटर प्लाज्मा आर्क वेल्डिंग
३. शील्डेड मेटल आर्क वेल्डिंग
१. गैस मेटल आर्क वेल्डिंग -:
इस वेल्डिंग का प्रयोग पानी में भी उसी तरह ही किया जाता है जिस प्रकार खुली हवा में किया जाता है। अन्डर वाटर वेल्डिंग करने के लिए शील्डेड गैस के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड, हीलियम, आर्गन या दोनों का मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। वेल्डिंग करते समय कार्यखण्ड का तुरंत शीतलन न हो इसके लिए एक विशेष प्रकार का Nozzle लगाया जाता है।
२. अन्डर वाटर प्लाज्मा आर्क वेल्डिंग -:
पानी के अंदर इस वेल्डिंग का प्रयोग करते समय वेल्डिंग के लिए आर्गन गैस या वाटर ग्लास का प्रयोग किया जाता है। प्लाज्मा आर्क वेल्डिंग द्वारा प्राप्त किए गए वेल्डिंग जोड़ तन्य और कम कठोरता वाले होते हैं।
३. शील्डेड मेटल आर्क वेल्डिंग -:
पानी के अंदर इस वेल्डिंग को करने के लिए किसी विशेष परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती है। इस वेल्डिंग में प्रयोग होने वाली इलेक्ट्रोड पर एक वाटर प्रूफिंग कोटिंग की जाती है जिससे पानी का प्रभाव इलेक्ट्रोड धातु पर न पड़ सके।
इस फ्लक्स कोटिंग को विनायलिक वार्निश या एसीटोन में सेलुलायड को घोलकर बनाया जाता है। अन्डर वाटर वेल्डिंग करने के बाद 80% तनाव सामर्थ्य प्राप्त होता है।
2. ड्राई अन्डर वाटर वेल्डिंग (Dry Under Water Welding) -:
यह पानी के अंदर होने वाली ऐसी वेल्डिंग है जिसमें, जिस स्थान पर वेल्डिंग करना होता है उसको एक चेंबर में बंद कर दिया जाता है और चेंबर से पानी को बाहर निकाल करके उसमें कार्यखण्ड पर वेल्डिंग प्रक्रिया की जाती है।
इस विधि द्वारा होने वाली वेल्डिंग की गुणवत्ता अच्छी होती है परंतु चेंबर बंद होने के कारण वेल्डिंग से उत्पन्न होने वाली गैसों से पूरा वातावरण दूषित होता रहता है।
ड्राई अन्डर वाटर वेल्डिंग के प्रकार (Types of Dry Under Water Welding) -:
इस वेल्डिंग प्रक्रिया को दो भागों में बांटा गया है-
१. ड्राई अन्डर वाटर वेल्डिंग एटमॉस्फेयर प्रेशर पर (Dry Under Water Welding at Atmospheric Pressure)
२. ड्राई अन्डर वाटर वेल्डिंग एटमॉस्फेयर प्रेशर से अधिक पर (Dry Under Water Welding at Higher Pressure than Atmospheric)
१. ड्राई अन्डर वाटर वेल्डिंग एटमॉस्फेयर प्रेशर पर (Dry Under Water Welding at Atmospheric Pressure) -:
पानी के अंदर इस वेल्डिंग को करते हुए पूरे चेंबर को सामान्य दाब पर रखा जाता है और जो वेल्डिंग होती है वह खुले वातावरण के समान ही होती है। चेंबर जब दूषित हो जाता है तो उसको शुद्ध करने के लिए विद्युत उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। यह चेंबर और वेल्डिंग वाले अस्थान बरी स्थिर रहता है यदि इसे दूसरे स्थान पर ले जाना होता है तो इसको पूरी तरह से खोल कर ही ले जाया जा सकता है।
२. ड्राई अन्डर वाटर वेल्डिंग एटमॉस्फेयर प्रेशर से अधिक पर (Dry Under Water Welding at Higher Pressure than Atmospheric) -:
इस वेल्डिंग प्रक्रिया का प्रयोग करते समय चेंबर का प्रेशर इसके चारों ओर उपस्थित पानी के प्रेशर से अधिक रखा जाता है। चेंबर नीचे से खुला होता है तथा इसमें प्रेशर से हवा लगातार भेजते रहते हैं। कुछ वायु तल से बाहर भी निकलती रहती है। चेंबर में हवा का दबाव अधिक होने के कारण पानी निकल जाता है और खुले वातावरण के समान ही वेल्डिंग आसानी से की जाती है।
इस चेंबर को आसानी से वेल्डिंग करते समय ही खिसकाया जा सकता है।
अन्डर वाटर वेल्डिंग के लाभ (Advantage of Under Water Welding) -:
१. इस वेल्डिंग को एक कक्ष (चैम्बर) में किया जाता है, जिससे समुद्र के धाराओं और समुद्री जानवरों से सुरक्षा होता है।
२. वेल्डिंग प्रक्रिया में गर्म और शुष्क आवास के साथ अच्छी रोशनी भी होती है। जिसके कारण इसकी अपनी पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली में वेल्डिंग करना आसान होता है।
३. इस वेल्डिंग के द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली वेल्डिंग प्राप्त की जा सकती है।
४. इस वेल्डिंग विधि में वेल्ड जोड़ की गैर अविनाशकारी परीक्षण की जाती है।
५. अन्डर वाटर वेल्डिंग विधि में कार्यखण्ड के सतह पर, पाइप के संरेखण पर और गैर अविनाशकारी परीक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
अन्डर वाटर वेल्डिंग से हानि (Disadvantage of Under Water Welding) -:
१. पानी के नीचे वेल्डर के लिए सबसे बड़े खतरों में से विद्युत का झटका लगना एक खतरा है।
२. इस वेल्डिंग में विस्फोट होने का भी डर रहता है।
३. हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से कई प्रकार के गैस पॉकेट बन सकते हैं।
४. अधिक दबाब में काम करने पर विसंपीडन की बीमारी हो सकती है।
५. इस वेल्डिंग को करते समय डूबने का भी डर रहता है।
६. अंडर वाटर वेल्डिंग करने पर सुनाई न देने की भी परेशानी आ सकती है।
७. पानी के अंदर वेल्डिंग करते समय समुद्री जीवो का भी डर रहता है।
अन्डर वाटर वेल्डिंग के प्रयोग (Application of Under Water Welding) -:
१. इस वेल्डिंग के प्रयोग से पानी का अंदर कार्यरत पुर्जो की वेल्डिंग की जाती है।
२. Under Water Welding का उपयोग करके समुंद्री जहाज और पनडुब्बियों की वेल्डिंग की जाती है।
३. समुंद्र में स्थित मिनिरल की खदानों में भी इसी वेल्डिंग का प्रयोग किया जाता है।
४. समुंद्र में स्थित प्राकृतिक गैस तथा तेल के प्लेटफार्म के लिए यह वेल्डिंग अत्यधिक उपयोगी है।
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