Butt Joint Welding क्या है। Butt Joint के लाभ और हानि

Butt Joint एक ऐसा वेल्डिंग जोड़ है, जिसमें जोड़े जाने वाले प्लेट के टुकड़ों के edge को आपस मे एक दूसरे के आमने सामने रखा जाता है और फिर उन्हें वेल्डिंग किया जाता है। जब 3mm मोटी चादरों के किनारों को आपस में वेल्डिंग जोड़ द्वारा जोड़ना होता है तो उन चादरों का किनारा तिरछा नहीं किया जाता है। इन चादरों में अच्छे से फ्यूजन प्राप्त करने के लिए दोनों प्लेट के किनारों के बीच प्लेट की मोटाई के अनुसार गैप रखा होता है।

बट जोड़ में अधिक मोटी प्लेटे, जिनकी मोटाई 10mm से अधिक होती है, ऐसी प्लेट की Butt वेल्डिंग करने के लिए दोनों तरफ से वेल्डिंग करना चाहिए।

Butt joint welding in hindi
Butt Joint Welding



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Butt Joint के लिए वेल्डिंग करने के लिए इसमें अधिकतर प्लेट के टुकड़ों के कोर (edge) को V आकार के रूप तैयार किया जाता है। परन्तु जब वेल्डिंग की सतह को चिकना प्राप्त करना होता है तो प्लेट के कोर की सतह को U आकर का बनाया जाता है।

Butt Joint के लिए प्लेट के किनारो को बैवल और J आकार का भी बनाया जाता है। जब बैवल आकार के कोर या किनारे बनाये जाते हैं तो वेल्डिंग करते समय फीलर रॉड का खर्च कम आता है परन्तु full Penetration की गारंटी नहीं होती है। ठीक इसी प्रकार 'J' जोड़ में भी पूरा Penetration नही मिल पाता है। इसके अतिरिक्त U और J जोड़ के किनारे या कोर को प्लेट (कार्यखण्ड, जॉब) में बनाना V आकार के कोर की तुलना में कठिन होता है।


Butt Joint में बनने वाले किनारे (Edge) के प्रकार-

Butt Joint में प्लेट, कार्यखण्ड या जॉब के कोर को निम्न प्रकार के आकार में बनाया जाता है।

1.Square

2.Single V

3.Double V

4.Single J

5.Double J

6.Single U

7.Double U

8.Single Bevel

9.Double Bevel


1.Square

Butt Joint में जब कार्यखण्ड के कोर को Square आकार में  बनाया जाता है और दोनों कार्यखण्ड को जोड़ते समय इनके बीच की दूरी 3mm रखा जाता है।


2.Single V

Butt Joint में जब कार्यखण्ड के कोर को Single V आकार में  बनाया जाता है और दोनों कार्यखण्ड को जोड़ते समय इनके बीच की दूरी 5mm तक रखा जाता है। और कार्यखण्ड की मोटाई में नीचे से 0.3mm छोड़कर कार्यखण्ड के किनारों को V आकार दिया जाता है। Single V कार्यखण्ड में 60° कोण में V आकार कोर दोनों कार्यखण्ड में बनाये जाते है।


3.Double V

Butt Joint में जब कार्यखण्ड के कोर को Double V आकार में  बनाया जाता है और दोनों कार्यखण्ड को जोड़ते समय इनके बीच की दूरी 3mm से 6mm तक रखा जाता है। और कार्यखण्ड की मोटाई में ऊपर और नीचे दोनों तरफ से कार्यखण्ड के किनारों को V आकार दिया जाता है। Double V कार्यखण्ड में 60° कोण में V आकार कोर दोनों कार्यखण्ड में ऊपर और नीचे बनाये जाते है।


4.Single J

Butt Joint में जब कार्यखण्ड के कोर को Single J आकार में  बनाया जाता है और दोनों कार्यखण्ड को जोड़ते समय इनके बीच की दूरी 3mm तक रखा जाता है। और कार्यखण्ड की मोटाई में नीचे से 0.3mm छोड़कर कार्यखण्ड के किनारों को दोनों कार्यखण्ड में से केवल एक ही कार्यखण्ड में J आकार दिया जाता है।

Single J आकार के कोर में , जंहा से J आकार बनाया जाता है वंहा से लेकर शीर्ष तक कोण 20°का होता है अर्थात Single J में के आकार के कोर को 20°कोण पर बनाया जाता है।


5.Double J

Butt Joint में जब कार्यखण्ड के कोर को Double J आकार में  बनाया जाता है और दोनों कार्यखण्ड को जोड़ते समय इनके बीच की दूरी 4.5mm तक रखा जाता है। और दोनों कार्यखण्ड में से किसी एक की मोटाई में ऊपर और नीचे दोनों तरफ से कार्यखण्ड के किनारों को J आकार दिया जाता है। Double J आकार के कार्यखण्ड में 35° कोण में J आकार बनाये जाते है।


6.Single U

Butt Joint में जब कार्यखण्ड के कोर को Single U आकार में  बनाया जाता है और दोनों कार्यखण्ड को जोड़ते समय इनके बीच की दूरी 3mm तक रखा जाता है। और कार्यखण्ड की मोटाई में नीचे से 0.3mm छोड़कर दोनों कार्यखण्ड के किनारों को U आकार दिया जाता है।

Single U आकार के कोर में , जंहा से U आकार बनाया जाता है वंहा से लेकर शीर्ष तक का कोण 20°-20° का होता है अर्थात दोनों कार्यखण्ड में Single U के आकार के कोर को 20°-20° के कोण पर बनाया जाता है।


7.Double U

Butt Joint में जब कार्यखण्ड के कोर को Double U आकार में  बनाया जाता है और दोनों कार्यखण्ड को जोड़ते समय इनके बीच की दूरी 4.5mm तक रखा जाता है। और दोनों कार्यखण्ड की मोटाई में ऊपर और नीचे दोनों तरफ से कार्यखण्ड के किनारों को U आकार दिया जाता है। Double U आकार के कार्यखण्ड में 45° के कोण में U आकार बनाये जाते है। ऊपर-नीचे दोनों तरफ से U आकार होने के कारण जो बीच मे मोटाई की दूरी बचती है उसकी मोटाई दोनों कार्यखण्डों में 1.5mm से 4.5mm तक होता है। और वंही दोनों कार्यखण्डों को  आपस में वेल्डिंग जोड़ होने के लिए दूरी 4.5mm तक रखा जाता है।


8.Single Bevel

Butt Joint में जब कार्यखण्ड के कोर को Single Bevel आकार में  बनाया जाता है और दोनों कार्यखण्ड को जोड़ते समय इनके बीच की दूरी 5mm तक रखा जाता है। और कार्यखण्ड की मोटाई में नीचे से 0.3mm छोड़कर किसी एक कार्यखण्ड के किनारों को Bevel आकार दिया जाता है।

Single Bevel आकार के कोर में , जंहा से Bevel आकार बनाया जाता है वंहा से लेकर शीर्ष तक का कोण 45° का होता है अर्थात कार्यखण्ड में Single Bevel के आकार के कोर 45° के कोण पर बनाया जाता है।


9.Double Bevel

Butt Joint में जब कार्यखण्ड के कोर को Double Bevel आकार में  बनाया जाता है और दोनों कार्यखण्ड को जोड़ते समय इनके बीच की दूरी 3mm-6mm तक रखा जाता है। और किसी एक कार्यखण्ड की मोटाई में ऊपर और नीचे दोनों तरफ से कार्यखण्ड के किनारों को Bevel आकार दिया जाता है। Double Bevel आकार के कार्यखण्ड में 45° के कोण में Bevel आकार बनाये जाते है। ऊपर-नीचे दोनों तरफ से Bevel आकार होने के कारण जो बीच मे मोटाई की दूरी बचती है उसकी मोटाई कार्यखण्ड में 1.5mm से 4.5mm तक होता है। और वंही दोनों कार्यखण्डों को आपस में वेल्डिंग जोड़ होने के लिए दूरी 3mm-6mm तक रखा जाता है। Double Bevel में दोनों कार्यखण्डों में से किसी एक कार्यखण्ड के ही कोर को Bevel आकार दिया जाता है।


Butt Joint welding के लाभ -

1. Butt Joint अधिक मजबूत और टिकाऊ होते हैं।

2. जब हमें 3mm से पतली चादरों में बट जोड़ लगाना होता है तो हमें उन चादरों में कोर सज्जा करने की आवश्यकता नहीं होती है।

3. Butt Joint का प्रयोग पतले चादरों और मोटे चादरों के लिए प्रयोग किया जाता है तथा ये जोड़ भारी-भारी कार्यखण्ड में भी लगाए जाते हैं।

4. ये जोड़ सामर्थ्यवान होते हैं।


Butt Joint welding से हानि -

1. Butt Joint को जब मोटे कार्यखंडो में लगाया जाता है तो फिलर पदार्थ का प्रयोग अधिक मात्रा में होता है।

2. बट जोड़ लगाने के लिए अधिक कुशल कारीगर की आवश्यकता होती है।

3. बट जोड़ में जब 3mm से अधिक मोटे कार्यखण्ड में जोड़ बनाना होता है तो कोर सज्जा करनी पड़ती है।

4. Butt Joint अन्य जोड़ों की तुलना में अधिक महंगे होते हैं।

5. Butt joint में V आकार का कोर बनाना U और J आकार के कोर की तुलना में आसान होता है।

 


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