Parts Programing क्या है? प्रकार - CNC Machine

पार्ट प्रोग्रामिंग (Parts Programing in Hindi) -:

पार्ट की प्रोग्रामिंग एक महत्वपूर्ण विधि होती है जिसके द्वारा NC या CNC मशीनों के लिए स्टेप या चरणबद्ध तरीके से प्रोग्राम को तैयार किया जाता है। प्रोग्राम के कोड टेप या अन्य किसी माध्यम में डाल दिया जाता है। और यह टेप, मशीन के टेप रीडर में फीड कर दिया जाता है। मशीन का टेप रीडर निर्देश को एक-एक करके पढ़ता है और एक एक स्टेप आगे बढ़ता है जब मशीन एक निर्देश का पालन कर रही होती है तो कंट्रोल यूनिट के डाटा वफार में अगला निर्देश पर आ जा रहा होता है और जब प्रोग्राम का अंतिम निर्देश कंट्रोल यूनिट का डाटा पढ़ता है तो टेप रीडर रिवाइंड होकर अगले कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है।


पार्ट प्रोग्रामिंग के प्रकार (Types of Parts Programing in Hindi) -:

1) हस्तीय पार्ट प्रोग्रामिंग (Manual Part Programing)

2) कम्प्यूटर एडेड पार्ट प्रोग्रामिंग (Computer Aded Part Programing)


पार्ट प्रोग्रामिंग (Parts Programing in Hindi)


1) हस्तीय पार्ट प्रोग्रामिंग (Manual Part Programing) -:

मैन्युअल पार्ट प्रोग्रामिंग विधि में किसी कार्यखंड की मशीनिंग को वांछित आकार में प्राप्त करने के लिए प्रोग्राम को एक मानक फॉर्मेट पर हाथ से लिख कर तैयार किया जाता है। क्षैतिज रेखा पर लिखा हुआ प्रोग्राम सूचना ब्लॉक के रूप में रहता है। हाथ से लिखे गए इस प्रोग्राम को फ्लैक्सो-टाइपराइटर के माध्यम से टाइप करते हैं। जब यह टाइपिंग की जाती है तो टाइप की गई भाषा एक कागज पर निकल कर आती है और साथ ही टेप पर लिखे गए भाषा के अनुसार छिद्र भी कट जाते हैं। सभी NC मशीनों को साधारण कैलकुलेटर तथा फ्लैक्सो टाइपराइटर की सहायता से मैनुअल रूप से कार्यखंड के लिए प्रोग्राम को तैयार किया जा सकता है। मैनुअल पार्ट प्रोग्रामिंग का प्रयोग सबसे अधिक बिंदु से बिंदु विधि से निर्माण होने वाली पुर्जो के लिए किया जाता है, क्योंकि मैनुअल पार्ट प्रोग्रामिंग में गणनाएं करना सरल होता है।


2) कम्प्यूटर एडेड पार्ट प्रोग्रामिंग (Computer Aded Part Programing) -:

NC मशीन के द्वारा निर्माण होने वाले अधिकतर कार्यखण्ड जटिल ज्यामितीय के आकारों के होते हैं। इसलिए इनके लिए प्रोग्राम कंटूर विधि द्वारा ही अधिक बनाया जाता है। अगर मैनुअल पार्ट प्रोग्रामिंग के द्वारा जटिल आकारों के प्रोग्राम बनाएं जाते हैं तो उनकी गणना को करने में त्रुटि आने की संभावना बहुत अधिक होती है और गणना करने का समय भी ज्यादा लगता है। इन्हीं सब हालातों को देखते हुए कंप्यूटर के द्वारा पार्ट प्रोग्राम को तैयार करना अधिक उचित होता है।

कंप्यूटर का उपयोग करके पार्ट प्रोग्रामिंग करने के कई फायदे हैं और कंप्यूटर में प्रोग्राम लिखने के लिए कई भाषाएं भी विकसित की गई हैं, जिनकी सहायता से पार्ट प्रोग्रामिंग की विभिन्न गणनाएं स्वचालित रूप से संपादित की जाती है। जिसके फलस्वरूप कंप्यूटर से पार्ट प्रोग्रामिंग करने में त्रुटि की संभावना नहीं होती है और पार्ट प्रोग्राम शुद्ध बनाए जाते हैं। साथ ही कंप्यूटर का प्रयोग करने से समय की भी बचत होती है। इसीलिए कंप्यूटर एडेड पार्ट प्रोग्रामिंग अधिक सही रहता है।

कंप्यूटर ऐडेड पार्ट प्रोग्रामिंग में टेप पंच नामक डिवाइस के द्वारा टेप में सीधे-सीधे लिखे गए प्रोग्राम के छिद्र कर दिए जाते हैं। जब प्रोग्राम से छिद्र किया गया टेप, NC मशीन के लिए तैयार हो जाता है तो इसको टेप रीडर में डाल दिया जाता है। एक कार्यखंड के लिए केवल एक टेप रीडर का उपयोग किया जाता है। यह टेप रीडर एक निर्देश पढ़ने के बाद एक स्टेप आगे बढ़ता है जब यह कार्य कर रहा होता है तो कंट्रोल यूनिट के डाटा बफर में अगला निर्देश पढ़ा जा रहा होता है। इस प्रकार प्रोग्राम का एक निर्देश कार्य करता है तब तक दूसरा निर्देश कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है। जैसे ही कार्यखण्ड पर पार्ट प्रोग्रामिंग का अंतिम निर्देश का कार्य होता है, तब तक टेप रीडर रिवाइंड होकर अगले कार्यखण्ड की मशीनिंग करने के लिए तैयार हो जाता है।

कंप्यूटर ऐडेड पार्ट प्रोग्रामिंग का प्रयोग करके कार्यभार को कम किया जा सकता है क्योंकि कई बार ऐसे कार्यखण्ड बनाने होते हैं जो सेम आकार के होते हैं परंतु उनकी माप थोड़ी सी भिन्न होती है। ऐसी दशा में केवल मूल सूचना को बदलना पड़ता है और कार्य अपने आप होने लगता है। जैसे मान लेते हैं यदि किसी ड्रील मशीन द्वारा एक ही आकार के काफी मात्रा में छिद्र को बनाना हो तथा छिद्र की साइज अलग-अलग हो तो इसके लिए केवल छिद्र की माप में परिवर्तन करने से काम चल जाता है।


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