थर्मिट वेल्डिंग किसे कहते हैं? प्रयोग। thermit welding in hindi । प्रकार

थर्मिट वेल्डिंग (Thermit Welding in hindi)

ऐसी वेल्डिंग जिसमे उष्मा रासायनिक अभिक्रिया द्वारा ऊपजती है और कार्यखण्डों के सतहों को पिघलाकर आपस मे जोड़ते हुए वेल्डिंग जोड़ बनाती है। इस प्रकार की वेल्डिंग को थर्मिट वेल्डिंग कहते हैं।

थर्मिट वेल्डिंग में आयरन ऑक्साइड और एल्युमीनियम के पाउडर के 3:1 को लेकर बेरियम पैरा-ऑक्साइड (इग्निश पाउडर) के साथ जलाया जाता है। जिसके कारण 1550℃ से लेकर 3000℃ तक की उष्मा उत्पन्न होती है। यह एक प्रकार की Exothermic क्रिया होती है जो 719.3 Kcal उष्मा देती है।

थर्मिट वेल्डिंग
Thermit Welding

इस थर्मिट अभिक्रिया के फलस्वरुप आयरन ऑक्साइड, आयरन और एल्युमीनियम, एल्युमीनियम ऑक्साइड बन जाता है। इस क्रिया में तापमान अधिक उत्पन्न होने के कारण इससे ऊपजी उष्मा आयरन और एल्युमीनियम ऑक्साइड को पिघला देती है, यह पिघला हुआ मिक्सर, थर्मिट मिक्सर कहलाता है।

इस थर्मिट मिक्सर को कार्यखण्ड के वेल्ड करने वाले सतह पर डालते हैं। थर्मिट मिक्सर का तापमान अधिक होने के कारण कार्यखण्ड का धातु भी कुछ मात्रा में पिघल जाता है और थर्मिट मिक्सर के साथ मिलकर ठंडा होकर एक मजबूत और अच्छा वेल्डिंग जोड़ बनाता है।

साधरणतः थर्मिट मिश्रण में आयरन ऑक्साइड और एल्युमीनियम का बारीक चूर्ण होता है। परंतु आवश्यकतानुसार धातु को सही से जुड़ने के लिए इस में कार्बन, मैग्नीज, फरो-सिलीकॉन को भी मिलाया जाता है।

थर्मिट वेल्डिंग की प्रक्रिया में 10 किलोग्राम से लेकर 2000 किलोग्राम तक थर्मिट पदार्थ को एक साथ आसानी के साथ प्रयोग किया जा सकता है।

अतः भारी-भरकम कार्यों के लिए थर्मिट वेल्डिंग में विद्युत या गैस आदि की आवश्यकता नहीं होती है। थर्मिट वेल्डिंग में बहुत कम समय लगता है। यह समय 25 sec से 60 Sec तक हो सकती है।


थर्मिट वेल्डिंग (Thermit Welding) के प्रकार-

थर्मिट वेल्डिंग को दो प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है

1. Pressure Thermit Welding

2. Non Pressure Thermit Welding


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1. Pressure Thermit Welding

इस वेल्डिंग में थर्मिट मिश्रण को फिलर मेटल के रूप में प्रयोग नहीं करते हैं बल्कि इसके द्वारा जिन कार्यखंडों को जोड़ना होता है उन्हें प्लास्टिक स्थिति तक थर्मिट मिश्रण के ताप से गर्म किया जाता है। जब कार्यखण्ड प्लास्टिक स्थिति तक गर्म हो जाते हैं तो दोनों कार्यखंडों पर दाब देकर उन्हें बट वेल्डिंग के रूप में कर लिया जाता है इस वेल्डिंग में कार्यखण्ड गलते नही है। दोनों कार्यखण्ड को प्लास्टिक स्थिति तक गर्म करते समय उन्हें गलन से बचाने के लिए पहले मोल्ड में स्लैग को भेजा जाता है। स्लैग मोल्ड में जाकर वेल्ड होने वाले सिरो पर एक रक्षात्मक कोटिंग (Safety Coating) का कार्य करता है और उनकी सतह को भी साफ कर देता है।


2. Non Pressure Thermit Welding

इस वेल्डिंग में सबसे पहले होने वाले वेल्डिंग के सिरों को लगभग 150mm तक सतह की सफाई की जाती है और सतह पर लगे धूल, मिट्टी, ऑक्साइड, ग्रीस, आयल, गंदगी, मोर्चा इत्यादि को भली भांति साफ किया जाता है।

कार्यखंड के दोनों सिरों के मध्य 1.5mm से 6mm का अंतर रखते हुए मोम का एक पैटर्न तैयार करते हैं। पैटर्न का आकार फिलर मेटल की इच्छा अनुसार मात्रा तथा आकार पर निर्भर करता है। पैटर्न तैयार होने के बाद अब मोल्डिंग बॉक्स में इस पैटर्न को रखकर मोल्डिंग रेत भरकर मोल्ड तैयार कर लिया जाता है और आवश्यकता अनुसार इसमें Riser, पोरिंग गेट तथा pre-heat गेट आदि लगवा दिया जाता है। और उसके बाद मोल्ड को प्री-हीट किया जाता है। जिसके कारण मोम पिघल कर बाहर आ जाता है। तथा मोल्ड का रेट सूख जाता है। इससे कास्टिंग के समय कम कैसे बनती हैं। और इसके बाद प्रि-हीट को बंद कर दिया जाता है।

एक क्रुसिबल में thermit चार्ज तैयार किया जाता है। इसकी तली में एक मैग्नीशिया स्टोन तथा मैग्नीशिया थिमबिल होता है जिसमे एक टैपिंग पिन लटकी होती है। इस टाइपिंग पिन के ऊपर धातु की प्लेट रहती है। इस क्रुसिबिल में सबसे नीचे Refractory रेत भरा जाता है। इस चार्ज के ऊपर low ignition point powder रखा जाता है। इस पाउडर को मैग्नीशियम रीबन से जलाया जाता है। इसके जलते ही थर्मिट अभिक्रिया तुरंत शुरू हो जाती है। इस अभिक्रिया की आवाज को सुना जा सकता है। जब अभिक्रिया की आवाज बन्द होती है उसी के साथ इस बात कु पुष्टि हो जाती है कि अभिक्रिया पूर्ण हो गई है। और थर्मिट अभिक्रिया में बनी slag ऊपर तैरती रहती है। इस विधि में क्रुसिबिल की तली में मोल्ड में डाला जाता है। अतः यह स्लैग मोल्ड में नहीं जाता है। पिघली हुई धातु का ताप अधिक होने के कारण कार्यखंड के वेल्ड होने वाले सिरे भी आसानी से पिघल जाते हैं तथा फिलर धातु के साथ ही मिलकर ठंडे होने पर एक मजबूत जोड़ बनाते हैं।



थर्मिट वेल्डिंग का प्रयोग-

1. रेल की पटरियों को जोड़ने के लिए थर्मिट वेल्डिंग का प्रयोग किया जाता है।

2. बड़े मशीनों में वेल्डिंग करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।

3. Remote के अंदर लगे electrical conductors को जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है।

4. भारी पाइपों को भी इसी विधि द्वारा वेल्डिंग किया जाता है।

5. गार्डर और शाफ्ट इत्यादि का भी इसी विधि द्वारा वेल्डिंग जोड़ लगाया जाता है।

6. एक्सोथर्मिक वेल्डिंग (थर्मिट वेल्डिंग) आमतौर पर तांबा कंडक्टर के लिए उपयोग की जाती है।

7. कास्ट आयरन और माइल्ड स्टील को इस विधि द्वारा जोड़ना आसान होता है।


थर्मिट वेल्डिंग के बारे में मुख्य जानकारी-

1.थर्मिट पाउडर को बेरियम पैरा-ऑक्साइड के साथ जलाने पर जो उष्मा उत्पन्न होती है उसी से कार्यखण्ड को पिघलाया जाता है।

2. थर्मिट वेल्डिंग का तापमान 1550℃ से लेकर 3000℃ तक होता है।

3. Thermit Welding के सामान ही Exothermic Welding को भी माना जाता है।

4. थर्मिट पाउडर में आयरन ऑक्साइड और एल्युमीनियम के पाउडर का अनुपात 3:1 होता है।

5. थर्मिट वेल्डिंग , रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा होता है।

6. थर्मिट वेल्डिंग का प्रयोग रेल लाइन के पटरी, रिमोट के अंदर electrical conductors को जोड़ने के लिए अधिक किया जाता है।


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