कार्बन आर्क वेल्डिंग (Carbon Arc Welding) - Single Electrode & Twin Electrode Carbon Arc Welding in Hindi

कार्बन आर्क वेल्डिंग (Carbon Arc Weldingin Hindi) - प्रकार
कार्बन आर्क वेल्डिंग


कार्बन आर्क वेल्डिंग (Carbon Arc Welding)

जब किसी कार्यखंड को वेल्डिंग करने के लिए, उष्मा को इलेक्ट्रिक आर्क, कार्बन के इलेक्ट्रोड या इलेक्ट्रोड की सहायता से प्राप्त किया जाता है तो उसे कार्बन आर्क वेल्डिंग (Carbon Arc Welding) कहते हैं।


कार्बन आर्क वेल्डिंग के प्रकार (Type of Carbon Arc Welding)

इस वेल्डिंग को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है -

1. सिंगल इलेक्ट्रोड कार्बन आर्क वेल्डिंग (Single Electrode Carbon Arc Welding)

2. ट्विन इलेक्ट्रोड कार्बन आर्क वेल्डिंग (Twin Electrode Carbon Arc Welding)


1. सिंगल इलेक्ट्रोड कार्बन आर्क वेल्डिंग (Single Electrode Carbon Arc Welding)

इस वेल्डिंग विधि में इलेक्ट्रिक आर्क को कार्यखंड और कार्बन इलेक्ट्रोड के मध्य बनाया जाता है। कार्बन इलेक्ट्रोड को एक इलेक्ट्रोड होल्डर में पकड़ लिया जाता है। कार्बन इलेक्ट्रोड का क्षरण ना हो इसके लिए डी.सी. करंट की स्ट्रेट पोलैरिटी का प्रयोग किया जाता है।

कार्बन का इलेक्ट्रोड प्रयोग करने से वेल्ड मेटल में जाने वाले कार्बन की मात्रा भी कम हो जाती है। कार्बन की मात्रा को कंट्रोल करने की आर्क की लंबाई को अधिक से अधिक 30 mm तक रखा जाता है।


कार्बन इलेक्ट्रोड को कार्य खंड से टकराकर आरके बना ली जाती है और इसकी लंबाई बढ़ा ली जाती हैं जब धातु पिघल कर वेल्ड पूल में गिरती है तो इलेक्ट्रोड को आगे बढ़ाते चलते हैं।

कार्बन आर्क वेल्डिंग में आर्क की लंबाई को कम या ज्यादा करके तापमान को कंट्रोल किया जाता है। पतले कार्यखंडों को बट वेल्डिंग करने के लिए इस विधि का प्रयोग अधिक होता है। परंतु कार्बन के इलेक्ट्रोड के कारण फिलर धातु में कार्बन की प्रतिशत बढ़ने की संभावना रहती है। कार्बन आर्क वेल्डिंग में वेल्ड मेटल को वातावरण के प्रभाव से बचाने के लिए इसके ऊपर इनर्ट गैस की शील्डिंग भी की जाती है। कभी-कभी आर्गन, हीलियम तथा नाइट्रोजन और कभी इनका मिश्रण ही शील्डिंग के लिए प्रयोग में लाया जाता है।


2. ट्विन इलेक्ट्रोड कार्बन आर्क वेल्डिंग (Twin Electrode Carbon Arc Welding)

इस वेल्डिंग प्रक्रिया में इलेक्ट्रिक आर्क को दो कार्बन के इलेक्ट्रोडो के मध्य बनाया जाता है तथा इसके ताप को कार्यखंड पर ट्रांसफर कर दिया जाता है।

इस प्रकार की प्रक्रिया करने के लिए एक विशेष प्रकार का इलेक्ट्रोड होल्डर प्रयोग किया जाता है इस वेल्डिंग विधि में आर्क की लंबाई को कंट्रोल करने के लिए इलेक्ट्रोड के व्यास को आधार बनाया जाता है।

इस वेल्डिंग को करने के लिए ए.सी. करंट का प्रयोग किया जाता है। इस वेल्डिंग प्रक्रिया को करते समय इलेक्ट्रोड का क्षरण समान रूप से होता है। अगर इस वेल्डिंग में डी.सी. करंट का प्रयोग किया जाए तो पॉजिटिव इलेक्ट्रोड का क्षरण बहुत तेजी के साथ होने लगेगा इसी कारण AC करंट का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में आर्क को कहीं भी बिना बुझाये ही ले जाया जा सकता है।


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