अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग (Ultrasonic Welding in Hindi)

इस प्रकार की वेल्डिंग में कार्यखंड को बलपूर्वक एक साथ क्लैंप कर दिया जाता है। और उसके बाद इन कार्यखंड को एक ट्रांसड्यूसर के द्वारा अल्ट्रासोनिक फ्रिकवेंसी का प्रयोग करते हुए उस ओसीलेटिंग शियर स्ट्रेस (Oscillating Shear Stress) लगाया जाता है। जिससे जोड़े जाने वाले कार्यखंड की धातु बिना पिघले आपस में जुड़ जाती हैं, और एक मजबूत जोड़ बनाती हैं। ऐसी वेल्डिंग,अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग (Ultrasonic Welding) कहलाती है।


अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग (Ultrasonic Welding)
Ultrasonic Welding Process


अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग के लिए एक प्लांट का प्रयोग किया जाता है। इस वेल्डिंग में कंपन होने के कारण अधिक सफ़ाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। परंतु ग्रीस इत्यादि लगाकर सतह की सफाई की जाती है और उसको चिकना बनाया जाता है। और उसके बाद दोनों कार्यखंडों को सोनोट्रोड की टिप और एन्विल की मध्य क्लैंप कर दिया जाता है। अब एक फ्रिकवेंसी कनवर्टर (जो 50 साइकिल प्रति सेकंड की इलेक्ट्रिकल ऊर्जा को उच्च आवृत्ति में बदलता है) ऐसी उच्च आवृत्ति के द्वारा उच्च, आवृत्ति की विद्युत ऊर्जा को एक ट्रांसड्यूसर अल्ट्रासोनिक अम्ल ऊर्जा में बदल दिया जाता है। और उसको टीप तक पहुंचाया जाता है। इस अल्ट्रासोनिक ऊर्जा के द्वारा वेल्डिंग प्रक्रिया आसानी से होती है।

अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग के द्वारा 65 से 100% तक के जोड़ सामर्थ्यवान होते हैं। इस वेल्डिंग को होने में मात्र 0.5 से 1.5 सेकंड का समय लगता है।


अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग के लाभ (Advantages of Ultrasonic Welding in Hindi)

1) Ultrasonic Welding करते समय कार्यखण्ड के सतहों की अधिक सफाई नहीं करनी पड़ती है।

2) इस वेल्डिंग में आर्क, गैस या फिलर मेटल जैसी अन्य कोई समस्या उत्पन्न नहीं होती है।

3) समान तथा असमान धातुओ को आसानी से जोड़ा जाता है। 

4) इस वेल्डिंग में कोई भी निश्चित गलनांक बिंदू (मेल्टिंग पॉइं नहीं होता है।

5) अलग-अलग धातुओं तापक्रम का गलनांक अलग होता है उन कार्यखण्ड को बहु आसानी से जोड़ दिया जाता है।

6) इस वेल्डिंग के द्वारा पतली चादर भी बहुत ही सरलतापूर्वक जोड़ी जाती हैं।

7) इस वेल्डिंग में कार्यखंड को प्लास्टिक स्टेज तक गर्म नहीं किया जाता है जिसके कारण कार्यखंड में कोई भी टेढ़ापन नहीं आता है।

8) शीशा (Glass) को केवल अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग के द्वारा ही जोड़ा जा सकता है।

9) अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग करने के कारण कार्यखंड का कोई भी क्षेत्र ऊष्मा से प्रभावित नहीं होता है। अगर होता भी है तो बहुत ही कम होता है।


अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग से हानि (Disadvantages of Ultrasonic Welding in Hindi)

1) इस वेल्डिंग द्वारा केवल कठोर पदार्थ का वेल्डिंग किया जा सकता है।

2) अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग अन्य वेल्डिंग process की तुलना में धीमा होता है।

3) इस वेल्डिंग में टूल को बार-बार बदलना पड़ता है।


अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग के अनुप्रयोग (Ultrasonic Welding Applications in Hindi)

1) अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग पतले सेक्शन जोडने के लिए अधिक उपयुक्त होता है।

2) इस वेल्डिंग के द्वारा इलेक्ट्रिकल तथा इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को आसानी से जोड़ा जा सकता है।

3) ऐसे पदार्थ, जो बहुत अधिक वाष्पीकृत होते हैं उनको सील करने में अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग उपयोगी होता है।

4) किसी भी tube को बारीकी से जोड़ने के लिए अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग उपयोग में लाया जाता है।



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