Tee Joint, ऐसा Joint है जिसमे दो प्लेटे इस प्रकार जोड़ी जाती हैं जो आपस मे दोनों प्लेट 90° का कोण बनाती हों और एक प्लेट को क्षैतिज रखकर उसके मध्य में दूसरी प्लेट को उस पर लंबवत अवस्था में वेल्डिंग किया जाता है। टी joint देखने मे अंग्रेज़ी के बड़े अक्षर 'T' जैसे दिखाई देती है। टी जॉइंट को अधिक मजबूत बनाने के लिए इसको दोनों ओर से welding करना चाहिए जिससे ये और मजबूत हो सके। टी-जॉइंट में प्लेटो की विभिन्न मोटाई के अनुसार , प्लेट में कई तरह के Corner बनाये जाते हैं। जिसमे ऊपरी प्लेट के कार्नर को वेल्डिंग करने से पहले fillet , bevel और J आकार का बनाया जाता है।
Tee Joint |
शीट प्लेट की विभिन्न मोटाई के कारण जब इसको जोड़ा जाता है तो मोटाई के अनुसार जोड़ने के लिए विभिन्न विधियां अपनाई जाती हैं। जब बहुत अधिक मजबूत जोड़ प्राप्त करना होता है तो मानक का प्रयोग करते हुये T-Joint को दोनों तरफ से वेल्ड करना चाहिये।
T-joint में निम्न प्रकार के जोड़ दिए जा सकते हैं।
T-Joint के प्रकार
1.Single Fillet
2.Double Fillet
3.Single Bevel
4.Double Bevel
5.Single J
6.Double J
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1.Single Fillet
जब प्लेट की मोटाई 10mm तक होती है तो Single Fillet का इस्तेमाल किया जाता है। Single Fillet Joint में जोड़े जाने वाले दोनों प्लेट के बीच मे किसी एक किनारे ही welding की जाती है।
2.Double Fillet
जब प्लेट की मोटाई 10mm से 40mm तक होती है तो Double Fillet का इस्तेमाल किया जाता है। Double Fillet Joint में जोड़े जाने वाले दोनों प्लेट के जोड़े जाने वाले दोनों किनारे welding की जाती है।
3.Single Bevel
जब प्लेट की मोटाई 10mm से 15mm तक होती है तो प्लेटों को जोड़ने के लिए Single Bevel का इस्तेमाल किया जाता है। Single Bevel Joint में जोड़े जाने वाले दोनों प्लेट के जोड़े जाने वाले किसी एक किनारे को तिरछा काट दिया जाता है। जो कटने वाली प्लेट के आधार से 45°का कोण बनाती है। और जो प्लेट कटने वाली होती है वो प्लेट लंबवत रखी होती है। जब प्लेट को एक किनारे तिरछा काटा जाता है तो उस प्लेट के आधार से 1.5mm छोड़कर ही काटा जाता है। Single Bevel Joint को जोड़ने के लिए दोनों प्लेटो के मध्य में 2.5 से लेकर 6mm तक gap रखा जाता है।
4.Double Bevel
Double Bevel को जोड़ने के लिए प्लेट की मोटाई 15mm से 25mm तक होती है। Double Bevel Joint में जोड़े जाने वाले दोनों प्लेट के लंबवत प्लेट के दोनों किनारे को तिरछा काट दिया जाता है। कटने वाली दोनों प्लेट के किनारे अपने आधार से 45°का कोण बनाती है। कटने वाली प्लेट लंबवत रखी होती है। चूंकि लंबवत प्लेट दोनों ओर से तिरछी कटी होती है तो दोनों ओर से जब प्लेट को काटा जाता है तो बीच मे कुछ स्थान छोड़ दिया जाता है जिसकी लंबाई 1.5mm होता है। Double Bevel Joint को जोड़ने के लिए दोनों प्लेटो के मध्य में 2.5 से लेकर 6mm तक gap रखा जाता है।
5.Single J
जब प्लेट की मोटाई 25mm से ऊपर होती है तो प्लेटों को जोड़ने के लिए Single J का इस्तेमाल किया जाता है। Single J Joint में जोड़े जाने वाले दोनों प्लेट के किसी एक किनारे को तिरछा काट दिया जाता है। कटने वाली प्लेट अपने आधार से 35°का कोण बनाती है और देखने मे J आकार जैसी प्रतीत होती है। और कटने वाली प्लेट लंबवत रखी होती है। जब प्लेट को एक किनारे तिरछा काटा जाता है तो उस प्लेट के आधार से 1.5mm से 3mm तक स्थान छोड़कर ही काटा जाता है। Single J Joint को जोड़ने के लिए दोनों प्लेटो के मध्य में 0.5mm तक gap रखा जाता है।
6.Double J
Double J को जोड़ने के लिए प्लेट की मोटाई 30mm से ऊपर होती है। Double J Joint में जोड़े जाने वाले दोनों प्लेट के लंबवत प्लेट के दोनों किनारे को तिरछा काट दिया जाता है। कटने वाली दोनों प्लेट के किनारे अपने आधार से 35°का कोण बनाती है। कटने वाली प्लेट लंबवत रखी होती है। चूंकि लंबवत प्लेट दोनों ओर से J आकार की कटी होती है तो दोनों ओर से जब प्लेट को काटा जाता है तो बीच मे कुछ स्थान छोड़ दिया जाता है जिसकी लंबाई 1.5mm से लेकर 4.5 mm तक होता है। Double Bevel Joint को जोड़ने के लिए दोनों प्लेटो के मध्य में 0.5mm से तक gap रखा जाता है।
T-joint के लाभ और हानि
Tee Joint के लाभ-
1.T-joint में जो Single Fillet जोड़ लगाए जाते हैं वे सस्ते होते हैं।
2.T-joint में जब कार्य खंड को जोड़ा जाता है तो जो कार्यखंड अधिक पतले होते हैं उनको जोड़ने के लिए कोर सज्जा को तैयार करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
3.T-joint के Double Fillet जोड़ Single Fillet की अपेक्षा महंगे तो होते हैं परंतु यह टिकाऊ और बहुत ही मजबूत होते हैं।
4.जब Tee-joint में दोनों ओर से वेल्डिंग जोड़ लगा दिया जाता है तो वो काफी हद तक मजबूत हो जाते हैं।
Tee Joint से हानि-
1.Tee-Joint में जब मोटी प्लेट को जोड़ा जाता है तो इसमें Double Fillet जोड़ लगाना पड़ता है जो काफी महंगा पड़ता है।
2.जब भी Tee-Joint लगाने की आवश्यकता पड़ती है तो कुशल कारीगरों का होना आवश्यक है अन्यथा जोड़ खराब होने के साथ ही दुर्घटना भी घट सकती है।
3.t-joint में मोटी प्लेटो को जोड़ने के लिए कोर सज्जा की आवश्यकता पड़ती है।
4.t-joint में बहुत अधिक मोटे और बहुत अधिक पतले जोड़ आसानी से असफल हो जाते हैं और अधिक समय तक टिक नहीं पाते हैं।
5.T-joint में fillet की Vee बड़ी होने कारण उसमे अधिक मात्रा में फिलर धातु भरनी पड़ती है।
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