Welding जोड़ के प्रकार
सामान्यतः वेल्डिंग जोड़ (Welding Joint) को निम्न प्रकार के वर्गों विभाजित में किया गया है-
1.बट जोड़ (Butt Joint)
2.टी जोड़ (Tee Joint)
3.लैप जोड़ (Lap Joint)
4.कार्नर जोड़ (Corner Joint)
5.एज जोड़ (Edge Joint)
विस्तार से पढ़े.....
- Butt Joint Welding क्या है? लाभ व हानि
- T-Joint क्या है? प्रकार और लाभ - हानि
- Lap Joint किसे कहते हैं? लाभ व हानि
- Corner Joint किसे कहते हैं? प्रकार और लाभ - हानि
- Edge Joint क्या है? लाभ व हानि
- वेल्डन जोड़ (Welding Joint) किसे कहते हैं?
1.बट जोड़ (Butt Joint)
बट जोड़ एक ऐसा जोड़ है, जिसमें जोड़े जाने वाले प्लेट के टुकड़ों के edge, एक दूसरे के आमने सामने रखे जाते हैं और फिर उन्हें वेल्डिंग किया जाता है। जब 3mm मोटी चादरों के किनारों को आपस में वेल्डिंग जोड़ द्वारा जोड़ना द्वारा जोड़ना होता है तो उन चादरों का किनारा तिरछा नहीं किया जाता है। इन चादरों में अच्छे से फ्यूजन प्राप्त करने के लिए दोनों प्लेट के किनारों के बीच प्लेट की मोटाई के अनुसार गैप रखा होता है।
Butt Joint |
बट जोड़ में अधिक मोटी प्लेटे, जिनकी मोटाई 10mm से अधिक होती है, ऐसी प्लेट की बट वेल्डिंग करने के लिए दोनों तरफ से वेल्डिंग करना चाहिए।
2.टी जोड़ (Tee Joint)
Tee Joint, ऐसा Joint है जिसमे दो प्लेटे इस प्रकार जोड़ी जाती हैं जो आपस मे 90° का कोण बनाती है और एक प्लेट के मध्य में दूसरी प्लेट को उस पर लंबवत अवस्था में वेल्डिंग किया जाता है। टी joint देखने मे अंग्रेज़ी के बड़े अक्षर 'T' जैसे दिखाई देती है। टी जॉइंट को अधिक मजबूत मजबूत बनाने के लिए इसको दोनों ओर से welding करना चाहिए जिससे ये और मजबूत हो जाते हैं। टी-जॉइंट में प्लेटो की विभिन्न मोटाई के अनुसार , प्लेट में कई तरह के Corner तैयार किये जाते हैं। जिसमे ऊपरी प्लेट के कार्नर को वेल्डिंग करने से पहले fillet , bevel , J आकार का बनाया जाता है।
Tee Joint |
3.लैप जोड़ (Lap Joint)
जोड़ी जाने वाली प्लेटों (कार्यखण्ड) को, जब एक-दूसरे के ऊपर चढ़ाकर जोड़ लगाया जाता है तो ऐसी वेल्डिंग जोड़ लगाने की प्रक्रिया लैप जोड़ (Lap Joint) कहलाती है। लैप जोड़ (Lap Joint) मे जोड़ी जाने वाली plate के किनारों की तैयारी नहीं करनी होती है जिसके कारण समय और कीमत दोनों का लाभ होता है। लैप जोड़ (Lap Joint) देखने में अधिक सुंदर नहीं लगते और साथ-साथ यह जोड़ अधिक टिकाऊ भी अधिक टिकाऊ भी जोड़ अधिक टिकाऊ भी अधिक टिकाऊ भी नहीं होते हैं। साधारण तौर पर Lap Joint पतली चादरो में लगाएं जाते हैं।
Lap Joint |
4.कार्नर जोड़ (Corner Joint)
Corner Joint ऐसा Joint है जिसमें दो प्लेटों के कोने (corner) को एक-दूसरे को किसी कोण पर मिलाकर आपस मे Welding किया जाता है इस प्रकार के जोड़ को कॉर्नर जोड़ (Corner Joint) कहते हैं। Corner Joint में भी प्लेट या कार्यखण्ड के किनारों को तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती है। कॉर्नर जॉइंट में में कार्य के हिसाब से हल्के एवं भारी कार्यों के लिए तीन प्रकार के जोड़ बनाया जा सकते जा सकते हैं, Flush, Half Open, Full Open। यह जोड़ सस्ते होते हैं क्योंकि किनारों की तैयारी की आवश्यकता नहीं रहती और फिलर मेटल भी कम खर्च होता है।
Corner Joint |
5.कोर जोड़ (Edge Joint)
जब दो प्लेटें एक दूसरे इस प्रकार रखी हो कि उनके जोड़ लगने वाले किनारे एक सीध में ना हो और इन किनारों को एक welding बीड की सहायता से जोड़ा जाता हो, तो ऐसे जोड़ को कोर जोड़ (Edge Joint) कहते हैं। यह जोड़ थोड़े से कमजोर होते हैं हैं से कमजोर होते हैं हैं कमजोर होते हैं हैं और इनमें फिलर मेटल भी बहुत कम लगता है।
Edge Joint |