पेंट लगाने के लिए सतह को किस प्रकार तैयार किया जाता है

पेन्ट करने के लिए सतह तैयारी (Surface Preparation for Painting in Hindi)

पेन्ट करने के लिए सतह तैयारी (Surface Preparation for Painting in Hindi) -:

जब किसी सतह पर पेन्ट करना होता है तो सतह को सबसे पहले तैयार कर लिया जाता है अर्थात उसको साफ सुथरा बना लिया जाता है और अन्य प्रकार के गड्ढे इत्यादि भर लिए जाते हैं तब जाकर के पेन्ट करने की प्रक्रिया की जाती है। किसी भी सतह पर पेंट करने से पहले सतह को तैयार करने की कुछ प्रमुख विधियां नीचे दी गई हैं जो निम्नलिखित हैं -

1. जंग तथा पपड़ी हटाना

2. चिकनाई हटाना

3. रगड़ना

4. छिद्र व गढ्ढे भरना

5. निचली परत तथा भराई पदार्थ


1. जंग तथा पपड़ी हटाना -:

जब लोहे पर जंग लगा होता है उस जंग को हटाने के लिए और उस पर लगी पपड़ी को हटाने के लिए कई विधियों को अपनाया जाता है और इन्हें साफ किया जाता है कुछ भी दिया निम्नलिखित नीचे दी गई है -

१. पिकलिंग (Pickling) - यह ऐसी विधि है जिसमें लोहे पर से जंग और पपड़ी को हटाने के लिए अम्लीय पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। यह अम्लीय पदार्थ सामान्यतः हाइड्रोक्लोरिक एसिड, फास्फोरिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं। इन सभी के अम्ल में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है जिसमें 10% घोल ठंडी अवस्था में उपयोग में आता है। सल्फ्यूरिक अम्ल सबसे सस्ता पड़ता है और इसका 50% घोल गरम अवस्था में लोहे पर जंग और पपड़ी को हटाने के लिए उपयोग में किया जाता है। हाइड्रोक्लोरिक एसिड मांगा होता है परंतु इसका प्रयोग करना काफी लाभदायक होता है व इससे अन्य कई प्रकार के फायदे होते हैं।

२. ज्वाला विधि (Flame Method) - यह ऐसी विधि है जिसमें ऑक्सी एसिटिलीन ज्वाला को बर्नरों की सहायता से सतह पर लगाकर जंग और पपड़ी को हटाया जाता है। इस प्रकार ऑक्सी एसिटिलीन ज्वाला से लोहे पर लगे जंग और पपड़ी पाउडर के रूप में बदल जाते हैं और उन्हें गर्म अवस्था में ही वहां से हटा दिया जाता है  तथा सतह को साफ कर लिया जाता है। पतली धातु के चादरों के लिए यह विधि अच्छी नहीं मानी जाती है क्योंकि जब ज्वाला की उष्मा पतली चादर के ऊपर पड़ती है तो पतली चादर विकृत होने लगती हैं इसलिए ज्वाला विधि का प्रयोग मोटी चादर के लिए किया जाता है।


2. चिकनाई हटाना -:

चाहे लोहे की सतह हो या अन्य किसी भी चीज की सतह हो। जब सतह पर चिकनाई होती है तो पेंट अच्छी तरह नहीं हो पाता है। इसलिए सतह की चिकनाई हटाने के लिए कई विधियों का प्रयोग किया जाता है जिसमें मुख्यतः दो विधियां निम्नलिखित है -

१. विलायक विधि - विलायक विधि में मिट्टी के तेल या सफेद स्प्रिट को ठंडी अवस्था में ही पेंट होने वाली सतह पर लगाया जाता है तो सतह पर लगी हुई चिकनाई हट जाती है। अगर सतह से चिकनाई कारखानों में हटाना होता है तो इसके लिए ट्राईक्लोरोथाईनिल की वाष्प से सतह पर प्रहार किया जाता है, जिससे चिकनाई बहुत ही आसानी से और कम श्रम का उपयोग करने से दूर हो जाती है।

२. क्षार विधि - इस विधि में जलीय क्षारों के द्वारा सतह पर चर्बी के तेल का साबुनीकरण कराया जाता है जिसके फलस्वरूप साबुन इमल्शन का निर्माण होता है। इस विधि में कास्टिक सोडा और सोडियम बाई कार्बोनेट जैसे क्षारों का प्रयोग किया जाता है। जब यह भूल बन जाते हैं तो इन्हें 85℃ के तापमान पर गर्म किया जाता है और इन्हें प्रयोग में लाया जाता है। इस घोल का प्रयोग करने के लिए सतह पर इन्हें स्प्रे करके चिकनाई को हटाया जाता है या फिर सतह को ही इस घोल में डालकर सतह की चिकनाई हटा दिया जाता है।


ये भी पढ़े....


3. रगड़ना -:

जिस सतह पर पेंट करना होता है उस पर रेगमाल की सहायता से रगड़ा जाता है और सतह को चिकना बनाया जाता है। सतह पर रगड़ने से पहले यह ध्यान दिया जाता है कि सबसे पहले इस पार मोटी रेगमाल का प्रयोग हो। क्योंकि जब सतह पर मोटी रेगमाल का प्रयोग होता है तो जमा हुआ पदार्थ हट जाता है। मोटे रेगमाल को रगड़ते समय अधिक दाब दिया जाता है ताकि जब बारीक रेगमाल रगड़ा जाए तो कम दबाव में ही काम चल जाए। मोटी रेगमाल प्रयोग करने के बाद जब जमा हुआ पदार्थ निकल जाता है तो बारीक रेगमाल का प्रयोग करते हैं और इसे सतह पर रगड़ते समय सदैव वृत्ताकार घुमाया जाता है। रेगमाल को सतह पर तभी रगड़ना चाहिए जब सतह सुखी हुई हो और ऐसा करते समय बीच-बीच में कपड़े से सतह को पोछ लेना चाहिए और सतह का परीक्षण करते रहना चाहिए कहीं गलत तरीके से तो नहीं रेगमाल को रगड़ा जा रहा है। अगर लोहे की सतह पर रेगमाल का प्रयोग किया जा रहा है तो पोछ देने से उस पर पड़े हुए ऑक्साइड की सतह और जंग इत्यादि हट जाते हैं। अगर आवश्यक हो तो धातु की सतह पर जब रेगमाल प्रयोग किया जा रहा है तो पानी में बने साबुन के घोल को स्नेहक के रूप में आसानी से प्रयोग किया जा सकता है, जिससे धातु के रेशे जलरोधी रेगमाल में फंसने से हट जाती हैं और साबुन के घोल वाला स्नेहक धातु के रेशो को बहा कर अपने साथ ले कर चला जाता है। रेगमाल करते समय यह ध्यान देना चाहिए की उभार वाले स्थान पर सावधानीपूर्वक रगड़ा जाए और जब किनारा आए तो वहां पर बहुत ही सावधानीपूर्वक रगड़न करना चाहिए क्योंकि दाब देकर रगड़ने से किनारे खराब हो सकते हैं।


4. छिद्र व गढ्ढे भरना -:

किसी भी सतह पर छिद्र व गढ्ढे भरने के लिए उस पर प्रारंभिक लेप लगा देना चाहिए और उसके बाद सतह पर बने हुए छिद्र व गड्ढे इत्यादि को चाकू स्टॉपर का प्रयोग करते हुए भर देना चाहिए। भरे जाने वाला पदार्थ गाढ़े पेस्ट के रूप में उपलब्ध होता है। अतः गड्ढों और छिद्रों में इस गाढ़े पेस्ट को सतह से थोड़ा और ऊपर तक भरा जाता है और जब सतह सूख जाता है तो इसे रगड़कर सतह के बराबर कर लिया जाता है।

अगर धातु में गहरे गड्ढे हैं तो इन्हें सोल्डर का उपयोग करके ही भरा जा सकता है। जब सोल्डर द्वारा गड्ढे भरे जाते हैं तो सबसे पहले गड्ढों को भलीभांति साफ कर लिया जाता है और फिर गैस टॉर्च की सहायता से सोल्डर को गर्म करके गड्ढों में सोल्डर को भर दिया जाता है। जब सोल्डर से गड्ढों को भरा जा रहा हो तो भीगे हुए चमड़े से बीच-बीच में इन्हें थपथपाते रहना चाहिए। जिससे अच्छी तरह यह सतह पर चिपके रहे। जब लोहे में गड्ढों को सोल्डर की सहायता से भर दिया जाता है तो बाद में रेती से इन्हें सतह के बराबर कर लिया जाता है और रेगमाल की सहायता से सतह के बराबर बना दिया जाता है।


5. निचली परत तथा भराई पदार्थ -:

जिस सतह पर पेंट किया जाता है अगर उस सतह पर छेद और गड्ढे हो जाते हैं तो उन्हें भरना पड़ता है। उन्हें भरने के लिए इस स्टॉपर का प्रयोग किया जाता है। जब स्टॉपर सूख जाते हैं तो यह बिना सूकड़े हुए कठोर हो जाते हैं, जब भी ये कठोर हो जाते हैं तो इन्हें रेगमाल से रगड़ा जाता है।

अगर पेंट की जाने वाली सतह पर छोटे गड्ढे या खोखले स्थान होते हैं तो उन्हें फिल्टर मटेरियल की सहायता से ही भर देते हैं। इनके लिए स्टॉपर का उपयोग नहीं करते हैं। यह फिल्टर मटेरियल सूखने के बाद कठोर हो जाते हैं। इस तरह जब सतह की भराई हो जाती है तो उन्हें रगड़कर चिकनी सतह प्राप्त कर लेते हैं। छिद्रों और दरारों को भरने के लिए पेस्ट भराई वाले पदार्थों का उपयोग करते हैं, जिसमें पुटीन (Putty) एक प्रकार का स्टॉपर है। जिसका प्रयोग आमतौर पर खिड़कियों, दरवाजों को भरने के लिए किया जाता है। पुट्टी का प्रयोग लकड़ी और धातु की सतह पर खरोच तथा छोटे छिद्रों को भरने में किया जाता है।

जब पुट्टी को बनाया जाता है तो प्राकृतिक कैलशियम कार्बोनेट 200 भाग, कच्चा अलसी के तेल 32 भाग और मृदु साबुन का एक भाग मिश्रित किया जाता है। जो पुटीन लकड़ी के कार्य में प्रयोग किए जाते हैं उनमें पीली मिट्टी, सरेस तथा पानी मिलाए जाते हैं और जब धातु की सतह पर पुट्टी का प्रयोग करते हैं तो में चर्बी अम्ल को भी मिला दिया जाता है।

जब हमें उच्च कोटि की पुटीन बनानी होती है तो उसमें थोड़ी सी मात्रा वार्निश व सफेदा को मिलाना पड़ता है। इस तरह इसे मिलाकर के आसानी से निचली परत और गड्ढे छिद्रों और दरारों इत्यादि को भरा जा सकता है।


ये भी पढ़े....

Post a Comment

0 Comments