1. पसीजना (Sweating)
2. झुर्रियां (Wrinkling)
3. छिलना (Chipping)
4. बादली (Cloudness)
5. मलीनता (Dulling)
6. चटकना (Cracking)
1. पसीजना (Sweating) - वार्निश को जो रगड़ा जाता है तो उसमें एक विशेष प्रकार की चमक आ जाती है जो एक प्रकार का दोष होता है। इस दोष को पसीजना कहते हैं। परंतु कुछ वार्निश ऐसी भी होती है जिनको जब रगड़ा जाता है तो तेल की महीन बूंद जैसा पदार्थ निकलता है जिसे पसीजना की श्रेणी में डाल दिया जाता है।
2. झुर्रियां (Wrinkling) - कभी-कभी ऐसा होता है कि जब सतह पर वार्निश को लगाया जाता है तो एक झुर्रियों का समूह वार्निश पर प्राप्त होने लगता है जिसे वार्निश पर झुर्रियां लगना कहते हैं। इस दोष के उत्पन्न होने का मुख्य कारण यह है कि जब इसमें शोषक की मात्रा आवश्यकता से अधिक मिला दिया जाता है तो ब्रुश द्वारा अधिक मोटा परत पर लगने लगता है जिसके फलस्वरूप झुर्रियां युक्त वार्निश की सतह प्राप्त होती है और यह दोष उत्पन्न हो जाता है। इस दोष के उपचार के लिए आवश्यक यह है कि जब वार्निश को बनाया जाए तो शोषक की मात्रा निश्चित करके ही वार्निश का निर्माण किया जाए और जब सतह पर वार्निश का लेप किया जाए तो वार्निश को अधिक मोटे परत के रूप में लगने दें, बल्कि इसे पतली परत के रूप में सतह पर लगाएं।
3. छिलना (Chipping) - जब सतह पर आखिरी लेप अच्छी तरह की चिपक नहीं पाता है तो यह दोष उत्पन्न होने लगता है। जिस सतह पर वार्निश लगाया जाए उसमें नमी नहीं होनी चाहिए। अक्सर देखा गया है कि लकड़ी की जो सतह नमी युक्त होती है उस पर जब वार्निश लगाया जाता है तो यह दोष उत्पन्न हो जाता है। कभी-कभी ये दोष तब भी आ जाता है जब वार्निश को दोषपूर्ण स्थित में लगाया जाता है।
4. बादली (Cloudness) - जब कभी नम सतह पर वार्निश लगाया जाता है तो यह दोष उत्पन्न हो जाता है जो देखने में बादल के आकार के दिखाई देते हैं। यह दोष तारपीन के तेल या अन्य विरलको के कारण उत्पन्न होता है।
5. मलीनता (Dulling) - जब वार्निश की गई सतह सूख जाती है तो मलीनता का दोष उत्पन्न होता है। इस दोष के कारण सतह चमकीली ना होकर के मलिन दिखाई पड़ती है। इस दोष के उत्पन्न होने का मुख्य कारण तारपीन का तेल या स्प्रिट की अधिकता होना होता है। हाइड्रोजन सल्फाइड के वातावरण के प्रभाव के कारण भी यह दोष उत्पन्न होता है।
6. चटकना (Cracking) - कभी-कभी सतह पर अनियमित रेखाएं बन जाती है जिसके फलस्वरूप सतह चटकने लगता है। इस प्रकार चटकन दोष उत्पन्न हो जाता है। यह दोष उत्पन्न होने का प्रमुख कारण वायुमंडल में नम व शीतल हवा का सतह पर लगना या सूर्य की तेज गर्मी सतह पर लगना, जिसके कारण चटकना (Cracking) दोष उत्पन्न हो जाता है।
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