पेन्ट के अवयव - Ingredients of Paints in Hindi

पेन्ट के अवयव - Ingredients of Paints in Hindi

प्रलेप या पेन्ट मुख्य तत्व/अवयव (Ingredients of Paints) -:

पेंट को बनाने के लिए उसमें कई प्रकार के तत्व मिलाए जाते हैं। कार्यशालाओं और अन्य स्थानों पर जो पेन्ट तैयार किये जाते हैं उनमें पेन्ट निम्नांकित अवयवों को मिलाया जाता है।

1. आधार (Base)

2. वाहक या बंधक (Vehicle or Binder)

3. विरलक या विलायक (Thinner or Solvent)

4. शोषक (Dricrs)

5. रंजक (Pigments)

6. अक्रिय पूरक (Insert Filler)


1. आधार (Base) -:

यह पेन्ट का सबसे मुख्य अवयव है जिसका मुख्य कार्य सतह को पेंटिंग योय उपयुक्त बनाना होता है। आधार ऐसा पदार्थ होता है जो पेन्ट के सूखने के पश्चात् उसे चटकने नहीं देता है और पेन्ट की परत को मोटी बनाकर उसे मजबूत, कठोर तथा अपकर्षणरोधी (Abrasion Resistant) बनाने कार्य करता है। आधार के कारण नमी सतह तक नहीं पहुँच पाती है और इसमें बन्धक का गुण भी होता है। आधार के रूप में जो पदार्थ प्रयोग किए जाते हैं वे धातुओं के ऑक्साइड होते हैं जिन्हें बारीक पाउडर के रूप में पीसा जाता है और उनका उपयोग किया जाता है। आधार के रूप में प्रयोग होने वाले कुछ महत्वपूर्ण पदार्थों के नाम नीचे दिए गए हैं जिनका वर्णन भी किया गया है।


१. सफेदा (White Lead) -:

सफेदे का उपयोग आधार के रूप में सबसे अधिक किया जाता है। सफेदा में सीसा कार्बोनेट (Lead Carbonate) होता है जो प्रलेप/पेन्ट बनाने वालों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यह हानिकारक ना हो इसके लिए इसमें टाइटेनियम आक्साइड या मैगनीशियम सिलिकेट इत्यादि पदार्थ मिलाये जाते हैं। मार्केट में यह अलसी के तेल के नाम से जाना जाता है। आधार के रूप में प्रयोग होने वाले अन्य पदार्थों की तुलना में सफेदा काफी सस्ता होता है। इसके अंदर सघन, स्थाई तथा जलरोधी का गुण होता है, किंतु यह जहरीला माना जाता है और जब इस पर गंधक का धुंआ पड़ता है तो यह काला हो जाता है। सफेदा लोहे की सतह के लिए अच्छी तरह काम नहीं करता है क्योंकि जब लोहे पर जंग लगती है तो उसे रोकने में यह असमर्थ होता है। सफेदा का सबसे अधिक प्रयोग लकड़ी के ऊपर पेन्ट करने में किया जाता है। 


२. सिन्दूर (Red Lead) -:

सिंदूर वास्तव में शीशे का एक साइड होता है। जिसकी धसन सामर्थ्य बहुत अधिक होती है। जब इसको लकड़ी की सतह पर लगाया जाता है तो यह काफी गहराई तक प्रवेश करता है। इसके इस गुण के कारण इसे लकड़ी और लोहे के सतह पर प्रारंभिक लेप के रूप में प्रयोग किया जाता है। सिंदूर को जब अलसी के तेल के साथ मिलाकर पेंट किया जाता है तो यह सतह पर बहुत ही शीघ्रता के साथ सूख जाता है। इसीलिए इसे बाजार में अलसी के तेल में बने घोल के रूप में ही बेचा जाता है।


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३. श्वेत जस्ता या जस्ता ऑक्साइड (White Lead or Zinc Oxide) -:

जब श्वेत प्रलेप (White Paint) बनाना होता है तो इसको मिलाकर बनाने से यह आधार का कार्य करता है। यह काफी चिकना, पारदर्शक और विषहीन होता है। सफेदे की तुलना में यह सतह को अच्छी तरह ढकने का सामर्थ्य नहीं रखता है और यह महंगा भी होता है। जस्ता ऑक्साइड पर जब कार्बन डाइऑक्साइड पड़ती है तो यह काफी प्रभावित होता है। इस पर अन्य अम्लों का भी काफी प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसे सफेदे के साथ मिलाकर उपयोग में लाया जाता है। अगर इसको सफेदे के साथ मिलाकर प्रयोग में नही लाया जाता है तो पेंट होने वाली सतह पर दरारे पड़ जाती हैं और यह टिकाऊ भी नहीं हो पाता है।


४. लोहे का ऑक्साइड (Iron oxide) -:

यह ऐसा आधार है जो पेंट में लाल रंग को प्रदान करता है। इसका प्रयोग तभी किया जाता है जब हमें उच्च कोटि का पेंट बनाना होता है। यह काफी सस्ता होता है और साथ-साथ टिकाऊ भी होता है। इसका प्रयोग करने के लिए इसे उपयुक्त वाहक के साथ मिलाकर बनाया जाता है, जिसे लोहे पर प्रारंभिक लेप के रूप में लगाया जाता है।


५. टाइटेनियम श्वेत (Titanium White) -:

टाइटेनियम श्वेत एक अपारदर्शक पदार्थ होता है परन्तु इसकी पतली परत पारदर्शी होती है। इसका उपयोग भी आधार के रूप में ऐनेमल पेन्ट (Enamel) को बनाने में किया जाता है।


६. एल्यूमिनियम ऑक्साइड (Aluminium oxide) -:

जब एलुमिनियम पेंट को बनाया जाता है तो उसमें एल्यूमीनियम ऑक्साइड का प्रयोग किया जाता है। एल्यूमिनियम ऑक्साइड की जो पेंट बनाए जाते हैं वह लोहे और लकड़ी दोनों पर लगाए जा सकते हैं।  एल्यूमिनियम ऑक्साइड को जब लकड़ी पर लगाई जाती है तो यह लकड़ी को फटने या ऐंठने से रोकने का कार्य करते हैं। एल्यूमिनियम ऑक्साइड का पेन्ट थोड़ा सा अंधेरे में चमकता भी है। इसका प्रयोग नई लकड़ी पर प्रारंभिक लेपन के रूप में किया जाता है।


2. वाहक या बंधक (Vehicle or Binder) -:

यह पेन्ट का दूसरा अवयव होता है। इसमें आधार मैटीरियल (Base Material) को मिलाकर पेन्ट बनाया जाता है। वाहकों का मुख्य कार्य पेन्ट की क्षमता को बेहतर करना होता है जिससे उसे सतह पर एक समान रूप से फैलाया जा सके। वाहक या बंधक पेंट के घटकों को आपस में बांधकर रखने का कार्य करते हैं और पेन्ट को सतह पर चिपकाते हैं। इस प्रकार वाहक या बंधक पेन्ट में होने वाली सतह को समतल करने का कार्य करते हैं। वाहक के रूप में जंतु के तेल, वनस्पति तेल तथा रेजिन का प्रयोग किया जाता है। अलसी का तेल भी बंधक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। अलसी के तेल को जब बांध के रूप में प्रयोग करते हैं तो इसे कच्ची पक्की अवस्था दोनों में उपयोग में लाया जा सकता है यदि अलसी का तेल पका हुआ होता है तो उसमें नमी की मात्रा घट जाती है और साथ-साथ यह काफी गाढ़ा भी हो जाता है इस प्रकार जब पके हुए अलसी का तेल का उपयोग किया जाता है तो पेंट जल्दी सूख जाती है। और जब अलसी के तेल को कच्ची अवस्था में उपयोग में लाया जाता है तो यह काफी हल्का और पतला होता है और इससे जो पेंट बनाए जाते हैं यह काफी देर से सुखते हैं। कच्ची अलसी के तेल से बनाए जाने वाले पेन्ट आंतरिक सतह की पेंटिंग के लिए अधिकांश उपयोग में लाए जाते हैं। अलसी के तेल के सामान्य अन्य कई प्रकार के तेल वाहक या बंधक के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं जिनमें से कुछ नाम निम्न है जैसे - पोस्त का तेल (Poppy Oil), सोयाबीन का तेल, बिनौले का तेल, अखरोट का तेल (Walnut Oil) तथा मछली का तेल भी बंधक के रूप में प्रयोग में लाया जाता हैं।


3. विरलक या विलायक (Thinner or Solvent) -:

Thinner एक ऐसा पदार्थ होता है जिसे पेंट में मिलाया जाता है तो गाढ़ा पेंट बहुत ही आसानी से पतला हो जाता है और इस पतले पेन्ट को आसानी से सतह पर फैलाया जा सकता है। विरलक या विलायक (Thinner or Solvent) वाष्पशील पदार्थ होता है। वाष्पशील पदार्थ होने के कारण जिस पेंट में यह मिला हुआ होता है वह बहुत ही सरलता और शीघ्रता से सूख जाता है। पेन्ट में थिनर मिलाने से, पेन्ट की सतह पर फैलने और सतह को कवर करने की क्षमता बढ़ जाती है। विरलक के रूप में तारपीन का तेल भी प्रयोग में लाया जा सकता है। इस तारपीन के तेल को पाइन वृक्षों (Pine Trees) से प्राप्त किया जाता है। तारपीन के तेल रंगहीन माने जाते हैं और यह पारदर्शक होते हैं। तारपीन के तेल का वाष्पीकरण बहुत ही शीघ्रता से होता है। तारपीन के तेल से मिलकर बने हुए पेंट लकड़ी के छिद्रों में प्रवेश करके पेंट को टिकाऊ बनाने का कार्य करते हैं। तारपीन के तेल का प्रयोग शोषक के रूप में भी किया जाता है। तारपीन के तेल के मिश्रण से जो पेंट बनाए जाते हैं उनका प्रयोग सबसे अधिक भीतरी सतहों को पेंट करने में किया जाता है। तारपीन के तेल के अतिरिक्त बेन्जीन, मिट्टी का तेल तथा स्प्रिंट आदि को विरलक के रूप में प्रयोग करते हैं।


4. शोषक (Dricrs) -:

शोषक ऐसे पदार्थ होते हैं जिनका उपयोग पेंट को शीघ्रता से सुखाने के लिए किया जाता है। शोषक वायुमंडल से ऑक्सीजन का शोषण करते हैं और वह वाहक को देते हैं और वाहक ऑक्सीजन को पाकर ऑक्सीकृत हो जाता है और कठोर बन जाता है। परंतु शोषक का अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि शोषक पेंट के लचीलापन और रंग को हानि पहुंचाते हैं। अतः जब सतह पर पेन्ट की अंतिम कोटि की जाती है तो शोषक को पेंट में नहीं मिलाया जाता है। सदैव शोषक का उपयोग आवश्यकता अनुसार ही करना चाहिए क्योंकि इसका अधिक उपयोग करने से पेंट की प्रत्यास्थता को कम हो जाती है और पेंट कठोर हो जाता है। शोषक के रूप में लिथार्ज, मैंगनीज डाइऑक्साइड, लेड ऐसीटेट (Lead Acetate) आदि का उपयोग किया जाता है। मार्केट में कुछ शोषक को जापानस (Japans) के व्यावसायिक नाम से बेचा जाता हैं।


5. रंजक (Pigments) -:

रंजकों पेन्ट को आवश्यक रंग प्रदान करते हैं। धूप, ऊष्मा, नमी तथा अम्लिक प्रभावों से रंजक का रंग फीका पड़ने लगता है। अतः रंजक का चयन करते इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उपरोक्त से प्रभावित न हो सके। किसी भी उपयुक्त रंजक को पेन्ट में मिलाकर पेन्ट को इच्छानुसार रंग प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार दो या दो से अधिक रंजक वर्णकों को मिलाकर इच्छानुसार रंगों के शेड्स (Shades) के निर्माण किये जा सकते हैं।


6. अक्रिय पूरक (Insert Filler) -:

यह ऐसे पदार्थ होते हैं जिनका उपयोग पेंट की कीमत बढ़ाने और घटाने के लिए किया जाता है। इस प्रकार ऐसे पदार्थ जो पेंट की कीमत घटाने और बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं उन्हें अक्रिय पूरक पदार्थ कहते हैं। अक्रिय पूरक को पेंट में मिलाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि आधार पदार्थ की मात्रा से एक चौथाई से अधिक नहीं होने पाए अन्यथा पेंट खराब हो जाएगा। अक्रिय पूरक के रूप में पेन्ट की खड़िया व मिट्टी, एल्यूमिनियम, सिलीकेट, बैरियम सल्फेट आदि अक्रिय पूरक की तरह प्रयोग में लाये जाते हैं।



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