Turning Process क्या है? Lathe Machine Turning Operation in hindi

खराद (Turning) वह प्रक्रिया जिसमें कार्यखंड को एक चक (chuck) में बांधकर मशीन की अक्ष के विरुद्ध घुमाया जाता है तथा रेखीय गति करने वाले टूल की सहायता से फालतू धातु को काटकर को अलग कर दिया जाता है। इस प्रकार जॉब में से फालतू धातु को काटकर अलग करने की प्रक्रिया Turning Process कहलाती है। Turning को हिंदी में खराद भी कहा जाता है जिसका मतलब है जॉब में स्थित फालतू या उपयोग में न होने वाली धातु को अलग करना।

●Turning operation में कटिंग टूल केवल रैखिक गति करती है।

Turning operation में जॉब में से फालतू धातु को काटकर अलग किया जाता है।

●जब भी turning process किया जाता है तब तो कार्यखण्ड गतिशील होता है जो घूर्णन गति करता है।


Turning (खराद)
Turning Process 

टर्निंग ऑपरेशन करने के लिए एक विशेष प्रकार की मशीन का प्रयोग किया जाता है जिसे लेथ मशीन कहते हैं लेथ मशीन के द्वारा वृत्ताकार अनुप्रस्थ काट वाले कई सारे पार्ट्स बनाए जा सकते हैं। वैसे सामान्यतः देखा जाए तो इंजीनियरिंग उद्योग में अधिकतर पार्ट्स गोलाकार ,शंकु आकार और बेलनाकार ही होते हैं।


खराद मशीन पर निम्नलिखित टर्निंग ऑपरेशन आसानी से किए जा सकते हैं-

1.Taper Turning

2.Profile Turning

3.Facing

4.अन्तः टर्निंग (Boring Turning)

5.नार्लिंग (Knurling)

6.सीधी या बेलनाकार टर्निंग (Straight या  Cylindrical Turning)

7.Drilling

8.चूड़ी काटना (Threading)


1.Taper Turning

इस प्रक्रिया को इससे टर्निंग के समान माना जाता है परंतु इसमें कटिंग टूल, जॉब की कटाई अक्ष के समांतर चलने के स्थान पर एक निश्चित कोण पर चलाया जाता है अर्थात cutting tool को एक निश्चित कोण पर सेट करके चलाया जाता है। टेपर टर्निंग में कटिंग से प्राप्त सतह बेलनाकार ना होकर शंकु आकार की होती है।


2.Profile Turning

प्रोफाइल टर्निंग में एक विशेष प्रकार की प्रोफाइल कटिंग टूल का प्रयोग किया जाता है जिसे जॉब पर कोई विशेष प्रोफाइल काटने के लिए डिज़ाइन किया गया  होता है। इस औजार को हमेशा टर्निंग अक्ष के लम्बवत ही प्रयोग करते हैं।


3.Facing

फेसिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कटिंग टूल को को जॉब की turning अक्ष के लंबवत चलाया जाता है तथा जॉब को घुमा कर उसकी एक सिरे एक सिरे उसकी एक सिरे एक सिरे पर स्थित फेस पर टर्न किया जाता है।


4.अन्तः टर्निंग (Boring Turning)

यह भी एक प्रकार की स्ट्रेट टर्निंग की प्रक्रिया है इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम एक ड्रिल की सहायता से जॉब में एक छिद्र कर लिया जाता है उसके बाद बोरिंग टूल की सहायता से इस छिद्र के व्यास को बढ़ाने का कार्य किया जाता है टर्निंग के द्वारा छिद्र के व्यास को बढ़ाने की प्रक्रिया की प्रक्रिया को ही अन्तः टर्निंग या बोरिंग कहते हैं।


5.नार्लिंग (Knurling)

जब कार्यखण्ड के किसी विशेष भाग को हाथ से पकड़ने के लिये जॉब को मजबूती प्रदान करने के लिए सतह को खुरदरा किया जाता है तो इस प्रकार की प्रक्रिया नर्लिंग कहलाती है। इस प्रक्रिया के लिए जो टूल प्रयोग की जाती है उस टूल को नर्लिंग टूल कहते हैं। नर्लिंग प्रक्रिया में अक्ष के लंबवत और जॉब की सतह के विरुद्ध टूल द्वारा 1दबाने से सतह खुरदरी हो जाती हो जाती है।


6.सीधी या बेलनाकार टर्निंग (Straight या  Cylindrical Turning)

 यह ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कटिंग टूल जॉब की टर्निंग अक्ष अक्ष के समांतर चलाया जाता है तथा जॉब को अक्ष के विरुद्ध इस प्रकार घुमाया जाता है कि कटिंग टूल लगातार कटाई करके चिप्स बनाती रहे।


7.Drilling

खराद मशीन पर बोरिंग ऑपरेशन करने से पहले ड्रिलिंग करना आवश्यक होता है। ड्रिलिंग करने के लिए ड्रिल को टेल स्टॉक में पकड़ा जाता है और उसके बाद इसे घूमते हुए कार्यखंड के विरुद्ध ड्रिल को दबाया जाता है। लेथ मशीन के अतिरिक्त ड्रिलिंग करने के लिए एक विशेष प्रकार की मशीन का भी प्रयोग किया जाता है जिसे ड्रिलिंग मशीन कहते हैं। ड्रिलिंग मशीन में ड्रिल को एक घूमते हुए स्पिंडल में बांध में बांध हुए स्पिंडल में बांध दिया जाता है। और घूमते हुए स्पिंडल में लगे हुए ड्रिल को जॉब के विरुद्ध दबाकर ड्रिलिंग की प्रक्रिया आसानी से कर दी जाती है।


8.चूड़ी काटना (Threading)

लेथ मशीन के द्वारा किसी भी कार्यखण्ड पर बाह्य चूड़ियां और आंतरिक भाग में चूड़ियां काटी जाती हैं। इसके लिए सर्वप्रथम जॉब का स्ट्रेट टर्निंग द्वारा चूड़ी का बाहरी व्यास और आंतरिक व्यास बनाया जाता है। उसके पश्चात गियर की सहायता से स्पिंडल तथा औजार के मध्य एक निश्चित गति अनुपात स्थापित किया जाता है। और तब निश्चित पिच सेट करके निश्चित पिच की चूड़ियां काटी जाती हैं।



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