खनिज ऊन क्या है? प्रकार & प्रयोग । Mineral Wool in Hindi

खनिज ऊन (Mineral Wool) -:

खनिज ऊन एक प्रकार की रेशेदार सामग्री होती है। जब कोई खनिज पिघलता है तो उसके स्लैग और सिरेमिक को काटकर या ड्राइंग करके करके खनिज ऊन का निर्माण किया जाता है। खनिज ऊन को खनिज फाइबर, मानव निर्मित कांच या फाइबर, खनिज कपास इत्यादि नामों से जाना जाता है।

स्लैग वूल/खनिज ऊन को पहली बार 1840 में वेल्स में एडवर्ड पैरी ने बनाया था। उत्पादन के बाद ऊन को सीमित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है जिसके कारण यह थोड़ी सी हवा के साथ काम करने लगा और साथ ही पुरुषों के लिए इतना हानिकारक हो गया है कि इस प्रक्रिया को ही छोड़ना पड़ा। खनिज ऊन बनाने की एक विधि का संयुक्त राज्य अमेरिका में भी अपनाई गई। 1870 में जॉन प्लेयर द्वारा खनिज ऊन का पेटेंट कराया गया था और पहली बार व्यावसायिक रूप से 1871 ओस्नाब्रुक जर्मनी में जॉर्ज्समारिएनहट्टे में उत्पादित किया गया था।

खनिज ऊन


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यह खनिज ऊन तापमान इन्सुलेशन के रूप में उपयोग के लिए बनाई गई है और आमतौर पर 1,000 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान के प्रतिरोधी होने के रूप में इसको जाता है। अतः इस प्रकार के इन्सुलेशन को औद्योगिक भट्टियों और फाउंड्री में प्रयोग लाया जाता है। उच्च तापमान वाले खनिज ऊन का उत्पादन काफी महंगा होता है जिसके कारण इसकी उपलब्धता भी सीमित होती है। इसलिए सामान्यतः खनिह ऊन का उपयोग विशेष रूप से उच्च तापमान वाले औद्योगिक अनुप्रयोगों और प्रक्रियाओं में सबसे ज्यादा किया जाता है।


खनिज ऊन के प्रकार (Types of Mineral Wool in Hindi) -:

1. क्षारीय पृथ्वी सिलिकेट ऊन

2. एल्युमिनो सिलिकेट ऊन

3. पॉलीक्रिस्टलाइन ऊन

4. कावूल


1. क्षारीय पृथ्वी सिलिकेट ऊन -:

ग्लास फाइबर से कैल्शियम ऑक्साइड का एक संयोजन के पिघलने से इस ऊन को उत्पादित किया जाता है। मैग्नीशियम ऑक्साइड और सिलिकॉन डाइऑक्साइड ऊन से बने क्षारीय पृथ्वी सिलिकेट ऊन के उत्पाद आमतौर पर उन घरेलू उपकरणों में उपयोग किए जाते हैं जो लगातार चलते रहते हैं।


2. एल्युमिनो सिलिकेट ऊन -:

एल्युमिनो सिलिकेट ऊन को रेफ्रेक्ट्री सिरेमिक फाइबर के नाम से जाना जाता है। इसमें एल्यूमीनियम ऑक्साइड और सिलिकॉन डाइऑक्साइड के मिश्रण को पिघलाकर बिना आकार वाले फाइबर उत्पन्न होते हैं। एल्युमिनो सिलिकेट ऊन से जो उत्पाद बनते हैं वे सामान्यतौर पर उन उपकरणों के लिए 900℃ से अधिक तापमान पर प्रयोग में लाए जाते हैं।


3. पॉलीक्रिस्टलाइन ऊन -:

पॉलीक्रिस्टलाइन ऊन में फाइबर होते हैं जिनमें कुल सामग्री के 70 प्रतिशत से अधिक एल्यूमीनियम ऑक्साइड होता है और जलीय कटिंग प्रक्रिया से सोल-जेल विधि द्वारा उत्पादित किया जाता है।पॉलीक्रिस्टलाइन ऊन का उपयोग आमतौर पर 1300℃ से अधिक के तापमान पर प्रयोग में लाया जाता है। 


4. कावूल -:

कावूल एक प्रकार का उच्च तापमान वाला खनिज ऊन होता है जो खनिज काओलिन का उपयोग करके निर्मित किया जाता है।21 वीं सदी में इसका उपयोग अब बहुत अधिक किया जा रहा है। यह 1,650℃ के आस पास तापमान को आसानी से सह सकता है।


खनिज ऊन के उपयोग (Use of Mineral Wool in Hindi) -:

1) इसका उपयोग आग के प्रसार को रोकने के लिए आसानी से किया जा सकता है।

2) खनिज ऊन को उच्च तापमान प्रतिरोधक का होने के कारण से औद्योगिक भट्टियों में उपयोग किया जाता है।

3) उच्च तापसह ईंट के रूप में भी इसी का प्रयोग करते हैं।

4) खनिज ऊन के रेशेदार प्रकृति पौधे को स्थिर रखने के लिए एक अच्छी यांत्रिक संरचना भी प्रदान करते हैं।

5) इसका उपयोग कच्चे माल के रूप में घर्षण सामग्री, गास्केट, प्लास्टिक और कोटिंग में करते हैं।


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