प्लाईवुड (Plywood) के बारे में जानकारी । लाभ

क्या है प्लाईवुड (Plywood in Hindi) -:

प्लाईवुड एक ऐसी लकड़ी है जिसमें वीनियर की पतली पतली शीटों को एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है। जब वीनियर की लकड़ी को एक दूसरे को ऊपर रखा जाता है तो इनके रेशे आपस में लंबवत होते हैं। वीनियर की लकड़ियों को आपस में रखने के बाद इन्हें उपयुक्त चिपकाने वाले आसंजक का उपयोग करते हुए चिपका देना चाहिए और चिपकाने के फलस्वरुप गरम विधि में हाइड्रोलिक प्रेस का उपयोग करना चाहिए जिससे वीनियर की शीट आपस में अच्छी तरह चिपक सके। जब इन वीनियर शीटों को आपस में चिपकाया जाता है तो इन पर दाब लगाने की आवश्यकता होती है यह दाब लगाने की प्रक्रिया गरम विधि या शीत विधि कोई भी हो सकती है।


प्लाईवुड (Plywood in hindi)
प्लाईवुड (Plywood)


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वैसे तो सामान्यतः गर्म विधि के हाइड्रोलिक प्रेस का ही उपयोग करते हैं। जब हाइड्रोलिक प्रेस का उपयोग करके वीनियर शीटों को चिपकाया जाता है तो हाइड्रोलिक प्रेस का तापमान 150 ℃ से 260 ℃ तक होता है और जब उस पर दाब दिया जाता है तो यह दाब 7 किलोग्राम प्रति सेंटीमीटर स्क्वायर के आसपास रखा जाता है। अगर वीनियर की शीटों को शीत विधि द्वारा चिपकाया जाता है तो इसमें तापमान को कमरे के ताप पर रखा जाता है और शीटों पर दाब लगाकर के आपस में चिपका दिया जाता है। जब वीनियर की शीटें आपस में अच्छी तरह चिपक जाती है तो यह प्लाईवुड बन जाती है। इस प्रकार प्लाईवुड का निर्माण होता है।

प्लाईवुड को बनाते समय हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि व्हीलर c2 की संसार इसमें रहे अर्थात इन शीटों की संख्या 3, 5, 7 रखकर ही विषम संख्या में बनाई जाती है। जब यह विषम संख्या में बनती है तो इसी के अनुसार प्लाईवुड का नाम भी दिया जाता है जैसे -त्रिप्लाई, पांचप्लाई आदि। किसी भी प्लाईवुड के गुण उनकी प्लाई की संख्या, मोटाई, लंबाई और चौड़ाई के ऊपर निर्भर करते हैं। सामान्यतः प्लाईवुड का आकार 25mm मोटा, 90 से 210 Cm लंबा और 90 से 120 Cm चौड़ा रखा जाता है और इसी आकार के प्लाईवुड सबसे अधिक बाजार में पाए जाते हैं। प्लाईवुड के मानक आकार को सन 1960 ही में इंडियन स्टैंडर्ड नंबर 303 के अनुसार भारतीय मानक संस्था द्वारा प्रस्तुत किया गया है।


प्लाईवुड के लाभ (Plywood Advantages in Hindi) -:

1) प्लाईवुड बड़े-बड़े आकारों में उपलब्ध होती है जो साधारण लकड़ी में संभव नहीं हो पाते हैं।

2) प्लाईबोर्ड, ठोस बोर्ड की तुलना में काफी सामर्थ्यवान होता है।

3) प्लाईवुड का भार कम होता है अर्थात यह हल्की होती है।

4) प्लाईवुड पर नमी का बहुत कम प्रभाव पड़ता है।

5) प्लाईवुड में इलास्टिसिटी/प्रत्यास्थता का गुण होता है और यह वातावरण के प्रभाव से बहुत कम प्रभावित होती है।

6) प्लाईवुड की लकड़ी ऐसी होती है जिसकी सतह पर बहुत ही अच्छी Finishing होती है जिसके कारण ये आकर्षक दिखाई पड़ती है। 

7) प्लाईवुड की सभी दिशाओं में तनन सामर्थ्य कम होती है।

8) प्लाईवुड के अंदर संकुचन तथा प्रसार का गुण टिंबर की अपेक्षा कम होता है क्योंकि इसके निर्माण में प्लाई को आपस में रखकर लंबवत जोड़ा जाता है।

9) प्लाईवुड पर बहुत ही आसानी से और सुविधापूर्वक कार्य किया जा सकता है।

10) प्लाईवुड का उपयोग करके विभिन्न प्रकार के आकर्षक डिजाइन का निर्माण कर सकते हैं।



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