Plastic क्या है? स्रोत । प्रकार । गुण । लाभ और हानि । उपयोग

प्लास्टिक (Plastic in Hindi) -:

प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जिसको मोल्डिंग करने के लिए तापन और दाग दोनों विधि अपनाई जा सकती है। आजकल कृत्रिम कार्बनिक पदार्थों के द्वारा ही प्लास्टिक का निर्माण कर लिया जाता है, इन कृत्रिम कार्बनिक पदार्थों को हीटिंग करने पर ये प्लास्टिक बन जाते हैं तथा उन्हें विभिन्न आकार और आकृतियों में दाब लगाकर प्राप्त कर लिया जाता है। दाब लगाकर जिन प्लास्टिक का निर्माण किया जाता है उन पर जब फिनिशिंग की क्रिया की जाती है तो प्लास्टिक फिनिशिंग की क्रिया करने के बाद काफी कठोर और मजबूत बन जाते हैं।


Plastic क्या है? स्रोत । प्रकार । गुण । लाभ और हानि । उपयोग
प्लास्टिक का गुलदस्ता

प्लास्टिक की वस्तुओं का उत्पादन बहुत कम समय में और कम लागत में उपलब्ध हो जाता है और वांछित आकार में बनाने पर भी कोई कठिनाई नहीं आती है। प्लास्टिक की सतह फिनिशिंग के लिए बहुत ही अच्छी होती है। प्लास्टिक ऐसा पदार्थ है जो हल्का संक्षारण के विरुद्ध प्रतिरोध रखने के साथ-साथ इलेक्ट्रिक सामर्थ्य का भी विशेष गुण रखता है। प्लास्टिक को विभिन्न रंगों में बनाया जा सकता है तथा इसको पारदर्शी भी आसानी से बनाया जा सकता है। प्लास्टिक को प्राकृतिक या कृत्रिम रेजिन भी कहते हैं, क्योंकि यह ऐसे यौगिक हैं जिनको आसानी से मोल्डिंग कास्टिंग और एस्ट्रुडिंग की जा सकती हैं। आजकल प्लास्टिक का प्रयोग बहुत ही धड़ल्ले से किया जा रहा है।

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प्लास्टिक स्रोत (Plastic Sources in Hindi) -:

प्लास्टिक प्राप्ति स्रोत के आधार पर,प्लास्टिक दो प्रकार से प्राप्त किये जाते हैं या बनाये जाते हैं। जो निम्न हैं -

1) प्राकृतिक प्लास्टिक (Natural Plastic)

2) कृत्रिम प्लास्टिक (Synthetic Plastic)


1) प्राकृतिक प्लास्टिक (Natural Plastic) -:

ऐसे प्लास्टिक जिन को प्राकृतिक रूप से प्राप्त किया जाता है उसे प्राकृतिक प्लास्टिक (Natural Plastic) कहते हैं। प्राकृतिक प्लास्टिक को खनिज तेल से प्राप्त किया जाता है। प्राकृतिक प्लास्टिक मुख्यता चपड़ा, रेजिन या बिटुमन के रूप में प्राप्त होते हैं। खनिज तेल से प्राप्त चपड़ा, रेजिन या बिटुमन में पूरक पदार्थों को मिलाया जाता है जिसके फलस्वरूप प्लास्टिक का निर्माण होता है। इसके अतिरिक्त खनिज तेल में कुछ अर्ध कृत्रिम प्लास्टिक भी पाए जाते हैं। जैसे - सेल्यूलोज और केसीन आदि। सेल्यूलोज प्लास्टिक की प्राप्ति का स्रोत कच्चा सूत होता है क्योंकि कच्चे सूत से ही सेल्यूलोज प्लास्टिक का निर्माण किया जाता है। इसी प्रकार के केसिन प्लास्टिक को क्रीम निकले दूध में से प्राप्त किया जाता है अर्थात जिस दूध में से क्रीम को निकाल लिया जाता है उसमें से केसिन प्लास्टिक को प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के रुप मे चपड़ा, रेजिन या बिटुमन इत्यादि आते हैं।


2) कृत्रिम प्लास्टिक (Synthetic Plastic) -:

बहुलीकरण क्रिया करने से जो रेजिन प्राप्त होते हैं। उन रेजिन में पूरक पदार्थ मिलाकर जो प्लास्टिक बनाए जाते हैं उन्हें कृत्रिम प्लास्टिक (Synthetic Plastic) कहते हैं। उदाहरण के रूप में बैकेलाइट, नायलॉन, स्टिरिन इत्यादि आते हैं।


प्लास्टिक के प्रकार (Types of Plsatic in Hindi) -:

प्लास्टिक का वर्गीकरण से प्रकार से किया गया है जो निम्न हैं -

1. तापदृढ़ प्लास्टिक (Thermosetting Plastic)

2. ताप सुनन्य प्लास्टिक (Thermoplastic)


1. तापदृढ़ प्लास्टिक (Thermosetting Plastic) -:

ऐसे प्लास्टिक पदार्थ  जिनको आवश्यक आकृति प्रदान करने के लिए ऊष्मा और दाब प्रदान किया जाता है जिसके फलस्वरूप प्लास्टिक का निर्माण होता है। इस प्रकार की प्लास्टिक को तापदृढ़ प्लास्टिक (Thermosetting Plastic) कहते हैं। जब इन प्लास्टिक को गर्म किया जाता है तो यह पहले तो मुलायम हो जाते हैं और बाद में दृढ़ बन जाते हैं। दृढ़ बनने के बाद जब इन्हें और अधिक कर्म किया जाता है तो यह रासायनिक प्रक्रिया के फलस्वरुप सैट होकर दृढ़ हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को थर्मोसैटिंग या हार्डनिंग कहते हैं। थर्मोसैटिंग प्लास्टिक ऐसे प्लास्टिक होते हैं, जो एक बार जब सैट हो जाते हैं तो पुनः दुबारा गरम करने पर मुलायम नहीं होते हैं। जब इन प्लास्टिक को अधिक गरम किया जाता है तो, ये जल कर टूटे जाते हैं। इसलिए इन्हें हीट सेटिंग पदार्थ की कहा जाता है। थर्मोसैटिंग प्लास्टिक के अंतर्गत फिनोल फार्मेल्डिहाइड, मिलैमीन फार्मेल्डिहाइड, यूरिया फार्मेल्डिहाइड, इपाक्साइड, पालिएस्टर्स, फिनोल फरफरोल्डिहाइड, पालीयुरेथेन इत्यादि आते हैं।


2. ताप सुनन्य प्लास्टिक (Thermoplastic) -:

इन प्लास्टिक को 140 ℃ से 150 ℃ पर गर्म करने पर, ये मुलायम हो जाते हैं और ठंडा करने पर पुनः कठोर हो जाते हैं। इन प्लास्टिक को गर्म करके किसी भी वांछित आकार में आसानी से ढाला जा सकता है। थर्मोप्लास्टिक के अंतर्गत आने वाले प्लास्टिक को ऊष्मा और दाब देकर आकार दिया जाता है या इसे पूर्व आकार में दुबारा परिवर्तित कर लिया जाता है। इन प्लास्टिको के बीच जो अणु होते हैं उनके बीच बंधन कमजोर होता है। जिसके कारण इन्हें गर्म करके बार-बार पिघलाया जा सकता है और ठंडा करके कठोर किया जा सकता है। प्लास्टिक की इस गुण के कारण उपयोग में ना आने वाले प्लास्टिक आइटम को या टूटे-फूटे पुराने प्लास्टिक को पिघलाकर से नए सामान बनाए जाते हैं। थर्मोप्लास्टिक ऊष्मा के प्रति बहुत ही संवेदनशील होते हैं जिसके कारण जब ताप में वृद्धि की जाती है तो यह जल्दी मुलायम पड़ने लगते हैं। गरम करने के बाद जब इन को ठंडा किया जाता है तो यह ठंडा होने के साथ-साथ कठोर और दृढ़ बन जाते हैं। थर्मोप्लास्टिक को पिघलाकर नया आकार बनाया जा सकता है और बनाये गए आकार को दुबारा पिघलाकर वांछित आकर का बनाया जा सकता है अर्थात इसको बनाया जा सकता है और पिघलाया जा सकता है जबकि थर्मोसेटिंग में ऐसा नहीं होता है। थर्मोप्लास्टिक के अंतर्गत सेल्यूलोज प्रोपियोनेट, सेल्यूलोज एसीटेट, सेल्यूलोज नाइट्रेट, सेल्यूलोज एसीटेट- ब्यूटीरेट, सेलोफेन, एथिल सेल्यूलोज इत्यादि प्लास्टिक पदार्थ आते हैं।


प्लास्टिक के गुण (Properties of Plastic in Hindi) -:

1) प्लास्टिक भार में हल्के होते हैं।

2) प्लास्टिक पर बहुत ही अच्छी सतह फर्निशिंग प्राप्त होती है।

3) प्लास्टिक को घिसावट का प्रतिरोधी माना जाता है।

4) प्लास्टिक बहुत ही अच्छे संक्षारण प्रतिरोधी भी होते हैं।

5) प्लास्टिक के द्वारा अधिकांश रसायनों का अच्छी प्रकार से प्रतिरोध किया जाता है।

6) प्लास्टिक विद्युत का कुचालक होते हैं।

7) प्लास्टिक नमी और ग्रीस इत्यादि से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

8) प्लास्टिक के अंदर अनुनादहीनता का गुण पाया जाता है।

9) प्लास्टिक ऊष्मा की कुचालक होती हैं।

10) प्लास्टिक विद्युत का कुचालक होते हैं।

11) प्लास्टिक को बनाते समय इन्हें रंगहीन और पारदर्शी भी बनाया जा सकता है।

11) प्लास्टिक के अंदर फ्लैक्सेबिलिटी (Flexibility) का गुण होता है।

12) प्लास्टिक सामर्थ्यवान भी होते हैं।


प्लास्टिक से लाभ/फायदे (Advantages of Plsatic in Hindi) -:

1) हम प्लास्टिक का उपयोग बहुत आसानी कर सकते हैं।

2) प्लास्टिक का निर्माण बहुत ही आसानी से किया जा सकता है।

3) प्लास्टिक के निर्माण में कम लागत आती है।

4) प्लास्टिक को आसानी से किसी भी आकार में ढाला जा सकता है।

5) प्लास्टिक का उपयोग बहुत ही सस्ता पड़ता है।

6) प्लास्टिक का उपयोग दैनिक उपयोग में बहुत अधिक किया जाता है।

7) प्लास्टिक को रीसायकल करना और पुन: उपयोग करना संभव हो गया है।

8) औद्योगिक अनुप्रयोग के रूप में भी यह बहुत उपयोगी होता है।

9) प्लास्टिक एक प्रकार से अधिक मजबूत और टिकाऊ पदार्थ होता है।

10) प्लास्टिक जल प्रतिरोधक और गंधहीन होता है।


प्लास्टिक से हानि/नुकसान (Disadvantages of Plsatic in Hindi) -:

1) प्लास्टिक आसानी से गल नही पाता है। इसमें कई साल का समय लगते हैं।

2) कोई जानवर प्लास्टिक को खा लेता है तो यह उसके पेट मे फंस जाता है, जिससे वह जानवर धीरे धीरे मौत की ओर जाने लगता है।

3) प्लास्टिक बहुत ही सरलता से आग को पकड़ लेता है जो काफी खतरनाक है।

4) खाने के लिए प्लास्टिक का प्रयोग खतरनाक हो सकता है, जिससे कैंसर नामक खतरनाक बीमारी हो सकती है।

5) प्लास्टिक को जलाने पर बहुत सारी जहरीली और खतरनाक गैसे निकलती हैं, जो Health और पर्यावरण को भारी मात्रा नुकसान पहुंचाते हैं।

6) यह बहुत ही तेजी से समन्द्रों में जमा हो रहा है, जिससे समुंद्री जीवो के जनजीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

7) प्लास्टिक को जल में नही घोला जा सकता है, जिससे ये नालियों, तालाबो और महासागरों में इकट्ठा हो रहे हैं।


प्लास्टिक के उपयोग (Uses of Plastic in Hindi) -:

1) कृषि के क्षेत्र में प्लास्टिक का उपयोग जल प्रबन्ध करने में किया जाता है क्योंकि इसकी खेती करने पर कम पानी की आवश्यकता होती है।

2) कृषि के क्षेत्र में कीटनाशक दवाइयों को भी पॉलीथीन और प्लास्टिक डिब्बे में ही आते हैं और इनका छिड़काव भी प्लास्टिक से बने मशीन से की जाती है।

3) चिकित्सा के क्षेत्र में प्लास्टिक सर्जरी, इंजेक्शन का निर्माण व गोलियों को रखने में प्लास्टिक के डिब्बे इत्यादि का उपयोग किया जाता है।

4) इस आधुनिक युग में प्लास्टिक के कचरे का भवन-निर्माण भी किया जा सकता है।

5) प्रयोगशालाओं में भी प्लास्टिक के उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।

6) शिक्षा के क्षेत्र में भी प्लास्टिक का उपयोग पेन निर्माण, बैग निर्माण, बोर्ड निर्माण इत्यादि जैसे अनेक कार्यो में किया जाता है।

7) प्लास्टिक का उपयोग मनोरंजन के क्षेत्र टीवी, प्लेयर, रिमोट, गेमर, इत्यादि जैसे अनेक चीजो को बनाने में किया जाता है।

8) अंतरिक्ष क्षेत्र में काली पॉलीथीन उपयोग बिजली के झटकों को सहने के लिए किया जाता है व प्लास्टिक के अन्य भी प्रयोग हैं।

9) सूचना प्रौद्योगिकी में मोबाइल, कम्प्यूटर, ड्रोन इत्यादि में प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है।

10) कपड़ा उद्योग में भी प्लास्टिक का प्रयोग फैलने योग्य कपड़े व ऊन बनाने में किया जाता है।

11) घरेलू कामकाज में भी प्लास्टिक का उपयोग होता है, जैसे - कुर्सी, दरवाजे, खिड़कियां, टूथब्रश, खिलौने, पॉलीथीन, डिब्बे, कंघी जैसे अनेक कार्यो में।

12) यातायात के क्षेत्र में भी प्लास्टिक का उपयोग हेडलाइट, बंपर, बॉडी पैनल, विंग मिरर, हैंडल की ऊपरी परत, सीट के निर्माण, गियर इत्यादि जैसे अनेकों जगह प्लास्टिक प्रयोग में लाई जाती है।

13) मशीनों के पार्ट पुर्जे बनाने के लिए भी प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है।

14) प्लास्टिक का सामान्य उपयोग फर्नीचर के निर्माण में, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में, ऑटोमोबाइल उद्योग में, रासायनिक प्लांटों में, हार्डवेयर के रूप में, भवन निर्माण के कार्यों में, लेंस में, चश्मे के फ्रेम में, घड़ियों के निर्माण में, शीशा बनाने में, खिलौने में खेल के सामान बनाने में, और अन्य बहुत सी घरेलू वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है।


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