धातुओं और मिश्रधातुओं की पहचान कैसे करें?

धातु (Metal) और मिश्रधातुओं (Alloy) को उनके भौतिक गुणों जैसे - चमक, वैद्युत चालकता, चुंबकत्व, अपारदर्शीकता और अन्य यांत्रिक गुणों से पहचाना जाता है। कुछ धातु और मिश्र धातु ऐसे होते हैं जिनको कठोरता, ध्वनि, स्पार्क फाइलिंग और भार के आधार पर भी पहचानते हैं।

धातु/मिश्रधातु की पहचान (Identification of Metal/Alloy in Hindi)

धातु/मिश्रधातु की पहचान (Identification of Metal/Alloy in Hindi) -:

धातुओं और मिश्र धातु को पहचान करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण गुण नीचे दिए गए हैं -

1. चुंबकीय गुण (Magnetic Properties)

2. कठोरण की योग्यता (Hardenability)

3. स्पार्क (Spark)

4. विद्युत चालकता (Electric Conductivity)

5. प्रकाशीय गुण (Optical Properties)

6. गलनांक (Melting Point)

7. भार (Weight)

8. सूक्ष्म सरंचना (Micro Structure)


1. चुंबकीय गुण (Magnetic Properties) -:

धातु और मिश्र धातु को उनके चुंबकीय गुणों के आधार पर भी पहचाना जाता है। आयरन, निकिल और कोबाल्ट को जब चुंबक के पास लाते हैं तो यह चुंबक को अपनी ओर बहुत तीव्र गति से आकर्षित करते हैं, परंतु जब कुछ ऐसी धातु और मिश्र धातु होती हैं जैसे कापर, पीतल, एलुमिनियम, Y-अलॉय को जब चुंबक के पास लाते हैं तो चुंबक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। आयरन और निकिल को मिलाकर जो मिश्र धातु में बनती हैं अगर उनमें निकिल की मात्रा 40 से 55% तक होती है तो उनमें पारगम्यता बहुत अधिक पाई जाती है। इस प्रकार जो मिश्र धातु, उच्च पारगम्यता का गुण रखती हैं उनका प्रयोग मृदु चुंबकीय पदार्थों को बनाने में किया जाता है तथा इन मिश्र धातु को टेलीफोन रेडियो ट्रांसफार्मरों और रिलेज में भी किया जाता है। इस तरह से जिन पदार्थों की पारगम्यता कम होती है उनका उपयोग कठोर चुंबकीय पदार्थ बनाने में किया जाता है या फिर स्थाई चुंबक बनाया जाता है। जिन मिश्र धातु का कठोर और स्थाई चुंबक बनाया जाता है उसको सबसे पहले सही प्रकार से उपचार किया जाता है।


2. कठोरण की योग्यता (Hardenability) -:

कई धातु और मिश्र धातुओं को उसके हार्डनेबिलिटी के गुण से पहचाना जाता है। उच्च कार्बन स्टील और ऊंची स्पीड स्टील का कठोरीकरण किया जा सकता है परन्तु जिंक, एलुमिनियम और कॉपर को कठोर नहीं बनाया जा सकता है इसी प्रकार माइल्ड स्टील, पिटवा लोहे की सतह को कठोर बनाया जा सकता है। इस प्रकार इन गुणों के आधार पर भी धातु और मिश्र धातु का पहचान किया जा सकता है।


3. स्पार्क (Spark) -:

कई धातुएं और मिश्रधातुएँ ऐसी होती हैं जिनको स्पार्क के माध्यम से पहचाना जाता है। अगर आयरन और स्टील को जब पहचान करना होता है तो सबसे आसान तरीका यह है कि उच्च गति से घूमते हुए ग्राइंडिंग पहिए से आयरन और स्टील को संपर्क कराया जाए। अगर जब ग्राइंडिंग पहिए से आयरन और स्टील को संपर्क कराया जाता है तो चिंगारी/स्पार्क उत्पन्न होती है और धातु में से बारीक बारीक धातु के कण अलग होने लगते हैं जिनमें कार्बन होता है। यह कार्बन जब ऑक्सीजन के संपर्क में आते हैं तो चिंगारी उत्पन्न करते हैं।


4. विद्युत चालकता (Electric Conductivity) -:

धातुओं के अंदर विद्युत चालकता अधिक होती है। जब धातुओं में किसी प्रकार की ऐंठन आ जाती है तो इलेक्ट्रॉनों की गति कम हो जाती है जिसके फलस्वरुप धातु की विद्युत चालकता कम हो जाती है। चांदी में विद्युत चालकता सबसे अधिक और कैडमियम में विद्युत चालकता सबसे कम होती है। माना अगर कोई ऐसा धातु है जिसकी विद्युत चालकता बहुत अधिक है और उसमें किसी दूसरी धातु को मिलाकर मिश्र धातु बना दिया जाता है तो इसके विद्युत चालकता में कमी आ जाती है। विद्युत चालकता में तो कमी आ जाती है परंतु कुछ विशेष गुणों में अधिक लाभ प्राप्त हो जाता है।


5. प्रकाशीय गुण (Optical Properties) -:

धातु और मिश्र धातु की पॉलिश की गई सतह पर जब प्रकाश की किरण डाला जाता है तो यह प्रकाश की किरणें परिवर्तित होने लगती हैं। क्योंकि धातुएं और मिश्र धातुएं अपारदर्शिकता का गुण रखती हैं। धातु और मिश्र धातु की सतह पालिश होने के बाद चमकदार बन जाती हैं जिसके फलस्वरूप यह प्रकाश की किरणों को परावर्तित कर देते हैं। ऐसी भी धातुएं हैं जिसमें इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रूप में नहीं होते हैं जिसके कारण इनके ठोस पारदर्शक हो जाते हैं। मिश्र धातुओं में कभी-कभी पॉलिश के कारण रंग परिवर्तन भी हो जाता है परंतु इनकी जो अवस्था रहती है वह समान होती है।


6. गलनांक (Melting Point) -:

समान्यतः जब धातु पिघलता है तो उनके आयतन में वृद्धि होती है परंतु कुछ धातुएं जैसे विस्मथ, एंटीमनी, गैलियम जब पिघलते हैं तो इनके आयतन में कमी होती है और इनके ठोस क्रिस्टल पिघले हुए द्रव के ऊपर तैरते रहते हैं। जिस मिश्र धातु में 50% तक बिस्मथ उपस्थित होता है वह मिश्र धातु पिघलने के फलस्वरूप उसके आयतन में वृद्धि होती है। जिन मिश्र धातु का गलनांक कम होता है उनका उपयोग सेफ्टी डिवाइस (Safety Device) में अधिकांश किया जाता है।
जिन धातु का गलनांक अधिक होता है वह जब उच्च ताप पाती हैं तो सामर्थ्यवान हो जाती हैं। जिनमें आयरन, निकिल तथा कोबाल्ट के मिश्र धातु भी उपस्थित होते हैं। उच्च गलनांक वाली धातु के जो मिश्र धातु होते हैं उनका प्रयोग आई.सी.बी.एम. राकेट में किया जाता है।


7. भार (Weight) -:

धातुओं और मिश्र धातुओं के भारो में बहुत अधिक अंतर होता है। इन अंतर को ज्ञात करने के लिए घनत्व और विशिष्ट गुरुत्व का सहारा लिया जाता है। जब धातु और मिश्र धातु की पहचान की जाती है तो स्टैंडर्ड मानक का सहारा लिया जाता है ताकि घनत्व और विशिष्ट गुरुत्व को भली-भांति ज्ञात किया जा सके।


8. सूक्ष्म सरंचना (Micro Structure) -:

धातुओं और मिश्र धातुओं की पहचान करने के लिए उनकी सूक्ष्म संरचना को देखकर भी ज्ञात कर सकते हैं। प्राप्त किए गए धातु और अलॉय की सूक्ष्म संरचना को ज्ञात करने के लिए स्टैंडर्ड फोटोमाइक्रोग्राफ का उपयोग किया जाता है जिसका उपयोग करके हम धातु और अलॉय (Alloy) की पहचान कर सकते हैं।


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