मिश्रधातु (Alloy) किसे कहते हैं? प्रकार। लाभ/उपयोग

मिश्रधातुएँ (Alloy in Hindi) -:

एक या एक से अधिक तत्वों को मिलाकर जो धात्विक पदार्थ बनाया जाता है उसे मिश्र धातु या अलॉय कहते हैं। जब भी किसी मिश्र धातु का निर्माण किया जाता है तो उसके निर्माण में और असमान परमाणुओं की असेंबली हो जाती है। जब किसी मिश्र धातु में जो पदार्थ या जिस धातु की मात्रा सबसे अधिक होती है उस धातु को आधार धातु कहते हैं और बाकी जो धात्विक पदार्थ होते हैं वह गैर धात्विक अवयव कहलाते हैं। जो धातुएं मिश्र धातु में कम मात्रा में होती हैं, वह अपने गुणों के आधार पर आधार धातु के गुण में परिवर्तन कर देते हैं। बनने वाले मिश्र धातु में किस सीमा तक परिवर्तन हुआ है इस बात की निर्भरता इस बात पर करती है कि मिश्र कारक जो कम मात्रा में है वह घुलनशील है अथवा अघुलनशील है।

मिश्रधातु (Alloy in Hindi) किसे कहते हैं? प्रकार। लाभ/उपयोग
पीतल के बर्तन

जब भी दो या दो से अधिक धातुओं को आपस में मिलाया जाता है तो विभिन्न प्रकार की अवस्था प्राप्त हो जाती हैं। जब हमें मजबूत और सामर्थ्यवान,का टिकाऊ धातु का निर्माण करना होता है तो मिश्र धातु का निर्माण करना आवश्यक हो जाता है। क्योंकि शुद्ध धातु का उपयोग सीमित होता है और वह कम सामर्थ्यवान होने के साथ कम टिकाऊ होते हैं। जब शुद्ध धातु में अलॉय तत्व  मिलाए जाते हैं तो मिश्र धातु बनती है। बनने वाले मिश्र धातु में विशिष्ट गुणों का समावेश किया जाता है।

मिश्र धातु के रूप में मिलाए जाने वाले भिन्न-भिन्न तत्व अलग-अलग प्रतिशत मात्रा में मिलाए जाते हैं जिसके साथ में विशेष उपयोग के लिए विशेष गुणों के साथ उत्पादित किए जाते हैं। मिश्रधातुओं में लौह और अलौह दोनों प्रकार की धातु मिलाई जाती हैं।


मिश्रधातुओं के प्रकार (Types of Alloy in Hindi) -:

अवस्था के आधार पर मिश्रधातु के प्रकार निम्न प्रकार से बांटा गया है -

1. ठोस घोल (Solid Solution)

2. माध्यमिक घोल (Intermetallic Compound)

3. सामान्य मिश्रधातुएँ (Common alloys)


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1. ठोस घोल (Solid Solution) -:

यह ऐसी मिश्रधातु का रूप है जिसमें एक धातु के परमाणु दूसरी धातु के परमाणु अच्छी तरह मिल जाते हैं। और जब ये क्रिस्टल बनते हैं तो काफी मजबूत होते हैं। यह आपस में विलेय होते हैं जिसके कारण जब इन्हें आपस में मिलाया जाता है तो एक धातु के परमाणु दूसरी धातु के परमाणु भी अच्छी तरह बैठ जाते हैं।


2. माध्यमिक घोल (Intermetallic Compound) -:

कई धातु को जब मिश्र धातु बनाने के लिए आपस में मिलाया जाता है तो यह एक यौगिक ना बनाकर बहुत सारे यौगिक का निर्माण कर देती हैं। इस प्रकार से जिन यौगिकों का निर्माण होता है वह संयोजकता के नियमों का उल्लंघन कर देते हैं। ये सभी अंतराधातुक यौगिक होते हैं।

बनने वाले इन यौगिकों में से कुछ यौगिक बहुत ही मजबूत बन जाते हैं। कुछ यौगिक मजबूत इतने बन जाते हैं कि वे अपने ताप से भी अधिक ताप पाने पर भी नहीं विघटित होते हैं।


3. सामान्य मिश्रधातुएँ (Common Alloys) -:

यह ऐसी मिश्र धातु होती है जो पिघल अवस्था में तो एक दूसरे में मिली होती है परंतु जैसे जैसे ठोस होती जाती हैं एक दूसरे से अलग हो जाती हैं इस प्रकार की मिश्र धातु में सामान्य मिश्र धातुओं के अंतर्गत आती है। इस प्रकार यह धातु में विलेय होती हैं। 


मिश्रधातुओं के लाभ/उपयोग (Advantages/Uses of Alloy in Hindi) -:

1) मिश्रधातु को बनाने का मुख्य उद्देश्य वांछित गुणों की प्राप्ति करना होता है।

2) कभी-कभी धातु के गलनांक को करने करने के लिए भी मिश्र धातु बनाया जाता है।

3) उच्च गलनांक करने के लिए भी मिश्र धातु का निर्माण किया जाता है।

4) धातु को टीकऊ और मजबूत बनाने के लिए भी मिश्र धातु बनाई जाती है।

5) धातु की सुंदरता और रंग, आकार के लिए भी मिश्र धातु का निर्माण किया जाता है।

6) उच्च सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए मिश्र धातु का निर्माण किया जाता है।

7) तन्यता में वृद्धि करने के लिए भी मिश्र धातु बनाई जाती है।

8) कठोरता और चिमड़पन बढ़ाने के लिए भी मिश्र धातु का निर्माण किया जाता है।

9) विद्युत चालकता बढ़ाने के लिए भी मिश्र धातु का निर्माण किया जा सकता है।

10) जंग से बचाने के लिए भी संक्षारण रोधी मिश्र धातु का निर्माण किया जाता है।



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