मोल्डिंग के लिए बालू की तैयारी (Preparation of Sand for Moulding in Hindi) - गुण & उपकरण

मोल्डिंग करने हेती बालू की तैयारी -:

मोल्डिंग बालू में उत्पन्न होने वाले दोषो से बचाने के लिए बाइंडर को मोल्डिंग बालू में भली-भांति मिलाकर प्रयोग करने से जब बालू के गुणों में विकास होता है तो इसे बालू की तैयारी करना कहते हैं। मोल्डिंग बालू के गुणों का विकास जब उसमें कुछ यौगिक पदार्थों को मिलाकर किया जाता है तो मोल्डिंग बालू के गुणवत्ता का विकास होता है और दोष भी कम आने की संभावना रहती है। जब निम्न गलनांक वाली धातु लेड, जिंक ,एल्युमीनियम इत्यादि का कास्टिंग करते हैं तो उसमें पानी की मात्रा को पूरी करने से बालू के गुणों में कोई रासायनिक परिवर्तन नहीं आता है और पानी की मात्रा पूरी करने से पुनः बालू को उपयोग किया जा सकता है। परंतु जब उच्च गुणवत्ता की धातुएं कास्ट आयरन, स्टील या ब्रॉन्ज आदि की कास्टिंग की जाती है तो बालू कास्टिंग के संपर्क में आते ही बालू जलकर अपने बाइंडिंग गुणों को खो देता है। जिसके कारण कास्टिंग से बालू को छुड़ाकर फेंक दिया जाता है और उसमें नई बालू मिलाई जाती है।


मोल्डिंग के लिए बालू की तैयारी (Preparation of Sand for Moulding in Hindi) - गुण & उपकरण


मोल्डिंग बालू के गुणों में विकास (Development of Properties of Moulding Sand) -:

मोल्डिंग बालू को तैयार करने में उसमें निम्नलिखित गुणों का विकास होता है -

1. बालू में मिले कचड़े, मेटल के टुकड़े, स्प्रिंग इत्यादि बाहर निकल जाते हैं।

2. जब मोल्डिंग बालू को तैयार कर दिया जाता है तो बाइंडर समान रूप से बालू के कणों में चारों ओर फैल जाता है।

3. जब बालू तैयार हो जाता है तो बालू के कण अलग-अलग होकर बिखर जाते हैं जिससे बालू की फ्लोएबिलिटी बढ़ जाती है।

4. तैयार किए गए बालू में पानी के कण उसमें अच्छी तरह और समान रूप से फैलते हैं।


बालू के प्रकार के अधार इनकी की तैयारी करना -:

प्राकृतिक बोन्डेड बालू की तैयारी (Preparation of Natural Bonded Sand)

कृत्रिम बोन्डेड ब्लू की तैयारी (Preparation of Synthetic Bonded Sand)


●प्राकृतिक बोन्डेड बालू की तैयारी (Preparation of Natural Bonded Sand) -:

भारत में सभी जगहों पर मोल्डिंग के लिए बालू उपलब्ध है और इन नेचुरल बालू में बॉन्डिंग पदार्थ भी उपयुक्त मात्रा में उपस्थित होता है। नमी की मात्रा पूरी करने के लिए बालू में 5% तक पानी मिलाते हैं और जब वह उपयोग के लिए तैयार हो जाता है तो इससे कास्टिंग प्रक्रिया की जाती है। कास्टिंग करने के बाद, कास्टिंग पर लगे बालू को अलग कर दिया जाता है तथा बाकी बचे बालू को पुनः तैयार करके प्रयोग में लाया जाता है।

जब फेसिंग बालू की तैयारी की जाती है तो उसमें ऐसे पदार्थ को मिलाया जाता है जो मोल्ड की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ-साथ उसकी तापसह्यत को भी बढ़ाने का कार्य करता है। उच्च गलनांक वाली धातु के लिए 2% से 4% कोल चूर्ण को बालू में डालकर मिलाया जाता है जिसके कारण कास्टिंग की सतह उच्च गुणवत्ता और चिकनी प्राप्त होती है। जिन धातु का गलनांक कम होता है उनके लिए मोल्ड के अंदर की सतह पर बारीक ग्रेफाइट के चूर्ण को छिड़का जाता है। जिसके कारण इन धातु की सतह की फिनिशिंग अच्छी प्राप्त होती है।


●कृत्रिम बोन्डेड ब्लू की तैयारी (Preparation of Synthetic Bonded Sand) -:

सिन्थेटिक बोन्डेड बालू सबसे पहले बिना बॉन्ड वाले बालू को पहले ले लेते हैं और उसको सैंड मूलर में डाल देते हैं। अब बालू में एक बॉन्डिंग पदार्थ को उचित मात्रा में मिला दिया जाता है। बॉन्डिंग पदार्थ को 4% से 6% तक मिलाते हैं और कुछ देर बाद मिलाने के पश्चात उसमें 4% से 5% तक पानी मिलाया जाता है। पानी को मिलाने के बाद अब चार-पांच मिनट तक प्रतीक्षा करते हैं और फिर उसको सैंड मूलर में मिला दिया जाता है यदि कोल डस्ट या लकड़ी का बुरादा मिलाना हो तो इसे भी अंत में ही मिलाया जाता है, जिससे इस पर ब्लैडिंग पदार्थ की परत ना बन सकें। जब मोल्ड में कोर का निर्माण करना होता है तो बालू को तैयार करने के लिए आवश्यकता अनुसार बॉन्डिंग पदार्थ को बालू में उचित मात्रा में मिला दिया जाता है।

 

मोल्ड बालू को तैयार करने वाले उपकरण (Equipments Used for Sand Preparation in Hindi) -:

मोल्डिंग शॉप में बालू को मशीन द्वारा मिलाया जाता है परंतु जब मशीनें नहीं होती है तो उसको हाथ से ही मिलाना पड़ता है। हाथ द्वारा बालू का मिश्रण तैयार करने पर यौगिक तत्व और आर्द्रता समान रूप से नहीं मिल पाते हैं। अतः हाथ से जब बालू को मिलाया जाता है तो नीचे दिए गए निम्न उपकरणो का प्रयोग किया जाता है -

1. मैग्नेटिक सेपरेटर (Magnetic Separator)

2. छननी (Riddle)

3. मिक्सर या मूलर (Mixer or Muller)

4. एयरेटर (Aerator)


1. मैग्नेटिक सेपरेटर (Magnetic Separator) -:

प्रयोग हुए बालू के अंदर से आयरन के कणों, कीलो और आयरन के टुकड़ों को अलग करने के लिए मैग्नेटिक सेपरेटर का प्रयोग किया जाता है। मैग्नेटिक सेपरेटर के अंदर चुंबकीय पुली लगी होती है जिसके ऊपर एक फ्लैट रबड़ और कनवास की बेल्ट लगाई जाती है। इस कैनवास की बेल्ट के ऊपर बालू को रख दिया जाता है बालू अचुंबकीय होने के कारण पूली से सीधे नीचे गिर जाती है परंतु चुंबकीय पदार्थ, जैसे लोहा इत्यादि बेल्ट को तब तक नहीं छोड़ते जब तक बेल्ट पुली से दूर नहीं चली जाती हैं और इस प्रकार चुंबकीय पदार्थ को प्रयोग हुए बालू से अलग कर दिया जाता है।


2. छननी (Riddle) -:

प्रयोग हुए बालू में से जब चुम्बकीय पदार्थों को निकाल लिया जाता है तो उसके बाद बालू को एक छननी के माध्यम से बालू में उपस्थित टुकड़े और कठोर बालू के लम्प, बहुत से तिनके आदि को छानकर निकाला जाता है। अच्छा छननी (Riddle) को चलाने के लिए विद्युत मोटर का प्रयोग किया जाता है कभी-कभी इसको दाबयुक्त हवा के द्वारा भी चला दिया जाता है।


3. मिक्सर या मूलर (Mixer or Muller) -:

बालू को समान रूप से मिश्रित करने के लिए मिक्सर या मूलर का प्रयोग किया जाता है। यह फाउंड्री शॉप में एक अति आवश्यक उपकरण है। इसके द्वारा ही बालू को मिश्रित करके उपयोग करने योग्य बनाया जाता है। Mixer/Muller में दो रोलर एक वृत्ताकार मार्ग में घूमते हैं। इन रोलरों के साथ दो हल भी होते हैं। ये हल बालू को पलटने का कार्य करते हैं और समस्त बालू को मिश्रित करते रहते हैं। मिक्सर में एक रॉकर-आर्म भी लगा होता है जो रोलरो को बालू की मात्रा के अनुसार ऊपर नीचे करता रहता है। मिक्सर या मूल्य को चलाने के लिए विद्युत मोटर का प्रयोग किया जाता है।


4. एयरेटर (Aerator)-:

जब बालू को मिक्सर में से निकाला जाता है तो बालू के कण आपस में चिपके होते हैं इनको अलग करने के लिए एयरेटर (Aerator) का प्रयोग किया जाता है। एयरेटर का प्रयोग करने से बालू को बहाने योग्य बन जाते हैं। जब बालू के कण बहने योग्य हो जाते हैं तो उन्हें रैम द्वारा ठोकने पर यह सभी दिशाओं में एक ही दाब पर बहती है। इससे बालू की फ्लोएबिलिटी क्षमता बढ़ जाती है।



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