मोल्डिंग बालू के गुण (Properties of Moulding/Molding Sand in Hindi)

मोल्डिंग बालू (Moulding/Molding Sand) के गुण -:

जब किसी बालू/रेत को मोल्ड (Mould) बनाने के लिए प्रयोग में लाते हैं तो ध्यान रखना आवश्यक होता है कि उपयोग में लाये जाने वाले सैंड/बालू (Sand) में मोल्डिंग के गुण उपस्थित है या नहीं और इसी के आधार पर मोल्ड करने के लिए रेत का चुनाव किया जाता है। अगर रेत या बालू के अंदर मोल्डिंग (Moulding) करने वाली गुणवत्ता नही होती है इसका उपयोग नही करते हैं। अगर बिना गुण वाली बालू उपयोग में लायी जाती है तो कई प्रकार के दोष उत्पन्न हो जाते हैं। इसलिए सदैव मोल्डिंग करने योग्य ही बालू का चुनाव करना चाहिए।


मोल्डिंग बालू के गुण (Properties of Moulding/Molding Sand in Hindi)


Molding/Moulding बालू के अंदर निम्नलिखित गुण का होना आवश्यक है -

1. ग्रीन स्ट्रैन्थ (Green Strength)

2. ड्राई स्ट्रैन्थ (Dry Strength)

3. हॉट स्ट्रैन्थ ( Hot Strength)

4. ताप सह्यता (Refractoriness)

5. पारगम्यता (Permeability)

6. महीनता (Fineness)

7. रासायनिक प्रतिरोधकता (Chemical Resistivity)

8. बैंच लाइफ (Bench Life)

9. फ्लोएबिलिटी (Flowability)

10. कोलेप्सिबिलिटी (Collapsibility)



1. ग्रीन स्ट्रैन्थ (Green Strength) -:

ऐसा बालू जो मोल्ड बनाने के लिए तैयार किया गया हो उस बालू के द्वारा मोल्ड बनाने की सामर्थ्य को ही ग्रीन स्ट्रैन्थ (Green Strength) कहते हैं। बालू में अधिक से अधिक ग्रीन स्ट्रैंथ होना चाहिए क्योंकि ग्रीन स्ट्रैंथ के कारण ही मोल्ड की बालू का टूटना आने नहीं टूटना निर्भर करता है।


2. ड्राई स्ट्रैन्थ (Dry Strength) -:

बालू की वह ताकत जो सूखने पर भी पिघली धातु के दाब को सहन करने की क्षमता रखती हो उसे ड्राई स्ट्रैन्थ (Dry Strength) कहते हैं। जब पिघली हुई धातु को मोल्ड में डाला जाता है तो पिघली धातु जब रेत के संपर्क में आती है तो बालू में उपस्थित नमी भाप बनकर ऊपर उड़ जाती है और मोल्ड बिल्कुल सूखा हो जाता है।


3. हॉट स्ट्रैन्थ ( Hot Strength) -:

ड्राई स्ट्रेंथ के समान हॉट स्ट्रेंथ भी पिघली धातु के विरुद्ध मोल्ड की सामर्थ्य को प्रस्तुत करती है। जब मोल्डिंग बालू में हॉट स्ट्रेंथ कम हो जाती है तो कास्टिंग फूलने लगती है और उसमें क्रेक होने, मोल्ड की टूटने की संभावना अधिक हो जाती है।


4. ताप सह्यता (Refractoriness) -:

मोल्डिंग बालू के ताप सहने की क्षमता को प्रदर्शित करने वाले गुण को ताप सह्यता (Refractoriness) कहते हैं।ताप को सहने का गुण सबसे अधिक सिलिका रेत में पाया जाता है। जब बालू में ताप सहने का गुण नहीं होता है तो कास्टिंग की सतह चिकनी और साफ-सुथरी प्राप्त नहीं होती है।


5. पारगम्यता (Permeability) -:

मोल्डिंग बालू का वह गुण जिसके कारण वायु और कास्टिंग से ऊपजी अन्य गैसे जब बालू/रेत के अंदर से होकर गुजर जाती हैं और कास्टिंग को कोई नुकसान भी नहीं होता है बालू के इस गुण को पारगम्यता (Permeability) कहते हैं। मोटे सिलिका रेत में इस गुण का भंडार होता है।


6. महीनता (Fineness) -:

कास्टिंग की सतह को चिकना प्राप्त करने के लिए और धातु में होने वाले पेनिट्रेशन को कम करने के लिए महीन रेत का प्रयोग होना चाहिए। परंतु जब महीन बालू का प्रयोग मोल्डिंग के लिए किया जाता है तो इस बालू की पारगम्यता क्षमता कम हो जाती है अगर कोई बिना पारगम्यता क्षमता खोए हुए महीन बालू का प्रयोग करता है तो कास्टिंग की चिकनी सतह प्राप्त नही हो जाती है। इसलिए रेत में मोल्ड कोट का प्रयोग करना चाहिए।


7. रासायनिक प्रतिरोधकता (Chemical Resistivity) -:

जब पिघली धातु, मोल्डिंग बालू के साथ कोई रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं करती है तो यह मोल्डिंग बालू की रासायनिक प्रतिरोधकता (Chemical Resistivity) कही जाती है। जिस बालू में यह गुण पाया जाता है, उसको बार-बार प्रयोग किया जा सकता है। रासायनिक प्रतिरोधकता के गुण के कारण कास्टिंग की सतह उच्च गुणवत्ता की प्राप्त होती हैं।


8. बैंच लाइफ (Bench Life) -:

मोल्ड का निर्माण करने के बाद मोल्ड जितने समय तक अपने गुणों को बनाए रखता है, उसे बैंच लाइफ (Bench Life) कहते हैं। बालू के द्वारा बनाए गए मोल्ड काफी समय तक टिके रहते हैं, उस टिके रहने समय को ही कहते हैं।


9. फ्लोएबिलिटी (Flowability) -:

बालू का मोल्ड तैयार करके उसमें पैटर्न लगा दिया जाता है और पैटर्न को दबाकर उसके प्रतिरूप को बना लिया जाता है। फ्लोएबिलिटी के गुण के कारण बालू को दाबने पर बालू सभी जगहों पर एक ही घनत्व और समान के साथ दब जाते हैं। हैंड मोल्डिंग करते समय फ्लोएबिलिटी का गुण अच्छा होना चाहिए।


10. कोलेप्सिबिलिटी (Collapsibility) -:

जब किसी धातु की कास्टिंग होती है तो कास्टिंग को ठंडा होने दिया जाता है और उसको बाद तोड़ देते हैं। तोड़ने के फलस्वरुप जो मोल्डिंग बालू प्राप्त होती है उसे पुनः तैयार करके प्रयोग में लाया जा सकता है। जब बालू गर्म होकर कास्टिंग से चिपक जाता है तो उसे कास्टिंग से छुड़ा पाना काफी कठिन होता है। जिस बालू या रेत में यह गुण पाया जाता है। वह बालू आसानी से अपने आप कास्टिंग से अलग हो जाते हैं।



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