1. लघु आर्क (Short Arc in Hindi)
ऐसा आर्क, जिसकी लंबाई इलेक्ट्रोड के व्यास से छोटी होती है उसे लघु आर्क (Short Arc) कहते हैं। यह आर्क इलेक्ट्रोड के व्यास से छोटी होती है। लघु आर्क में करंट की मात्रा अधिक होती है और वोल्टेज कम होता है। ऐसी स्थिति में आर्क का छोटा होना स्वभाविक है। जबआर्क की लंबाई 1.5mm से कम हो जाती है तो यह कार्यखंड के साथ चिपकना प्रारंभ कर देती है।
लघु आर्क के गुण (Properties of Short Arc in Hindi)
१. लघु आर्क का प्रयोग करने से कार्यखण्ड धातुओं में अलॉय आसानी से मिलाए जा सकते हैं।
२. जब इस आर्क का प्रयोग होता है तो वेल्डिंग की सतह पर पैनीट्रेशन भी अच्छा प्राप्त होता है।
३. इस आर्क का प्रयोग करने से कार्यखंड में कम से कम छिद्र बनती है।
४. लघु आर्क के द्वारा जब वेल्डिंग प्रक्रिया किया जाता है तो कार्यखंड के जोड़ सामर्थ्यवान बनते हैं।
५. इस आर्क के प्रयोग से कार्यखण्ड के अंदर तन्यता का भी गुण आता है।
2. उचित आर्क (Correct Arc in Hindi)
ऐसा आर्क, जिसकी लंबाई इलेक्ट्रोड के व्यास के बराबर होती है उसे उचित आर्क (Correct Arc) कहते हैं। यह आर्क इलेक्ट्रोड के व्यास बराबर होती है। उचित आर्क में करंट की मात्रा और वोल्टेज की मात्रा उचित अनुपात में होता है।
उचित आर्क के गुण (Properties of Correct Arc in Hindi)
१. जब इस आर्क का प्रयोग करते हुए वेल्डिंग की जाती है तो कार्यखण्ड में ओवरलैपिंग होने की सम्भवना कम होती है।
२. अलॉय के इलेक्ट्रोड का भी प्रयोग उचित आर्क बनाने के लिए उत्तम होता है।
३. उचित आर्क का प्रयोग करने से बार-बार आर्क बनाने की आवश्यकता नहीं होती है।
४. इस आर्क के प्रयोग से कार्यखण्ड धातु का फ्यूजन आसानी और अच्छी तरह से होता है।
५. उचित आर्क के द्वारा भी कार्यखण्ड सतह पर अच्छी पैनीट्रेशन को प्राप्त किया जाता है।
3. दीर्घ आर्क (Long Arc in Hindi)
ऐसा आर्क, जिसकी लंबाई इलेक्ट्रोड के व्यास से अधिक होती है उसे दीर्घ आर्क (Long Arc) कहते हैं। यह आर्क इलेक्ट्रोड के व्यास से बड़ा होता है। दीर्घ आर्क में लघु आर्क के ठीक विपरीत करंट की मात्रा कम और वोल्टेज की मात्रा अधिक होती है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि जब आर्क की लंबाई 6mm से अधिक हो जाती है तो आर्क बुझने लगता है।
दीर्घ आर्क के गुण (Properties of Long Arc in Hindi)
१. दीर्घ आर्क का प्रयोग करने के कारण कार्यखण्ड धातुओं में अलॉय नही से मिलाए जा सकते हैं।
२. इस आर्क के प्रयोग करने से वेल्डिंग बीड अच्छी नही बनती है।
३. जब इस आर्क के प्रयोग किया जाता है तो पैनीट्रेशन भी अच्छी नही बनती है।
४. दीर्घ आर्क का प्रयोग करने के कारण, कार्यखण्ड पर अधिक संख्या में छिद्र बनने लगते हैं।
५. इस आर्क का प्रयोग करने से ओवर लैप और अन्य वेल्डिंग दोष आने की संभावना अधिक होती है।
६. दीर्घ आर्क जब प्रयोग किया जाता है तो कार्यखंड में बनने वाले जोड़ की भंगुरता अधिक होती है।
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