आर्क (Arc) बनाने की विधि

हम पिछले पोस्ट पढ़ चुके हैं कि आर्क क्या है, आर्क कितने प्रकार के होते हैं। परंतु इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे की आर्क कैसे बनाया जाता है, आर्क बनाने का तरीका क्या है, आर्क को कितने तरीको से बनाया जा सकता है।

जब वेल्डिंग की प्रक्रिया को किया जाता है तो हमें सबसे पहले कार्यखंड को पिघलाने की आवश्यकता होती है जिसके लिए आर्क बनाना जरूरी होता है। जब हम ठंडे इलेक्ट्रोड को आर्क बनाने के लिए, कार्यखंड के पास लाते हैं तो वहां की वायु ठंडी होती है तथा वहां पर हवा का अंतराल अधिक होता है और इलेक्ट्रोड के पास की वायु आयनीकृत नही होती है। जिसके कारण आर्क बनने में कठिनाई उत्पन्न होता है। परंतु जब इलेक्ट्रोड गर्म हो जाता है, और वायु अंतराल कम हो जाता है, वायु गर्म होने के साथ-साथ आयनीकृत भी हो जाता है तो आर्क आसानी से बनने लगता है।

Method of Arc Initiation in Hindi

वेल्डिंग आर्क बनाने के तरीके (Method of Arc Initiation in Hindi)

आर्क बनाने के 5 तरीकों का संक्षिप्त वर्णन नीचे किया गया है। 

1. उच्च वोल्ट डिस्चार्ज द्वारा (By High Voltage Discharge)

2. इस्पात के ऊन द्वारा (By Steel Wool)

3. कार्बन छड़ के द्वारा (By Carbon Rod)

4. उच्च आवृत्ति द्वारा (By High Frequency)

5. क्षणिक स्पर्श द्वारा (By Touch Start)


1. उच्च वोल्ट डिस्चार्ज द्वारा (By High Voltage Discharge)

इस तरीके से जो आर्क बनाया जाता है उसका प्रयोग TIG Welding में भी किया जाता है। उच्च वोल्टेज डिस्चार्ज के आर्क बनाने के लिए ओसीलेटर द्वारा कुछ समय के लिए इलैक्ट्रोड को उच्च वोल्ट देकर वायु के अंतराल को कम कर लिया जाता है जिसके कारण वायु आयनीकृत हो जाती है जिसके कारण आर्क आसानी से बन जाती है। इस विधि के द्वारा इलेक्ट्रोड को कार्यखण्ड में बिना स्पर्श कराये ही आर्क बना ली जाती है। इस विधि से जब  एक बार आर्क बन जाती है तो वायु अन्तराल के आयनीकृत होने के कारण साधारण वोल्टेज पर भी यह आर्क बनी रहती हैं।


2. इस्पात की ऊन द्वारा (By Steel Wool)

यह विधि का प्रयोग प्रायः Submerged Arc Welding में किया जाता है। इसमें कार्यखण्ड का स्पर्श, स्टील के ऊन के माध्यम से कराया जाता है। स्टील का ऊन, स्पर्श प्रतिरोध को कम कर देती है जिसके कारण  इलैक्ट्रोड और कार्यखण्ड में उच्च करण्ट बहने लगताहै। उच्च करण्ट बहने के फलस्वरूप आर्क उत्पन्न हो जाती है। जब आर्क बन जाती है तो स्टील का ऊन भी उसी आर्क के साथ पिघलकर वैल्ड मैटल के साथ वेल्ड हो जाता है।


3. कार्बन छड़ के द्वारा (By Carbon Rod)

इस विधि का प्रयोग MIG और MAG वेल्डिंग में अधिक किया जाता है। कार्बन के छड़ के द्वारा आर्क को उत्पन्न करने के लिए सबसे पहले कार्यखंड और इलेक्ट्रोड के बीच में निश्चित वायु अंतराल को रखा जाता है। जब वायु के अंतराल को निश्चित कर लिया जाता है तो अब इसमें धारा प्रवाहित करने के लिए कार्यखण्ड और इलेक्ट्रोड को कार्बन छड़ से स्पर्श कराते हैं जिसके फलस्वरूप धारा प्रवाहित होने लगती है। जब धारा प्रवाहित होने लगती है तो कार्बन छड़ को हटा लेते हैं। कुछ ही dtसमय में आर्क उत्पन्न हो जाता है।


4. उच्च आवृत्ति द्वारा (By High Frequeney)

उच्च आवृत्ति के द्वारा आर्क को आसानी से और जल्दी से प्राप्त कर लिया जाता है। इस विधि में अगर High Frequeney की करण्ट प्रारम्भ में प्रयोग की जाये तो आवृत्ति बढ़ने लगती है जिसके कारण वोल्टेज भी बढ़ जाता है। वोल्टेज बढ़ने के कारण कम वायु अंतराल पर ही आर्क बनना प्रारंभ हो जाता है।


5. क्षणिक स्पर्श द्वारा (By Touch Start)

इस विधि में आर्क को दो तरीके से बनाया जाता है, स्पर्श कराकर और खुरचकर।

स्पर्श कराकर आर्क बनाने के लिए इलेक्ट्रोड को कार्यखंड से स्पर्श कराते हैं, कम रेजिस्टेंट होने के कारण इलेक्ट्रोड गर्म होने लगता है। इससे पहले कि इलेक्ट्रोड प्लास्टिक अवस्था तक हो गर्म हो, उसके पहले ही हम लोग कार्यखंड के ऊपर से इलेक्ट्रोड को हटा लेते हैं। जब तक हम इलेक्ट्रोड को हटाते हैं, वँहा की वायु आयनीकृत हो चुकी होती है जिसके फलस्वरूप आर्क उत्पन्न हो जाता है।

खुरचकर आर्क बनाने के लिए, इलेक्ट्रोड को कार्यखण्ड पर खुरचा जाता है। खुरचने के कारण इलेक्ट्रोड और कार्यखण्ड गर्म हो जाते हैं तथा वँहा की वायु भी गर्म होकर आयनीकृत हो जाती है। परिणामस्वरूप आर्क उत्पन्न होता है।



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