विद्युत रासायनिक अपघर्षण/इलेक्ट्रो-केमिकल ग्राइंडिंग (Electro-Chemical Grinding) -:
विद्युत रासायनिक अपघर्षण (Electro-Chemical Grinding/ECG) प्रक्रिया के दौरान धातु का कर्तन, अपघर्षी कणो और विद्युत रासायनिक विघटन के प्रभाव से संभव हो पाता है। इलेक्ट्रो-केमिकल ग्राइंडिंग विधि में कार्यखंड से जितनी भी धातु का कर्तन होता है उसमें 90% के आसपास धातु का कर्तन रासायनिक विघटन के द्वारा होता है, और बाकी बचे धातु का कर्तन अपघर्षी कणों द्वारा होता है।
विद्युत रासायनिक अपघर्षण विधि, सामान्य अपघर्षण प्रक्रम से मिलता जुलता है। विद्युत रासायनिक अपघर्षण विधि में एक अपघर्षित पहिया लगा होता है जिसमें कार्यखंड को Set किया जाता है। अपघर्षित पहिये के द्वारा कार्यखण्ड पर लगभग 10% मशीनिंग इस विधि द्वारा और बाकी मशीनिंग विद्युत रासायनिक विघटन द्वारा हो जाता है।
E.C.G. Process |
इस विधि में लगा हुआ अपघर्षण पहिए का स्पिंडल और बेयरिंग मशीन के फ्रेम विद्युत रोधी होते हैं। जब अपघर्षण पहिए पर विद्युत धारा प्रवाह करना होता है तो इसके लिए इसलिए स्लिप रिंगो का सहारा लेना चाहिए। इस प्रक्रम में प्रयोग होने वाली धारा हाई डीसी करंट होती है, जिसको मशीन में प्रवाहित किया जाता है। इस धारा का मान 50 से 3000 एंपियर तथा उसकी वोल्टता का मान 4 से 10 वोल्ट होता है। जब विद्युत परिपथ में डीसी करंट की सप्लाई करके अपघर्षण पहिए से जोड़ा जाता है तो वह अपघर्षण पहिया कैथोड बन जाता है और कैथोड बनके अपना कार्य करने लगता है। इसमें प्रयोग होने वाले कार्यखंड को एनोड या धनात्मक बनाया जाता है। इस विधि में विद्युत अपघट्य का भी प्रयोग किया जाता है। विद्युत अपघटय के रूप में सोडियम नाइट्रेट, सोडियम क्लोराइड या पोटैशियम नाइट्रेट इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। विद्युत रासायनिक अपघर्षण विधि द्वारा मशीनिंग करने के लिए कार्यखंड और अपघर्षण पहिए के बीच 0.25 mm का गैप छोड़ा जाता है। इस गैप में से विद्युत अपघटय को प्रवाहित किया जाता है। कार्यखंड से धातु का कर्तन जब होता है तो अपघर्षण पहिया घूमता रहता है और विद्युत अपघट्य उस पर प्रवाहित होता रहता है।
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टंगस्टन कार्बाईड जैसे धातु का अपघर्षण करने के लिए धातु बॉन्ड व हीरे ग्रीट वाले अपघर्षण के पहिये उपयोग में लाए जाते हैं।
इस प्रक्रम का प्रयोग करने से सतह ±0.02 mm की टोलरेंस वाली सतह की यथर्थता प्राप्त हो जाती है। इस विधि के द्वारा सतह फिनिशिंग, कार्बाइड के लिए 0.2 - 0.4 माइक्रोन तथा स्टील के लिए 0.4 - 0.8 माइक्रोन तक प्राप्त हो जाते हैं।
विद्युत रासायनिक अपघर्षण/इलेक्ट्रो-केमिकल अपघर्षण के लाभ (Advantages of Electro-Chemical Grinding in Hindi) -:
1) इसके द्वारा कठोर पदार्थों पर धातु कर्तन करने की दर उच्च होती है।
2) कार्यखंड को अपघर्षण करते वक्त पहिए का दाब बहुत कम होता है जिसके कारण निर्मित पदार्थ प्रतिबल से रहित होते हैं।
3) विद्युत रासायनिक अपघर्षण/E.C.G. विधि में ऊष्मा उत्पन्न नहीं होती है इसलिए कार्यखंड की पृष्ठ को तापीय हानि होने का भी डर नहीं रहता है।
4) इस प्रक्रम के दौरान कार्यखंड की सतहों पर उष्मा दरारें नहीं पड़ती है।
5) E.C.G. विधि के द्वारा कठोर पदार्थ के औजारों का मरम्मत करने के लिए किया जा सकता है।
विद्युत रासायनिक अपघर्षण/इलेक्ट्रो-केमिकल ग्राइंडिंग की हानियाँ/ सीमाएं (Disadvantages of Electro-Chemical Grinding in Hindi)-:
1) विद्युत रासायनिक अपघर्षण की लागत अधिक होता है, जिसके कारण इसका उपयोग कम करते हैं।
2) विद्युत रासायनिक अपघर्षण के दौरान पावर की खपत अधिक होती है।
3) Electro-Chemical Grinding प्रकम के द्वारा धातु कर्तन की दर धीमी होती है।
4) इस विधि को करने के लिए कुशल कारीगर की आवश्यकता होती है
5) इस प्रक्रम में प्रयोग होने वाली विद्युत अपघट्य के द्वारा धातु पर जंग लगने का खतरा रहता है
विद्युत रासायनिक/इलेक्ट्रो-केमिकल अपघर्षण के अनुप्रयोग (Applications of Electro-Chemical Grinding in Hindi) -:
1) इस विधि का प्रयोग करके स्टेनलेस स्टील, कोबाल्ट, टाइटेनियम इत्यादि जैसे कठोर पदार्थों का भी अपघर्षण किया जाता है।
2) Electro-Chemical Grinding विधि का उपयोग कार्बाईड जैसे कठोर औजारों की मरम्मत करने के लिए किया जाता है।
3) डॉक्टर द्वारा प्रयोग होने वाली सुई का ग्राइंडिंग भी इसी विधि द्वारा किया जाता है।
4) विद्युत रासायनिक अपघर्षण का प्रयोग करके पतले काट सेक्शन वाले पुर्जे, पतली दीवार के ट्यूब का अपघर्षण और उनका कर्तन बिना विरूपण के आसानी से किया जाता है।
5) एरोस्पेस में पुर्जो के निर्माण के लिए धातुओं को इसी विधि द्वारा पीसा जाता है।
6) टरबाइन के ब्लेड का अपघर्षण इस विधि का प्रयोग करके किया जाता है।
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