रासायनिक मशीनिंग (Chemical Machining in Hindi) - प्रकार । लाभ और हानि । अनुप्रयोग ।

रासायनिक मशीनिंग (Chemical Machining) -:

रासायनिक मशीनिंग प्रक्रिया धातुओं को लवण के रूप में परिवर्तित करके पूर्ण की जाती है।  इस विधि का प्रयोग रासायनिक क्रिया द्वारा धातु को कर्तन करके उचित आकार, आकृति व शुद्ध वीमा वाले उत्पाद तैयार करने के लिए किया जाता है। इस मशीनिंग प्रक्रम में कार्यखंड पर अम्ल और क्षारको के निक्षारक घोल का प्रयोग किया जाता है।

अम्ल और क्षारको के निक्षारक घोल को कार्यखण्ड पर लगाने के फलस्वरुप धातु का धीरे-धीरे कर्तन होने लगता है। कार्यखंड के जिस भाग को कर्तन नहीं करना होता है, उसको सुरक्षित रखना होता है तो उस भाग पर निक्षारक प्रतिरोधक पदार्थों का लेप लगा दिया जाता है। जिससे रासायनिक प्रक्रिया के दौरान पदार्थ के उस भाग के धातु का कर्तन नहीं होता है। जो पदार्थ निक्षारक प्रतिरोधी होते हैं। उन पदार्थों को मसकेंट या प्रतिरोधक कहते हैं। इस रासायनिक मशीनिंग विधि का प्रयोग करके लगभग सभी प्रकार के धातु और सिरैमिकों का मशीनिंग किया जाता है।


रासायनिक मशीनिंग (Chemical Machining in Hindi) - लाभ । हानि । अनुप्रयोग


रासायनिक मशीनिंग की क्रियाविधि (Working) -:

जिस कार्यखंड का निर्माण करना होता है। सबसे पहले उसकी सतह की साफ सफाई की जाती है। अब उस कार्यखंड को रासायनिक कारक (Chemical Reagent) के घोल में डुबाया जाता है और सतहों पर जमे हुए धूल, तेल इत्यादि अनावश्यक पदार्थों को पूरी तरह से साफ कर दिया जाता है। अम्लीय व क्षारीय लवण का घोल ही रासायनिक कारक (Chemical Reagent) होता है।


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अब कार्यखंड की सतहों को पूर्णतया साफ करने के लिए ट्राईक्लोरोएथिलीन की वाष्प से धोया जाता है और उसको पुनः पानी से धो दिया जाता है। जब यह सतह पूरी तरह साफ हो जाता है तो इसे अच्छी तरह सुखाया जाता है और इस पूरे कार्यखण्ड पर निक्षारक प्रतिरोधक पदार्थ के रूप में मसकेंट का लेप लगा दिया जाता है। मसकेंट के लेप को कार्यखण्ड पर 0.2 mm मोटा लगाना चाहिए। इस लेप को लगाने के लिए स्प्रे, डीपिंग विधि का प्रयोग किया जाता है। जिस कार्यखंड का कर्तन करना है उसको ऐसे घोल में डुबोया जाता है जहां से मासकेन्ट हट जाता है। यह मासकेन्ट सिर्फ वंही से हटता है जहां से धातु का कर्तन करना होता है अर्थात धातु को हटाना होता है। अब कार्यखण्ड को घोल में से निकालकर कार्यखण्ड को एक बार फिर से साफ जल से धोया जाता है।


कार्यखंड को जल में घोलने के बाद 129℃ के तापमान पर पकाया जाता है और पकाने के बाद इसे निक्षारक घोल में डाल दिया जाता है। कार्यखंड निक्षारक घोल में जाने के बाद उन स्थानों से पदार्थ को पृथक/कर्तन करने लगता है जहां से मासकेन्ट हट गया होता है अर्थात मासकेन्ट का लेप नहीं होता है। यह निक्षारक घोल पदार्थ को लवण के रूप में परिवर्तित करके अपने अंदर खोल लेता है। रासायनिक मशीनिंग विधि में किस निक्षारक घोल का प्रयोग किया जाए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मशीनिंग किए जाने वाला कार्यखण्ड किस पदार्थ का बना हुआ है।


रासायनिक मशीनिंग के प्रकार (Types of Chemical Machining in Hindi) -:

रासायनिक मशीनिंग प्रक्रिया दो प्रकार की होती है -

(A) रासायनिक ब्लैंकन (Chemical Blanking)

(B) रासायनिक मिलिंग (Chemical Milling)


(A) रासायनिक ब्लैंकन (Chemical Blanking) -:

जब रासायनिक विधि का प्रयोग करके कार्यखंड के एक सम्पूर्ण भाग को बनाएंगे बना दिया जाता है तो इस प्रक्रिया को रासायनिक ब्लैंकिंग (Chemical Blanking) कहते हैं। सामान्य ब्लैंकन और रासायनिक ब्लैंकन में मात्र अंतर है यह है कि सामान्य ब्लैंकन को यांत्रिक विधि द्वारा तैयार किया जाता है और रासायनिक ब्लैंकन को रासायनिक मशीनिंग द्वारा तैयार किया जाता है।


(B) रासायनिक मिलिंग (Chemical Milling) -:

इस प्रक्रम को कन्टूर मशीनिंग प्रक्रम भी कहा जाता है। रासायनिक मिलिंग का प्रयोग कार्यखण्ड पर इच्छा अनुसार धातु को कर्तन/पृथक करने के लिए या कार्यखण्ड के सम्पूर्ण पृष्ठ से धातु को हटाने या कर्तन करने के लिए किया जाता है।

इस विधि का प्रयोग करके वांछित आकार प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग कार्यखंड का भार कम करने के लिए भी किया जाता है।


रासायनिक मशीनिंग के लाभ (Advantages of Chemical Machining in Hindi) -:

1) इस प्रक्रम के द्वारा एक साथ कई कार्यखंडो को मशीनिंग किया जा सकता है।

2) इस विधि द्वारा मशीनिंग किए गए पार्ट पर बर्रे उत्पन्न नहीं होते है।

3) यह मशीनिंग प्रक्रम अन्य विधियों से सस्ती होती है।

4) 0.4 mm तक मोटे कार्यखंडो की मशीनिंग इस विधि द्वारा आसानी से की जा सकती है।

5) रासायनिक मशीनिंग एक ऐसी विधि जिसके द्वारा एक ही समय में दोनों सतहों की मशीनिंग एक साथ की जा सकती है।


रासायनिक मशीनिंग की हानियाँ/सीमाएं (Disadvantages/Limitations of Chemical Machining in Hindi) -:

1) इस प्रक्रम के द्वारा धातु पृथक होने की दर बहुत धीमी होती है।

2) बड़े कार्यखण्ड पर मशीनिंग प्रक्रिया करने में अधिक समय लगता है।

3) छिद्रों के निर्माण के लिए यह विधि खराब होती है।

4) इस विधि में जैसे-जैसे धातु बढ़ती जाती है वैसे ही इसके टॉलरेन्स भी बढ़ते जाते हैं।

5) इस प्रक्रम को करने के लिए कुशल कारीगर की आवश्यकता होती है।

6) इस मशीन इन प्रक्रिया के द्वारा आंतरिक कोने मशीनिंग नहीं किए जा सकते हैं।


रासायनिक मशीनिंग के अनुप्रयोग (Applications of Chemical Machining) -:

1) रासायनिक मशीनिंग का प्रयोग माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों को बनाने में किया जाता है।

2) जब धातु पृष्ठों पर नक्काशी बनाना होता है तो इस विधि का प्रयोग उपयुक्त होता है।

3) इस प्रक्रम का प्रयोग करके असमान आकृतियों की भी कास्टिंग का मशीनिंग आसानी से किया जा सकता है।

4) फोर्जिंग, कास्टिंग में उपस्थित बर्रे को दूर करने के लिए इस मशीनिंग का प्रयोग किया जाता है।

5) इस प्रक्रम के द्वारा राडार प्रवर्तक वायुयान के पुर्जे इत्यादि का निर्माण किया जाता है।


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