लेजर बीम मशीनिंग (Laser Beam Machining in Hindi) - लाभ और हानियाँ । अनुप्रयोग

लेजर बीम मशीनिंग/L.B.M. -:

लेजर बीम मशीनिंग प्रक्रम करने के लिए सबसे पहले लेजर प्रकाश का प्रबंध किया जाता है। यह एक प्रकार का विद्युत चुंबकीय विकिरण होता है जो एक वर्णीय प्रकाश है। लेजर किरण को 0.002 व्यास या इससे कम व्यास वाले छोटे बिंदु पर भी केंद्रित किया जा सकता है।

लेजर बीम मशीनिंग/L.B.M. प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण भाग एक लेजर क्रिस्टल होता है। यह क्रिस्टल मानव द्वारा बनाया क्या होता है। जिसे माणिक्य (Ruby) के नाम से जानते हैं। इस क्रिस्टल के छड़ को एल्यूमीनियम ऑक्साइड के साथ क्रोमियम की सूक्ष्म मात्रा 0.05 % को मिश्रित करके बनाया जाता है। जिसे रूबी क्रिस्टल छड़ कहते हैं।


लेजर बीम मशीनिंग (Laser Beam Machining in Hindi)
Laser Beam Machining Process


रूबी क्रिस्टल छड़ के दोनों सिरों पर दर्पण लगाकर उन्हें परावर्ती बनाया जाता है। अब रूबी क्रिस्टल को क्रियाशील करने के लिए एक ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता होती है जिसे पंप के नाम से जाना जाता है पंप एक ऐसा क्षणदीप्त लैंप (फ्लैश लैंप) होता है जिसमें जीनान आर्गन, और क्रिप्टान नामक निष्क्रिय गैस से भरी होती हैं। उच्च परावर्ती सिलेंडर नामक एक उपकरण होता है, जिसमें फ्लैश लैंप को रखा जाता है। इस उच्च परावर्ती सिलेंडर नामक उपकरण की दीवारें बहुत ही उच्च परावर्ती की होती हैं जिसके कारण इसमें उपस्थित फ्लैश लैंप का प्रकाश सिलिंडर की दीवारों को पार करके रूबी क्रिस्टल पर पड़ता है। जब रूबी क्रिस्टल पर यह प्रकाश पड़ता है तो रूबी क्रिस्टल अधिक से अधिक  ऊष्मा को अवशोषित करती है। यह क्रिस्टल जितना ही ऊष्मा को अवशोषित करती है, उसमें उपस्थित क्रोमियम के परमाणु उच्च ऊर्जा स्तर पर उत्तेजित होने लगते हैं और उत्तेजित होने के बाद जब वे अपनी सामान्य स्थिति में आते हैं तब फोटॉन का उत्सर्जन करते हैं। फोटोन उत्सर्जन होने के कारण उच्च ऊर्जा उपलब्ध हो जाती है। इस उच्च ऊर्जा के कारण रूबी क्रिस्टल के तापमान में वृद्धि होने लगती है। इस तापमान को कम करना आवश्यक होता है क्योंकि रूबी क्रिस्टल की दक्षता घटने लगती है। रूबी क्रिस्टल की दक्षता कम ना हो इसके लिए उस पर पानी से शीतलन किया जाता है या वायु अथवा नाइट्रोजन द्वारा शीतलन किया जाता है।


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जब रूबी क्रिस्टल में ऊर्जा अधिक होने लगती है तो ये बाहर जाने का प्रयास करने लगते हैं, जैसा कि हम जानते हैं कि रूबी क्रिस्टल के दोनो ओर दर्पण लगा होता है। रूबी क्रिस्टल की ऊपरी सिरे पर जो दर्पण लगा होता है वह पूर्ण रुप से रिफ्लेक्टेड होता है जिसके कारण कोई भी ऊर्जा जाती तो है लेकिन टकराकर उस दर्पण से वापस आ जाती है। और रूबी क्रिस्टल के नीचे जो दर्पण लगा होता है वह पूर्ण रुप से रिफ्लेक्टर नहीं होता है। अतः इसी मार्ग से प्रकाश ऊर्जा बाहर निकली है जिसके ठीक नीचे फोकस लेंस लगा लगा होता है जो पूरे प्रकाश को एकत्रित करके कार्यखंड के एक बिंदु पर फोकस कर देती है। इतनी सारी ऊर्जा को पाकर कार्यखण्ड के सतह के कर्तन होने लगता है।


लेजर बीम मशीनिंग के लाभ (Advantages of Laser Beam Machining in Hindi) -:

1) लेजर बीम मशीनिंग द्वारा जटिल कार्यखंडों में भी ड्रिलिंग और कटिंग की प्रक्रिया संपन्न की जाती है।

2) इस विधि का प्रयोग करके किसी भी ठोस पदार्थ को आसानी से व सरलतापूर्वक काटा जा सकता है।

3) इसके द्वारा सॉफ्ट मैटेरियल अर्थात मुलायम पदार्थों पर भी मशीनिंग की जा सकती है।

4) लेजर बीम मशीनिंग द्वारा धात्विक और अधात्विक पदार्थ, दोनों को मशीनिंग किया जाता है।

5) मशीनिंग प्रक्रिया करते वक्त लेजर बीम को बहुत छोटे क्षेत्र पर भी केंद्रित करके मशीनिंग क्रिया की जा सकती है।


लेजर बीम मशीनिंग की हानियाँ/सीमाएं (Disadvantages/Limitations of Laser Beam Machining in Hindi) -:

1) इस प्रक्रम में धातु को काटने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है।

2) लेजर बीम मशीनिंग में उपयोग होने वाले उपकरण की लागत अधिक होती है।

3) Laser Beam Machining (LBM) द्वारा किए गए छिद्र गोल और सीधे नहीं होते हैं।

4) रूबी की क्रिस्टल में प्रयोग किए जाने वाले फ्लैश लैम्प का जीवनकाल काम होता है।

5) लेजर बीम मशीनिंग का प्रयोग केवल पतली धातु की चादरों तक ही सीमित रहता है।


लेजर बीम मशीनिंग के अनुप्रयोग (Applications of Laser Beam Machining in Hindi) -:

1) लेजर बीम मशीनिंग प्रक्रम का प्रयोग निर्माण वस्त्र उद्योग में कपड़ों का डिजाइन काटने के लिए किया जाता है।

2) इसका उपयोग हम रबड़, चमड़ा तथा ऊन इत्यादि उद्योगों में कर्तन करने के लिए करते हैं।

3) लेजर बीम मशीनिंग का प्रयोग करके तारों की विद्युत रोधी स्ट्रैपिंग की जाती है।

4) पावर ट्रांसमिशन और रडार यन्त्रावली में भी लेजर बीम का उपयोग किया जाता है।

5) लेजर बीम मशीनिंग का प्रयोग जहाज निर्माण में किया जाता है।

6) इस विधि का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में भी किया जाता है।


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