डाई कास्टिंग क्या है? प्रकार - लाभ और हानि & प्रयोग

डाई कास्टिंग (Die Casting in Hindi) -:

डाई कास्टिंग विधि द्वारा केवल अलौह धातूओं की ही कास्टिंग की जा सकती है। डाई कास्टिंग विधि का प्रयोग करते समय सबसे पहले धातु के परमानेंट डाई साँचे को दो भागों में तैयार कर लेते हैं। अब डाई के दोनों भागों को आपस में जोड़ कर उसमें उच्च दाब पर पिघली धातु को डालते हैं। पिघली धातु जैसे ही डाई में पहुंचती है वह ठंडी हो जाती है और जमने लगती है, क्योंकि डाई में जल शीतलन की उचित व्यवस्था की गई होती है। जब पिघली धातु अच्छी तरह जम जाती है तो डाई के दोनों भाग को अलग करके कास्टिंग की गई वस्तु को बाहर निकाल लिया जाता है। जब डाई में पिघली धातु को ऊंच दाब पर प्रवेश कराया जाता है तो उन पिघली धातुओं को प्रवेश कराने के लिए दो प्रकार की मशीनें प्रयोग में लाई जाती है जिन्हें डाई ढलाई मशीनें (Die Casting Machines) कहते हैं।


डाई कास्टिंग क्या है? Die Casting in Hindi

डाई कास्टिंग के प्रकार (Types of Die Casting in Hindi) -:

डाई कास्टिंग मशीनों को दो भागों में बांटा गया है, यह दो प्रकार की होती हैं।

(A) हॉट चैंबर मशीनें (Hot Chamber Machines)

(B) कोल्ड चैंबर मशीनें (Cold Chamber Machines)


(A) हॉट चैंबर मशीनें (Hot Chamber Machines) -:

इस मशीन में धातु को पिघलाने की व्यवस्था मशीन में ही स्थित होती है। सबसे पहले धातु को मशीन में स्थित एक पात्र में रख दिया जाता है, यह पात्र एक भट्टी में उपस्थित होता है। धातु को पिघलाने के लिए भट्टी में ईंधन का दहन किया जाता है। इस ईंधन का दहन तब तक किया जाता है जब तक कास्टिंग की पूरी प्रक्रिया पूर्ण हो जाए। ईंधन को भट्टी में डालने से पात्र में उपस्थित धातु पिघलने लगती है। जब धातु पिघल जाती है तो इसको डाई में पहुंचाने के लिए मैकेनिकल डिवाइस का प्रयोग किया जाता है। इस डिवाइस में लगी प्लंजर द्वारा पिघली धातु को उच्च दाब पर डाई में प्रवेश करवाते हैं। इस हॉट चैंबर मशीन में डाई को खोलने और बंद करने की युक्ति भी लगी होती है इसलिए जब कास्टिंग तैयार हो जाता है तो डाई को आसानी से खोलकर बाहर निकाल लिया जाता है।

हॉट चैम्बर मशीन विधि का प्रयोग करके पतले काट की कास्टिंग को परिशुद्धतापूर्वक तथा फिनिशिंग के साथ तैयार किया जाता है।

इस विधि का उपयोग करके सीसा, जस्ता, टीन, एलुमिनियम और मैग्नीशियम की मिश्र धातुओं की कास्टिंग की जाती है।


(B) कोल्ड चैंबर मशीनें (Cold Chamber Machines) -:

इस मशीन में धातु को पिघलाने का प्रबंध नहीं होता है। इसमें पिघली धातु को डालने के लिए किसी बाहरी भट्टी में धातु को पिघलाकर इस चैम्बर मशीन में डालते हैं। पिघली धातु को बाहर पिघलाकर लैडल की सहायता से मशीन में डालते हैं। यह पिघली धातु प्लंजर के द्वारा उच्च दाब पर डाई में प्रवेश कराई जाती है। जबकि पिघली धातु डाई में पहुंच जाती है तो धीरे-धीरे ठंडी होने लगती है और ठंडा होकर जमने लगती है। जब वह अच्छी तरह जम जाती है तो इस कास्टिंग को निकालने के लिए डाई को अलग करके निकाल ललिया जाता है।

कोल्ड चेंबर मशीन से कास्टिंग करने की विधि एलुमिनियम धातु के लिए सबसे अधिक उपयुक्त होती है। क्योंकि इस विधि में होल्डिंग फरनेस में धातु लगातार गर्म होता रहता है जिसके कारण उसमें ऑक्साइड बन जाती हैं और साथ ही कास्टिंग द्वारा हाइड्रोजन सोख लेने से पिन होल्स ब्लो होल इत्यादि आने की संभावना रहती है। जबकि एल्युमीनियम पर ऑक्साइड और हाइड्रोजन का बुरा प्रभाव नही पड़ता है।


डाई कास्टिंग के लाभ (Advantages of Die Casting in Hindi) -:

1. डाई कास्टिंग विधि का प्रयोग अधिक उत्पाद को तैयार  करने के लिए किया जाता है क्योंकि इसकी उत्पादन दर अधिक होती है।

2. इस विधि द्वारा कास्टिंग की गई सतह की वीमा एक्यूरेसी परिशुद्ध होती है।

3. डाई कास्टिंग विधि के द्वारा कास्टिंग की गई सतह की फिनिशिंग अच्छी होती है।

4. इस विधि द्वारा तैयार किए गए कास्टिंग की सतह पर पतली पन्नियां भी चढ़ाई जा सकती हैं।

5. डाई कास्टिंग का प्रयोग करके बनाया जाने वाली कास्टिंग के कणों की संरचना मजबूत होती है।

6. इस विधि का प्रयोग करके कास्टिंग में अच्छे यांत्रिक गुण प्राप्त किए जाते हैं।

7. डाई कास्टिंग विधि के द्वारा जटिल संरचना वाले ढलाई को भी तैयार किया जा सकता है।


डाई कास्टिंग से हानि (Disadvantages of Die Casting in Hindi) -:

1. उच्च गलनांक वाली धातु के लिए यह विधि उपयुक्त नहीं होती है।

2. डाई कास्टिंग विधि का प्रयोग करके बड़े पार्ट की कास्टिंग नहीं की जा सकती है।

3. डाई कास्टिंग विधि में प्रयोग होने वाली डाई की कीमत अधिक होती है।

4. इस विधि का प्रयोग करके कास्टिंग करते समय कुछ से गैसे कास्टिंग में रुक जाती हैं जिसके कारण सरंध्रता दोष उत्पन्न हो जाता है।

5. इस विधि द्वारा प्रयोग किए जाने वाले कास्टिंग 30 ग्राम से 10 किलो के बीच में होना चाहिए।


डाई कास्टिंग के प्रयोग (Application of Die Casting in Hindi) -:

1. इस विधि का प्रयोग ऑटोमोबाइल सेक्टर में किया जाता है।

2. इस विधि के द्वारा घरेलू उपकरण की कास्टिंग की जाती है।

3. एयर स्पेस के सामानों की कास्टिंग भी इसी विधि द्वारा की जा सकती है।

4. डाई कास्टिंग का उपयोग मशीनों और उसके पार्ट के निर्माण के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

5. जब अधिक मात्रा में उत्पादन करना होता है तो या विधि अधिक उपयोगी सिद्ध होती है।

6. इस विधि का उपयोग करके छोटे पार्ट का भी निर्माण किया जा सकता है।



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