ऑक्सी-एसिटिलीन वेल्डिंग के आधार पर ज्वाला का वर्गीकरण

ऑक्सी-एसिटिलीन वेल्डिंग के आधार पर ज्वाला का वर्गीकरण (Flame classification based on oxy-acetylene welding in hindi)

1. एसिटिलीन फ्लेम (Acetylene Flame)

2. न्यूट्रल फ्लेम (Neutral Flame)

3. कार्बूराइजिंग फ्लेम या रिड्यूसिंग फ्लेम (Carburising or Reducing Flame)

4. ऑक्सीडाइजिंग फ्लेम (Oxidising Flame)


1. एसिटिलीन फ्लेम (Acetylene Flame in Hindi)

ऑक्सी एसिटिलीन गैस में केवल एसिटिलीन गैस होती है। यह एसिटिलीन गैस वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन से मिलकर जलती है। जब ऑक्सीजन और एसिटिलीन मिलकर जलते हैं, तो तेजी से निकलता हुआ काला धुंआ दिखाई देता है यह धुऑं बिना जला हुआ कार्बन होता है। जो वायुमण्डल में मिलता है।


2. न्यूट्रल फ्लेम (Neutral Flame in Hindi)

जब एसिटिलीन गैस और ऑक्सीजन गैस बराबर मात्रा में मिलाकर वेल्डिंग टॉर्च के द्वारा जलायी जाती है तो उदासीन ज्वाला का निर्माण होता है। इस उदासीन ज्वाला का तापमान 3200 ℃ के आस-पास होता है। यह Flame बाहरी भाग (Outer Zone) में होती है। Outer Zone में सुपर हीटेड कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन गैसे होती हैं जो Inner Cone से प्राप्त होती हैं। यह गैसे वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन से क्रिया करती हैं।

न्यूट्रल फ्लेम (Neutral Flame in Hindi)

इस फ्लेम का रंग की अधिक गाढ़ा होने के साथ-साथ डार्क भी होता है। यह ऐसा Flame है,  जिसके वेल्ड मेटल पर कोई रासायनिक परिवर्तन नहीं होता है। इसलिए इस Flame को उदासीन ज्वाला (Neutral) फ्लेम कहा जाता है।


3. कार्बूराइजिंग फ्लेम या रिड्यूसिंग फ्लेम (Carburising or Reducing Flame in Hindi)

उदासीन ज्वाला को दी जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा जब घटा दिया जाता है तो वह ज्वाला कार्बूराइजिंग फ्लेम या रिड्यूसिंग फ्लेम बन जाती है। इस फ्लेम में ऑक्सीजन की मात्रा कम और एसिटिलीन की मात्रा अधिक होती है। Acetylene Feather में कार्बूराइजिंग फ्लेम या रिड्यूसिंग फ्लेम होता है। Acetylene Feather, इनर कोन और आउटर जोन के बीच मे होता है।

कार्बूराइजिंग फ्लेम या रिड्यूसिंग फ्लेम (Carburising or Reducing Flame in Hindi)
इस फ्लेम का तापमान 3038℃ के आस पास होता है। यह फ्लेम, हार्ड फेसिंग या केस हार्डनिंग के भी काम आती है। इस फ्लेम के द्वारा ऐसी धातु को नहीं जोड़ना चाहिए जो अपने अंदर कार्बन को अवशोषित करें, क्योंकि ऐसी धातु जब कार्बन सोख लेती हैं तो बहुत ही कठोर बन जाती हैं।


4. ऑक्सीडाइजिंग फ्लेम (Oxidising Flame in Hindi)

वेल्डिंग टॉर्च के द्वारा उदासीन ज्वाला बनाने के बाद यदि उसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ा दिया जाए तो ऑक्सिडाइजिंग Flame का निर्माण होता है। इस फ्लेम का रंग नीला होता है। ऑक्सीडाइजिंग फ्लेम जलते हुए शोर करती है। 

ऑक्सीडाइजिंग फ्लेम (Oxidising Flame in Hindi)
ऑक्सीडाइजिंग फ्लेम (Oxidising Flame) का तापमान 3480℃ तक रहता है। इस Flame का तापमान सबसे अधिक होता है। स्टील को वेल्ड करने के लिए इस फ्लेम का प्रयोग नही किया जाता है।


फ्लेम के वेग के आधार पर फ्लेम के प्रकार (Types of Flames Based on Flame Velocity in Hindi)

फ्लेम के वेग के आधार पर फ्लेम 3 प्रकार के होते हैं।

1) नर्म ज्वाला (Soft Flame)

2) सख्त ज्वाला (Harsh Flame)

3)  डेटोनेशन ज्वाला (Destination Flame)


1) नर्म ज्वाला (Soft Flame)

इस फ्लेम का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है क्योंकि इस फ्लेम के द्वारा धातु आसानी से पिघल जाती है, जिससे वेल्डिंग करने में आसानी होती है।

वेल्डिंग होने के बाद पिघली धातु, जब ठंडी होती है तो इसके द्वारा जिस बीड का निर्माण होता है वह बहुत ही सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है। जब गैस को उचित दाब पर और मानक टिप के साइज का प्रयोग करते हैं तो नर्म ज्वाला बनती है। कभी-कभी ऐसा होता है कि कार्य करते समय फ्लेम का वेग बढ़ जाता है, यह समस्या होने पर टॉर्च की टिप का छिद्र साफ कर लेना चाहिए। नर्म ज्वाला (Soft Flame) का वेग 10 से 15 मीटर प्रति सेकंड होता है।


2) सख्त ज्वाला (Harsh Flame)

ऐसी फ्लेम का प्रयोग धातु को काटने के लिए किया जाता है। सख्त ज्वाला (Harsh Flame) का वेग 100m-200m/Sec होता है। इतना अधिक वेग होने के कारण धातु के उड़ने का डर बना रहता है। इतना अधिक गति इस Flame में इसलिये आता है क्योंकि इसमें अधिक दाब पर, कम सुराख के टिप प्रयोग किये जाते हैं।


3)  डेटोनेशन ज्वाला (Destination Flame)

इस ज्वाला का वेग बहुत ही अधिक होता है। इसी कारण इस ज्वाला का प्रयोग नही किया जाता है। डेटोनेशन ज्वाला (Destination Flame) का प्रयोग करना असंभव है। इस ज्वाला का प्रयोग करने में, हमारा विज्ञान आज भी पीछे है।




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