वेल्डिंग जोड़ का प्रयोगशाला परीक्षण (Laboratory Test) कैसे किया जाता है? प्रकार/विधियाँ

वेल्डिंग जोड़ का प्रयोगशाला परीक्षण (Laboratory Test in Hindi)

वेल्डिंग जोड़ का प्रयोगशाला परीक्षण (Laboratory Test in Hindi) -:

इस वेल्डिंग परीक्षण के द्वारा प्रयोगशाला में ही कार्यखंडों के नमूनों को लेकर इनका जांच किया जाता है। इस परीक्षण के द्वारा नंगी आंखों से देखे जाने वाले और नंगी आंखों से नहीं देखे जाने वाले दोनो प्रकार के वेल्डिंग दोषों का पता लगाया जाता है। वेल्डिंग दोषों को ढूंढने के लिए प्रयोगशाला में विभिन्न प्रकार के उपकरणों का सहारा लिया जाता है जो वेल्डिंग में उपस्थित दोषों को ढूंढने में सहायक होते हैं।


प्रयोगशाला में वेल्डिंग परीक्षण के प्रकार (Types of Welding Testing in the Laboratory) -:

इन वेल्डिंग परीक्षण को कई भागों में बांटा गया है -

1. वेल्डिंग का सूक्ष्मदर्शी परीक्षण

2. वेल्डिंग का रासायनिक परीक्षण

3. वेल्डिंग का यान्त्रिक परीक्षण

4. वेल्डिंग का संक्षारण परीक्षण

5. वेल्डिंग का स्थूलदर्शी परीक्षण


1. सूक्ष्मदर्शी परीक्षण (Microscopic Test) -:

वेल्ड किये गए कार्यखण्ड में छिपे हुए ऐसे दोष जिनको नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है। उनको देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार वेल्डिंग दोष को पता करने की प्रक्रिया को सूक्ष्मदर्शी परीक्षण कहते हैं। इसके द्वारा दरारें, ब्लो-होल्स, स्लैग इंक्लूजन आदि दोषों का पता किया जा सकता है।

इस विधि का प्रयोग करके कार्यखण्ड का परीक्षण करने के लिए एक टुकड़े को नमूने के रूप में काट लिया जाता है और ग्राइंड करके हाथ द्वारा बारीक Abrasive पर घिसकर पॉलिश करने के लिए तैयार कर लेते हैं। अब एलमुनियम ऑक्साइड के चूर्ण में रगड़कर इसका पॉलिश करते हैं। पॉलिश की प्रक्रिया खत्म होने के बाद इसका निक्षारण करते हैं।

कार्यखण्ड के नमूनों का निर्धारण करते समय अलग-अलग धातुओं के लिए अलग-अलग तरह के रसायन का प्रयोग किया जाता है और निक्षारण करने के बाद नमूने की सतह को पानी से धो कर सुखाया जाता है उसके पश्चात सूक्ष्मदर्शी द्वारा आवर्धन करके नमुने के माइक्रोस्ट्रक्चर को देखकर या फोटोमाइक्रोग्राफ को लेकर अनुभवी मेटलग्राफर से उसमें  छिपे हुए दोषो को पता लगाने के लिए कहा जाता है। मेटलग्राफर नमूने के टुकड़ों को देखकर उसमे उपस्थित दोषो को आसानी से बता देता है।

◆स्टील का निक्षारण करने के लिए 1% से 2% नाइट्रिक एसिड को अल्कोहल में मिलाकर या पिक्रिक एसिड को अल्कोहल में मिलाकर इसका निक्षारण किया जाता है।

◆तांबे के निक्षारण के लिए एलमुनियम पर सल्फेट या फेरिक क्लोराइड को नमक की तेजाब में मिलाकर निक्षारण किया जाता है।

◆एल्युमीनियम का निक्षारण जब करना होता है तो एल्युमीनियम यौगिक तथा हाइड्रोक्लोरिक एसिड अथवा कास्टिक सोडा और नाइट्रिक एसिड को काम में लाकर इसका निक्षारण करते हैं।


2. रासायनिक परीक्षण (Chemical Analysis) -:

जब कार्यखंड की वेल्ड बीड के बेस मेटल का या इलेक्ट्रोड का रासायनिक कंपोजीशन ज्ञात करना होता है तो इसके लिए मेटल की चिपिंग या ड्रिलिंग आदि का रासायनिक विश्लेषण किया जाता है। कार्यखंड का नमूना प्राप्त करने के लिए, 75×1018 का नमूना बनाया जाता है और परीक्षण करते हुए चिपिंग और ड्रिलिंग करते हुए नमूने में से निकाली जाती है।


3. यान्त्रिक परीक्षण (Mechanical Test) -:

इस परीक्षण को प्रयोगशाला में सबसे महत्वपूर्ण परीक्षण माना जाता है। वेल्ड जोड़ का वास्तविक सामर्थ्य इसी परीक्षण के द्वारा तय किया जाता है और यह परीक्षण करने में भी आसान होती है। विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में अलग-अलग लगने वाले भारो को सहन करने की सामर्थ्य ज्ञात करने के लिए यांत्रिक परीक्षण का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है।

यांत्रिक परीक्षण के प्रकार -

इस परीक्षण को निम्न भागों में बांटा गया है -

१) तन्यता परीक्षण (Tensile Test)

२) नम्यता परीक्षण (Bending Test)

३) आघात परीक्षण (Impact Test)

४) कठोरता परीक्षण (Hardness Test)

५) श्रांतिज परीक्षण (Fatigue Test)


4. संक्षारण परीक्षण (Corrosion Test) -:

वेल्ड मेटल में उपस्थित या उसके पास स्थित ऐसे तत्व जो कार्यखंड की वेल्ड जोड़ में संक्षारण पैदा कर सकते हैं ऐसे तत्वों का परीक्षण प्रयोगशाला में किया जाता है। इनका परीक्षण करके यह ज्ञात किया जाता है कि कार्यखंड वास्तविक परिस्थितियों में किस प्रकार कार्य करेगा।


5. स्थूलदर्शी परीक्षण (Macroscopic Test) -:

इस परीक्षण को करने के लिए कार्यखण्ड से नमूने को लेकर ग्राइंडिंग व्हील के द्वारा घर्षण करते हैं और फिर एमरी पेपर से नमूने को मुलायम किया जाता है। 

अब नमूने को अमोनियम सल्फेट और पानी के मिश्रण में 1:9 के अनुपात में मिलाकर, नमूने पर रगड़ा जाता है। इसको नमूने पर तब तक रगड़ना चाहिए जब तक वेल्ड हुए नमूने का माइक्रोस्ट्रक्चर दिखाई ना दे दे। माइक्रोस्ट्रक्चर देखने के बाद रगड़ना बंद कर दिया जाता है और नमूने को पानी से साफ करके सुखा देते हैं। एक बार पुनः फिर से नमूने को इथाइल अल्कोहल में भिगोया जाता है और सुखाया जाता है। अंत में एक माइक्रोस्कोप के द्वारा नमूने का आकलन करके उपस्थित दोषों को निकालने का प्रयास किया जाता है।



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