वेल्डिंग जोड़ का कार्यशाला परीक्षण (Work-Shop Test of Welding Joints in Hindi)

वेल्डिंग जोड़ का कार्यशाला परीक्षण (वेल्डिंग जोड़ का कार्यशाला परीक्षण (Work-Shop Test of Welding Joints in Hindi) of Welding Joints in Hindi)

यह ऐसी वेल्डिंग परीक्षण है जिसके द्वारा कार्यशाला में ही कार्यखंडों पर वेल्डिंग करने से पहले ही कार्यखण्ड के जोड़ का निरीक्षण कर लिया जाता है। इस परीक्षण के द्वारा, बिना वेल्ड हुए कार्यखण्डों के दोषो का पता लगाया जाता है और उनका निवारण किया जाता है। इस परीक्षण को करते समय उपकरणों की भली-भांति जांच कर ली जाती है ताकि उन उपकरणों के कारण कोई दोष न उत्पन्न हो। बिना वेल्ड हुये कार्यखण्ड को भी अच्छी तरह से जांच परखा जाता है।


कार्यशाला में कार्यखण्ड के दोषों को पता करने के लिए निम्न स्टेप अपनाए जाते हैं -

1. कार्यखंड की संरचना और धातु के अनुसार उसकी कोर सज्जा का जांच किया जाता है।

2. वेल्डिंग करते समय उस में उपयोग होने वाले करंट वोल्टेज तथा इलेक्ट्रोड के उचित चुनाव का जांच किया जाता है।

3. आर्क की लंबाई और वेल्डिंग करने की गति का आकलन किया जाता है।

4. कार्यखण्ड के वेल्ड बीड के आकार की जांच किया जाता है।

5. वेल्ड बीड की उत्तलता और अवतलता को जांचने के लिए मानक गेजो का प्रयोग किया जाता है।

6. नंगी आंखों के द्वारा बीड के बाद क्रेटर, दरारें, अंडरकट स्पैटर इत्यादि की जांच की जाती है।


निक टेस्ट परीक्षण के द्वारा वेल्ड बीड में प्रयोग होने वाली फिलर धातु का निम्न परीक्षण किया जाता है -

●इसमें सरंध्रता का परीक्षण किया जाता है।

●इसमें स्लैग इंक्लूजन जांचा जाता है।

●गैस पॉकेट को चेक किया जाता है।

●फ्यूजन की कमी जांचा जाता है।


वेल्ड जोड़ की सुघट्यता की जांच करना -:

सर्वप्रथम कार्यखण्ड में से नमूने को काटा जाता है और परीक्षण के लिए कार्यशाला में उसको तैयार किया जाता है। जब नमूना परीक्षण के लिए तैयार हो जाता है तो उसे हथौड़े की सहायता से थोड़ा जाता है, जब तक वह टूट नहीं जाता है उस पर हथौड़े से प्रहार किया जाता है। जब नमूना टूट जाता है तो टूटे हुए नमूने को देखकर बताया जा सकता है कि वेल्ड किए गए कार्यखण्ड में कौन - कौन जे दोष हो सकते है। वेल्डिंग दोष पता चलने के बाद, आगे होने वाली वेल्डिंग की गुणवत्ता में सुधार किया जाता है।



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