अन्तर्दहन इंजन के मुख्य भाग । Main Parts of IC Engine in Hindi

Internal Combination Engine के मुख्य भाग या अंगों के नाम -:

1. सिलिंडर (Cylinder)

2. सिलिंडर हेड (Cylinder Head)

3. कनेक्टिंग रॉड (Connecting Rod)

4. इंजन बेयरिंग (Engine Bearing)

5. क्रैंक (Crank)

6. क्रैंक केस (Crank Case)

7. क्रैंक शाफ्ट (Crank Shaft)

8. इंजेक्टर (Injector)

9. स्पार्क प्लग (Spark Plug)

10. कार्बुरेटर (Carburettor)

11. पिस्टन (Piston)

12. पिस्टन रिंग (Piston Ring)

13. पिस्टन पिन (Piston Pin)

14. फ्लाई व्हील (Flywheel)

15. गवर्नर (Governor)

16. वाल्व व वाल्व स्प्रिंग (Valve & Valve Spring)


अन्तर्दहन इंजन के मुख्य भाग । Main Parts of IC Engine in Hindi


1. सिलिंडर (Cylinder) -:

यह IC इंजन का एक प्रमुख अंग है। सिलिंडर के द्वारा पिस्टन को गाइड किया जाता है और सिलिंडर में उच्च दाब पर गैस भरी रहती है। सिलेंडर के अंदर जो गैस भरी रहती है उसका दाब 70 Bar होता है तथा सिलिंडर के अंदर 250℃ का ताप भी स्थित रहता है।

सिलिंडर को बनाने के लिए उच्च ग्रेड का ढलवा लोहा  प्रयोग में लाया जाता है। सिलिंडर को ढालने के लिए इसको एक ही पीस में ढलाई करनी होती हैं।


2. सिलिंडर हेड (Cylinder Head) -:

IC इंजन में सिलिंडर हेड का कार्य उसमे उपस्थित सभी  कार्यकारी भाग को ढकना होता है। सिलेंडर हेड के द्वारा, उसके अंदर कार्य करने वाले सभी भागों या पार्ट को ढक कर रखा जाता है, साथ ही साथ गैसों के प्रवाह को वाल्व के माध्यम से नियंत्रित करने के लिए भी सिलेंडर हेड ही उपयोग में लाया जाता है।

सिलिंडर हेड को बनाने के लिए ढलवा लोहा और एलुमिनियम का उपयोग किया जाता है। सिलेंडर हेड में दो वाल्व लगे होते हैं।

१. Inlet Valve

२. Exhaust

सिलेंडर हेड में स्पार्क प्लग या इंजेक्टर को Drill करके और चूड़ी काटकर ही लगाया जा सकता है।


3. कनेक्टिंग रॉड (Connecting Rod) -:

IC इंजन के अंदर लगा हुआ कनेक्टिंग रॉड, पिस्टन की पश्च-अग्र गति को क्रैंक की घूर्णन गति में बदलने का कार्य करता है। कनेक्टिंग रॉड पिस्टन पिन द्वारा पिस्टन से जुड़ा होता है और वही इसका दूसरा छोर क्रैंक पिन के द्वारा क्रैंक से जोड़ने का कार्य करता है।

कनेक्टिंग रॉड को बनाने के लिए निकील, क्रोमियम, वेनेडियम, स्टील और एलमुनियम धातुओं का उपयोग किया जाता है।


4. इंजन बेयरिंग (Engine Bearing) -:

IC इंजन का इंजन बेयरिंग एक ऐसा अंग है जो क्रैंके शाफ्ट को सहारने का कार्य करता है। इस बेयरिंग को तेल के माध्यम से स्नेहन किया जाता है। इंजन बेयरिंग जब स्नेहित हो जाता है तो इसकी गति में वृद्धि हो जाती है और यह बहुत की सुगमता के साथ गति करता है।

वैसे इंजन बेयरिंग दो प्रकार का होता है -

१) स्लाइड इंजन बेयरिंग (Slide Engine Bearing)

२) रोलिंग इंजन बेयरिंग (Rolling Engine Bearing)

इंजन बेयरिंग का निर्माण White Metal, Alloy Metal, Leaded Bronze का इस्तेमाल करके कास्टिंग किया जाता है।


5. क्रैंक (Crank) -:

ऐसा सिस्टम जो पिस्टन की पश्चाग्र गति को घूर्णन गति में परिवर्तित कर देता है, उस सिस्टम को क्रैंक (Crank) कहते हैं। क्रैंक के द्वारा पिस्टन पश्चाग्र गति को घूर्णन गति में परिवर्तित कर देता है। क्रैंक, क्रैंक शाफ्ट का बहुत ही महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग होता है।


6. क्रैंक केस (Crank Case) -:

क्रैंक केस इंजन का मुख्य भाग होता है इसमें सिलिंडर और पिस्टन आपस में बंधे होते हैं। बंधे हुए सिलिंडर और पिस्टन के अंदर क्रैंक, क्रैंक शाफ्ट, इंजन बेयरिंग इत्यादि अंग भी आपस में जुड़े होते हैं। क्रैंक केस अपने अंदर स्थित अंगों को धूल से बचाने का कार्य करता है। क्रैंक केस के माध्यम से अंदर स्थित अंगों का स्नेहन भी किया जाता है।


7. क्रैंक शाफ्ट (Crank Shaft) -:

IC इंजन का यह भाग मेन बेयरिंग से जुड़ा होता है। क्रैंक शाफ्ट को शक्ति इंजन सिलेंडर के द्वारा कनेक्टिंग रॉड, क्रैंक इत्यादि से जुड़ा होता हैं।

क्रैंक का निर्माण करने के लिए स्टील फोर्जिंग विधि को अपनाया जाता है। क्रैंक शाफ्ट का निर्माण करने के लिए स्पेशल कास्ट आयरन का प्रयोग किया जाता है।


8. इंजेक्टर (Injector) -:

इंजेक्टर का उपयोग डीजल इंजन में किया जाता है इंजेक्टर के माध्यम से डीजल को स्प्रे के रूप में इंजन सिलेंडर में डालते हैं, जिसके बाद वह संपीडित होता है और उसके पश्चात इसका दहन होता है। इंजेक्टर को Fuel Atomizer के नाम से भी जाना जाता है।


9. स्पार्क प्लग (Spark Plug) -:

स्पार्क प्लग का उपयोग पेट्रोल इंजन में किया जाता है। पेट्रोल और वायु का दहन करने के लिए स्पार्क प्लग के माध्यम से एक चिंगारी उत्पन्न होती है जो ईधन का दहन करती है। स्पार्क प्लग में एक धातु का कक्ष बना होता है जिसमें दो इलेक्ट्रोड लगे होते हैं। इन दोनों इलेक्ट्रोडो को एक दूसरे से Air Gap की सहायता से इंसुलेट किया जाता है। स्पार्क प्लग में जो इलेक्ट्रोड सप्लाई करता है उससे उच्च तनन विद्युत उत्पन्न होती है इससे चिंगारी निकलता है और ईंधन का दहन होता है।


10. कार्बुरेटर (Carburettor) -:

इसका उपयोग भी पेट्रोल इंजन में ही किया जाता है। कार्बुरेटर का मुख्य कार्य होता है कि यह ईंधन की निश्चित मात्रा को कणों के रूप में वायु के मिश्रण के साथ इंजन सिलिंडर में डालता है। वायु तथा ईंधन की उपयुक्त मात्रा में मिश्रण बनाने की प्रक्रिया को कार्बुरीकरण कहा जाता है। पेट्रोल इंजन में कार्बुरेटर के द्वारा ईधन और वायु के मिश्रण का अनुपात 15:1 बनाया जाता है।


11. पिस्टन (Piston) -:

यह IC इंजन का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है। IC इंजन के अंदर स्थित Piston प्रत्येक सिलेंडर के साथ जुड़ा हुआ होता है जो सिलेंडर के गैस के दाब को कनेक्टिंग रॉड और Crank पर स्थानांतरित करने का कार्य करता है। पिस्टन सिलिंडर के साथ पश्चाग्र गति करता हुआ है गैसीय दाब को स्थानांतरित आता है।

पिस्टन के निर्माण में कास्ट स्टील और एलमुनियम धातु का उपयोग किया जाता है जो कि उच्च सामर्थ्य पदार्थ वाली धातुएं हैं।


12. पिस्टन रिंग (Piston Ring) -:

अभी-अभी हमने पढ़ा है कि सिलिंडर के अंदर पिस्टन उपस्थित होता है परंतु पिस्टन को सिलिंडर के अंदर Loose Fit बनाए रखने के लिए पिस्टन रिंग का उपयोग किया जाता है। ध्यान रहे कि कभी भी पिस्टन Tight Fit न होने पाए अन्यथा IC इंजन में घर्षण उत्पन्न हो जायेगा, जिसके कारण टूट फुट उत्पन हो जाएगा।

पिस्टन रिंग दो प्रकार का होता है।

१) ऊपरी रिंग या संपीडन रिंग (Compression Ring)

२) निचली रिंग या आयल रिंग (Oil Ring)

पिस्टन रिंग में Oil Groove बने होते हैं। इस Oil Groove में छिद्रों के माध्यम से स्नेहक तेल डाला जाता है और नियंत्रित करते हैं। पिस्टन निर्माण करने के लिए ऐसे धातू का प्रयोग करते हैं जो उच्च प्रत्यास्थ और कार्यकारी ऊष्मा को सहन करने की क्षमता रखता हो। पिस्टन रिंग के निर्माण के लिए Fine Grain Cast Iron धातु का उपयोग किया जाता है।


13. पिस्टन पिन (Piston Pin) -:

इस पिन को Gudgeon Pin और Wrist Pin के नाम से भी जाना जाता है। इस पिन का इस्तेमाल करके पिस्टन को कनेक्टिंग रॉड से जोड़ा जाता है। सामान्य ताप ईस्टर्नफिन को खोखला बनाया जाता है क्योंकि यह पश्चाग्र भाग होता है, इसी कारण इसे हल्का बनाना आवश्यक होता है। स्पिंडल के आकार का होता है इसको बनाने के लिए हार्डइंडेड स्टील धातु का उपयोग करते हैं।


14. फ्लाई व्हील (Flywheel) -:

फ्लाई व्हील के द्वारा ऊर्जा को संचित करने का कार्य किया जाता है। फ्लाई व्हील को क्रैंक शाफ्ट पर स्क्रू के द्वारा बंधा होता है। इसका उपयोग करके क्रैंक शाफ्ट को समान गति प्रदान किया जाता है और यह इंजन को Start करने में भी मदत करता है। Flywheel का निर्माण करने के लिए Steel और Fine Grain Cast Iron धातु का उपयोग किया जाता है।


15. गवर्नर (Governor) -:

Governor का उपयोग केवल Diesel Engine में ही किया जाता है। गवर्नर के द्वारा इंजन की चाल को कम या अधिक करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह इंजन की अस्थिर चाल को आवश्यकता अनुसार व्यवस्थित करता है।


16. वाल्व व वाल्व स्प्रिंग (Valve & Valve Spring) -:

वाल्व का इस्तेमाल 4 स्ट्रोक इंजन में किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं।

१) इनलेट वाल्व (Inlet Valve)

२) आउटपुट वाल्व (Outlet Valve)

इस वाल्व को नियंत्रित करने के लिए पोपट वाल्व का उपयोग किया जाता है। इस वाल्व के लिए एक स्प्रिंग लगा होता है जो वाल्व के खुलने और बंद होने में मदद करता है इसे वाल्व स्प्रिंग भी कहते हैं।

IC इंजन में वाल्व का कार्य ईधन को सिलेंडर में प्रवेश कराना और बची हुई गैसों को इंजन सिलिंडर से बाहर निकालना होता है।



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