चूर्ण धातुकर्म/पाउडर मैटलर्जी की प्रक्रियाएं (Powder Metallurgy Processes in Hindi)

चूर्ण धातुकर्म/पाउडर मैटलर्जी की प्रक्रियाएं (Powder Metallurgy Processes in Hindi)

पाउडर मैटलर्जी/चूर्ण धातुकर्म की प्रक्रियाएं -:

जब धातु के पाउडर का प्रयोग करके विभिन्न प्रकार के कास्टिंग या वस्तु का निर्माण किया जाता है तो उसके निर्माण को कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। अर्थात इन पर कई प्रक्रियाओं को किया जाता हैं। इन संपूर्ण प्रक्रियाओं को हम चार चरणों में बांट सकते हैं। जो निम्न हैं -

1. धातु का चूर्ण तैयार करना (Preparation of Metal Powder)

2. चूर्णित धातुओं को मिलाना (Blending of Metal Powders)

3. धातु चूर्ण को दाब द्वारा ठोस रूप प्रदान करना (Compacting the Metal Powders)

4. प्राप्त ठोसों को ऊष्मा प्रदान करना (Sintering the Solids)


1. धातु का चूर्ण तैयार करना (Preparation of Metal Powder) -:

पाउडर मैटलर्जी प्रक्रम में सबसे पहले धातु के चूर्ण को तैयार किया जाता है। धातू को चूर्ण के रूप में बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं।

जब धातुओं को पाउडर के रूप में बदल दिया जाता है तो इन के कणों की साइज 10 माइक्रोन से 20 माइक्रोन तक होती है। सामान्यतः 1 माइक्रोन से 100 माइक्रोन तक के साइज को भी धातु का चूर्ण ही कहा जाता है।


2. चूर्णित धातुओं को मिलाना (Blending of Metal Powders) -:

धातु को पाउडर बनाने के बाद अब उनको एक निश्चित अनुपात में, विभिन्न धातु में मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया को बाल मिल में चलाकर मिश्रण को प्राप्त किया जाता है। धातु चूर्ण के साथ स्टीयरिक एसिड, ग्रेफाइट, आयल, पैराफिन या ग्लिसरीन आदि को स्नेहक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

इन पाउडर में स्नेहक का प्रयोग करने से निम्न लाभ होता है -

१) जब धातु पाउडरो को दाब देकर ठोस रूप प्रदान किया जाता है तो घर्षण कम होता है।

२) पाउडर के कणो पर स्नेहक की परत चढ़ाने से कम दाब लगाने की आवश्यकता होती है।

३) पाउडर चूर्ण का स्नेहन करने से डाई का जीवनकाल बढ़ जाता है।

४) धातु चूर्ण की धूल कम उड़ती है।


3. धातु चूर्ण को दाब द्वारा ठोस रूप प्रदान करना (Compacting the Metal Powders) -:

इस प्रक्रिया में धात के पाउडर को दाब देकर को शुरू प्रदान किया जाता है। जिसे कांपैक्टिंग (Compacting) कहते हैं। इस प्रक्रिया को करते समय ध्यान रखा जाता है कि पाउडर को ठोस रूप देते समय उसकी वीमा और वांछित वीमा में ज्यादा अंतर न हो।

कांपैक्टिंग की मात्रा दो बातों पर निर्भर करती है। -

★धातु चूर्ण का वह विशेष गुण जिसके कारण व कितनी आसानी से चिपक सकता है

★फिनिश हुए उत्पाद का वांछित घनत्व कितना है।


धातु चूर्ण/पाउडर को दाब देकर को ठोस रूप प्रदान करने की तीन विधियां हैं -

(१) डाई प्रेसिंग (Die Pressing) - इस विधि का प्रयोग करके धातु चूर्ण को आपस में जोड़ने के लिए डाई से उनको प्रेस करके ठोस बनाया जाता है। पाउडर को डाई में भरने के लिए एक हापर का उपयोग किया जाता है। धातु के पाउडर को मापकर डाई में डाला जाता है।

(२) रोल प्रेसिंग (Roll Pressing) - इस विधि में धातु के पाउडर को दो रोलर ओके मध्य दाब देकर गुजारा जाता है दाब के प्रभाव के कारण धातु के पाउडर ठोस रूप में आ जाते हैं।

(३) एक्सट्रूजन (Extrusion) - इस प्रक्रिया को करने के लिए एक बॉक्स का प्रयोग होता है उसमें RAM लगा होता है और डाई भी फिट की हुई होती है। उसी में धातु के पाउडर को डाला जाता है और RAM के द्वारा दबाव देकर इसे ठोस आकार में परिवर्तित किया जाता है। परंतु इस प्रक्रिया के द्वारा बहुत अच्छा नियंत्रण उत्पाद पर नहीं होता है। और इसके द्वारा उच्च घनत्व भी नही प्राप्त हो पाता है।


4. प्राप्त ठोसों को ऊष्मा प्रदान करना (Sintering the Solids) -:

यह प्रक्रिया सिंटरिंग (Sintering) के अंतर्गत आती है। इस प्रक्रिया के तहत धातु चूर्ण जब ठोस आकार प्रदान कर लेते हैं तो उसमें सामर्थ्य की कमी होती है। इसी सामर्थ्य को पूरा करने के लिए ठोस पार्ट को उसके गलनांक के नीचे कुछ कम तापमान पर गर्म किया जाता है ताकि वह सामर्थ्य प्राप्त कर सकें।



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