धातु चूर्ण (Metal Powder) का उत्पादन कैसे किया जाता है? विधियाँ

धातु चूर्ण का उत्पादन (Productions of Metal Powders in Hindi) -:

पाउडर मैटलर्जी द्वारा किसी पदार्थ को तैयार करने के लिए सबसे पहले धातुओं को चूर्ण के रूप में बनाना होता है। इस लेख में धातुओं को चूर्ण के रूप में बनाने के लिए कौन-कौन सी विधियां अनुप्रयोग की जाती है इसी का अध्ययन किया जाएगा।

सामान्यतः धातु के पाउडर के कणों का साइज 10 माइक्रोन से 20 माइक्रोन तक रहता है। 1 माइक्रोन से लेकर 100 माइक्रोन तक के पाउडर को धातु पाउडर के रूप में ही जाना जाता है। धातु को चूर्ण/पाउडर में बदलने के लिए बहुत सी विधियां प्रयोग की जाती है।


धातु चूर्ण का उत्पादन कैसे किया जाता है? (Productions of Metal Powders in Hindi)


हम कुछ प्रमुख विधियों का ही अध्ययन करेंगे जो निम्न है -

1. एटोमाइजेशन (Atomization)

2. क्रशिंग (Crushing)

3. धातु वैपरों का संघनन (Condensationnyl of Vapours)

4. रिडक्शन (Reduction)

5. मिलिंग (Milling)

6. विद्युत अपघटन (Electrolysis)

7. हाइड्राइड तथा कार्बोनिल प्रक्रिया (Hydride and Carbon Process)


1. एटोमाइजेशन (Atomization) -:

इस विधि के द्वारा ऐसे धातुओं का चूर्ण बनाया जाता है जिनका गलनांक कम होता है।

धातु को चूर्ण बनाने के लिए सबसे पहले धातु को पिघलाकर नॉजिल में से बाहर निकाला जाता है। यह पिघली हुई धातु जैसे ही नॉजिल से बाहर आती है, उसे वायु और जल के दाब से या किसी और द्रव की धार के द्वारा छोटे-छोटे कणों में बाँट दिया जाता है। अब इसमें प्रयुक्त द्रव या वायु इस धातु के कणों को बहाकर ले जाता है। धातु का ऑक्साइड न बन जाए इसको रोकने के लिए हवा के स्थान पर निष्क्रिय गैस का उपयोग करना सुरक्षित होता है।

एटोमाइजेशन विधि द्वारा प्राप्त धातु के कण अलग-अलग आकार के होते हैं। इन अलग-अलग करो किसानों को एक समान करने के लिए मैंश नंबरों की छलनियों के द्वारा छानकर अलग कर दिया जाता है।

एटमाइजेशन प्रक्रिया का प्रयोग करके, कम गलनांक वाली धातु, टिन, एलमुनियम, सीसा, जस्ता, कैडमियम इत्यादि धातु के चूर्ण को बनाया जाता है।


2. क्रशिंग (Crushing) -:

जिस धातु को क्रशिंग विधि द्वारा धातु का चूर्ण बनाना होता है, धातु को पहले ही भंगूर बनाया जाता है। अगर वह भंगूर अवस्था में है तो उसे भंगूर बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। धातु को भंगुर बनाने के लिए उस पर हीट ट्रीटमेंट जैसी प्रक्रियाएं की जाती है। भंगूर धातु को क्रशिंग द्वारा पीसकर चूर्ण बनाने के लिए स्टाम्पस, हैमर, जॉ-क्रशर/जायरेटरी क्रशर इत्यादि का प्रयोग किया जाता है।


3. धातु वैपरों का संघनन (Condensationnyl of Vapours) -:

ऐसी धातु जिनको उबालकर आसानी से वाष्प के रूप में तैयार किया जा सकता है, उन धातुओं को इस विधि द्वारा आसानी से पाउडर बनाया जा सकता है। कैडमियम, जिंक, मैग्निशियम जैसे धातुओं के लिए यह प्रक्रिया प्रयोग की जाती है। इस विधि द्वारा धातु का चूर्ण बनाने के लिए धातु के छड़/रॉड को एक उच्च ताप पर जलती हुई ज्वाला के संपर्क में लाते हैं। इस प्रकार छड़ वाष्प के रूप में परिवर्तित हो जाती है। अब इस वाष्प को ठंडा करके संघनित कर देते हैं। यह संघनित पाउडर फर्श पर इकट्ठा कर लिया जाता है।


4. अपचयन/रिडक्शन (Reduction) -:

रिडक्शन विधि द्वारा धातुओं को चूर्ण में बदलने के लिए धातुओं के ऑक्साइड को हाइड्रोजन और कार्बन की सहायता से अपचयन/रिडक्शन कराया जाता है। धातु को चूर्ण बनाने के लिए उनके ऑक्सीडाइ को धातु के गलनांक से कुछ नीचे तापमान पर एक विशेष भट्टी में गर्म किया जाता है और उसके बाद कार्बन मोनोऑक्साइड या हाइड्रोजन को उनके ऊपर से प्रवाहित किया जाता है। प्रवाहित करने के बाद निम्न अभिक्रिया प्राप्त होती है -

Fe3O4 + 4C  ➡️  3Fe + 4CO

Fe3O4 + 4CO  ➡️  3Fe + 4CO2

ठीक ऐसे ही हाइड्रोजन के अंदर का कॉपर आक्साइड को गर्म करने पर कॉपर प्राप्त होता है।

उपरोक्त प्रक्रियाओं के जैसे ही धातुओं की प्रक्रिया करने के बाद उन्हें तोड़ा और पीसा जाता है। जिससे धातु का पाउडर तैयार हो जाता है। यह पाउडर भिन्न-भिन्न आकार के होते हैं, तो इनको मैश साइजों में छानकर धातु के चूर्ण को प्राप्त कर लिया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत ही आसान और सस्ती है इसलिए इसका अधिक प्रयोग किया जाता है।


5. मिलिंग (Milling) -:

मीलिंग विधि द्वारा धातु के पाउडर का निर्माण करने के लिए सबसे पहले धातु को भारी क्रशर द्वारा पीसा जाता है। और बाद में उन्हें बारीक रोलर क्रशर में पीस दिया जाता है। रोलर क्रशर में पीसने के बाद अंत में बाल मिल के अंदर पुनः पीसकर बारीक पाउडर के रूप में प्राप्त कर लेते हैं। प्राप्त हुए धातु के पाउडर विभिन्न आकार के होते हैं। इसलिए इनको मैश नंबर की छलनियों में छानकर समान आकार का कर लिया जाता है।

मिलिंग विधि का प्रयोग करके धातुओं को चूर्ण बनाने के लिए बाल मिल, इंपेक्ट मिल, डिस्क मिल, एडी मिल इत्यादि जैसे मशीनों का प्रयोग किया जाता है।


6. विद्युत अपघटन (Electrolysis) -:

विद्युत अपघटन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लगभग सभी प्रकार के धातुओं को चूर्ण के रूप में बदला जा सकता है। इस विधि का प्रयोग अधिकतर कापर के चूर्ण और आयरन के चूर्ण को बनाने के लिए ही किया जाता है। क्योंकि इस विधि द्वारा कापर और आयरन के चूर्ण बहुत ही शुद्ध रूप से तैयार होते हैं।

इस विधि द्वारा कापर का पाउडर बनाने के लिए टैंक में एनोड पर कापर और कैथोड पर एलमुनियम के प्लेट का प्रयोग करते हैं। अब, जब विद्युत अपघटय में अधिक एंपियर की धारा को प्रवाहित किया जाता है तो कैथोड पर तांबे का स्क्रैप जमा होने लगता है। एक निश्चित समय अंतराल से के बाद एलमुनियम की प्लेट को निकाल लिया जाता है और उसको साफ करके सुखा देते हैं। अब इसे सुखाने के बाद उस पर जमा हुए कॉपर के चूर्ण को अर्थात स्क्रैप को छुड़ा लिया जाता है। छुड़ाने के बाद इसे बहुत ही बारीक पीसकर धातु का चूर्ण/पाउडर प्राप्त कर लिया जाता है।


7. हाइड्राइड तथा कार्बोनिल प्रक्रिया (Hydride and Carbon Process) -:

कुछ धातुएं ऐसी होती हैं जो हाइड्रोजन के साथ मिलकर हाइड्राइट बनाती हैं। ये टैण्टेलम न्यूबियम, जीरकोनियम इत्यादि धातुएं हैं। यह धातु में सामान्य तापमान पर स्थाई होते हैं। परंतु जब इन धातुओं को 350 ℃ पर गर्म किया जाता है तो यह धातु और हाइड्रोजन में टूट जाते हैं। बिल्कुल ठीक इसी प्रकार निकील और आयरन को कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ मिलाकर वोलेटाइल, कर्बोनिल बनाया जाता है और इन्हें ठंडे चेंबर में संघनित किया जाता है। संघनित करने के बाद ये गोल धातु कणो के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं।



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