पीतल की वेल्डिंग विधियाँ (Welding of Brass)

पीतल की वेल्डिंग विधि (Welding of Brass in Hindi)

पीतल की वेल्डिंग विधियाँ (Welding of Brass in Hindi)

पीतल की वेल्डिंग ज्यादा जटिल मानी जाती है क्योंकि जिंक का गलनांक 420°C होता है। वेल्डिंग करने के लिए जब पीतल को 830°C तक गर्म किया जाता है तो उसमें से जिंक उड़ जाता है। जिंक उड़ने से वेल्ड मेटल में सरन्ध्रता (Porosity), प्रतिशतता में बदलाव आ जाता है।

जिंक को उड़ने से रोकने के लिए कार्यखण्ड का Pre-Heating किया जाता है। पीतल की गैस वेल्डिंग करते समय ऑक्सीडाइजिंक फ्लेम का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से वेल्ड पूल पर जिंक ऑक्साइड की एक बारीक पतली परत बन जाती है जो जिंक को उड़ने से रोकने का कार्य करती है।

जिस पीतल में लेड की मात्रा होती है उसमें आर्क वेल्डिंग करने पर क्रैक आ जाते हैं। इसलिए ऐसे कार्यखण्ड को केवल गैस वेल्डिंग ही करनी चाहिए। Low-Zinc-Brass की वेल्डिंग कुशलतापूर्वक की जा सकती है। पीतल में वेल्डिंग जोड़ बनाने के लिए निम्न विधियाँ प्रयोग की जा सकती हैं -

●TIG Welding

●MIG Welding

●शील्डेड मैटल आर्क वेल्डिंग

●ऑक्सी-एसीटिलीन गैस वेल्डिंग


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TIG Welding

टंगस्टन इनर्ट गैस वेल्डिंग के द्वारा 9 mm तक की मोटी चादर को आसानी से वेल्ड किया जा सकता है और 1.5 mm की मोटी चादर की वेल्डिंग करने के लिए फिलर रॉड की आवश्यकता नहीं होती है। परन्तु जब कार्यखण्ड 1.5 mm से अधिक मोटा होता है तो उसके लिए बिना जिंक की कॉपर की फिलर रॉड प्रयोग करना चाहिए।

बहुत मोटे कार्यखण्ड का प्री-हीटिंग 100°C से 300°C तक किया जा सकता है। जब वेल्डिंग हीलियम गैस के वातावरण में की जाती है तो जिंक को उड़ने से रोका जा सकता है। जिंक को उड़ने से बचाने के लिए वेल्डिंग आर्क को फिलर रॉड पर केन्द्रित किया जाता है।


●MIG Welding

इस विधि द्वारा पीतल की वेल्डिंग करने के लिए सिलिकान ब्रोन्ज या फॉस्फर ब्रोन्ज की फिलर रॉड प्रयोग किया जाता है। फॉस्फर ब्रोन्ज की फिलर रॉड से जो वेल्डिंग बीड बनती है उसका रंग पीतल की मेटल के रंग अधिक मेल खाता है। इसलिए सिलिकान ब्रोन्ज या फॉस्फर ब्रोन्ज की फिलर रॉड का प्रयोग अधिक किया जाता है। भारी भरकम कार्यखण्ड का प्री-हीटिंग करके करण्ट की बचत किया जाता है। 


●शील्डेड मेटल आर्क वेल्डिंग

इस वेल्डिंग में फॉस्फर ब्रोन्ज तथा ऐलुमिनियम ब्रोन्ज की फिलर रॉड प्रयोग पीतल के लिए किया जाता है। इस वेल्डिंग के द्वारा फ्लैट पोजीशन में ही वेल्डिंग की जा सकती है। लो जिंक तथा हाई जिंक दोनों प्रकार को ब्रास (Brass) में प्रयोग किया जा सकता है। जब कार्यखण्ड में अच्छा पैनीट्रेशन प्राप्त करना होता है तो  पहले कार्यखण्ड को प्री-हीटिंग कर लेना चाहिए।


●गैस वैल्डिंग

इस वेल्डिंग में साधारणतया ऑक्सीडाइजिंक फ्लेम को उपयोग में लाया जाता है। इस वेल्डिंग द्वारा पीतल पर जिंक ऑक्साइड की एक पतली परत वैल्ड पूल के ऊपर बन जाती है। इसी परत के कारण जिंक उड़ने से बच जाता है। इस वेल्डिंग में पीतल की वेल्डिंग करने के लिए सिलिकन ब्रोन्ज की फिलर रॉड प्रयोग की जाती है। वेल्डिंग रॉड के ऊपर फ्लक्स के रूप में बोरिक एसिड प्रयोग किया जाता है।


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