प्लास्टिक की वेल्डिंग (Welding of Plastic) कैसे करें? प्रकार & विधियां

आजकल हम सभी देख रहे हैं कि प्लास्टिक का प्रयोग इंजीनियरिंग क्षेत्र में बहुत तीव्र गति से हो रहा है और इसी कारण इसको जोड़ने का क्षेत्र भी काफी तेज बढ़ रहा है। इसलिए हम आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि प्लास्टिक की वेल्डिंग कैसे की जाती है और प्लास्टिक को किन किन विधियों के द्वारा जोड़ा जाता है।


प्लास्टिक वेल्डिंग करने की विधि (Welding of Plastic in Hindi)
प्लास्टिक वेल्ड करते हुए


प्लास्टिक की वेल्डिंग (Welding of Plastic in Hindi)

प्लास्टिक की वेल्डिंग करने के लिए कम ताप की आवश्यकता होती है। प्लास्टिक के कार्यखण्ड को वेल्ड करने के लिए सबसे पहले उसकी सतह से सभी प्रकार की गंदगी गिरीश, तेल, धूल इत्यादि के कण को साफ किया जाता है जिसके लिए साबुन का घोल इस्तेमाल करते है, अगर साबुन उपलब्ध ना हो तो गर्म पानी के द्वारा भी प्लास्टिक के सतह को धो सकते हैं। प्लास्टिक की सतह की चिकनाई को साफ करने के लिए मिथाइल, इथाइल, कीटोन का प्रयोग किया जाता है।

प्लास्टिक के कार्यखंड को वेल्ड करते समय यह ध्यान रखना होता है कि इसमें कोई कोर नहीं बनानी चाहिए और इसको सुखाकर, इस पर वेल्डिंग क्रिया प्रारंभ कर देनी चाहिए।


प्लास्टिक की वेल्डिंग प्रक्रियाओं के प्रकार /विधियाँ (Type of Plastic Welding Processes/Methods)

प्लास्टिक की वेल्डिंग करने के लिए नीचे कुछ प्रोसेस दिए गए हैं जिनके द्वारा प्लास्टिक की वेल्डिंग की प्रक्रियाओं के प्रकार और विधियों के बारे में जानकारी दी गई है। इन विधियों को नीचे बताया गया है -

1. हीटेड टूल वेल्डिंग (Heated Tool Welding)

2. हॉट गैस वेल्डिंग (Hot Gas Welding)

3. हाई-फ्रीक्वेंसी इंडक्शन वेल्डिंग (High Frequency Induction Welding)

4. अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग (Ultrasonic Welding)

5. घर्षण वेल्डिंग (Friction Welding)


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1. प्लास्टिक की हीटेड टूल वेल्डिंग (Heated Tool Welding of Plastic)

प्लास्टिक की वेल्डिंग करने के लिए इस विधि को सबसे आसान विधि माना जाता है। इस विधि में एक गर्म टूल के द्वारा जोड़े जाने वाले दोनों सतहो को ऊष्मा प्रदान की जाती है और दोनों सतहे जैसे ही फ्यूजन की स्थिति में आती हैं इस टूल को उनके बीच से निकाल लिया जाता है और दोनों सतहों पर दबाब देकर उन्हें आपस में जोड़ दिया जाता है। दोनों सतहें पास-पास आने से बीच की हवा निकल जाती है और आपस में जुड़ कर एक मजबूत जोड़ बनाती है।

हीटेड टूल के रूप में इलेक्ट्रिक स्ट्रिप हीटर, इलेक्ट्रिक हॉट प्लेट और सोल्डरिंग आयरन जैसे उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। प्लास्टिक की वेल्डिंग में प्रयोग होने वाले हीटेड टूल को 200℃ से 370℃ तक आसानी से गर्म किया जा सके और जब यह सतह के संपर्क में रखा जाए तो 540 ℃ तक गर्म होने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। हीटेड टूल वेल्डिंग का अधिकतर प्रयोग थर्मोप्लास्टिक पदार्थों के लिए किया जाता है।


2. प्लास्टिक की हॉट गैस वेल्डिंग (Hot Gas Welding of Plastic)

इस विधि के द्वारा प्लास्टिक को पिघलाने के लिए गर्म हवा का प्रयोग किया जाता है इसमें एक वेल्डिंग टॉर्च का प्रयोग करते हैं जिसके द्वारा गर्म हवा और गर्म गैस को निकाला जाता है। इस टार्च में गैस को गर्म करने के लिए बिजली या एसिटिलीन गैस का प्रयोग करते हैं। वेल्डिंग टॉर्च से निकलने वाले फ्लेम के द्वारा प्लास्टिक को पिघलाकर नहीं जोड़ा जाता है बल्कि उसकी सतह को गर्म करके, उसे जोड़ते हैं। थर्मोप्लास्टिक की वस्तुओं को जोड़ने के लिए उनकी कोर सज्जा करके का ही फिलर रॉड का प्रयोग किया जाता है। जैसे ही प्लास्टिक की सतह पिघलने जैसी हो जाती है तो उसे शू (Shoo) के द्वारा दबाव देकर उसको जोड़ दिया जाता है इस प्लास्टिक वेल्डिंग में गरम गैस के रूप में नाइट्रोजन या कार्बन डाई ऑक्साइड या फिर हवा का प्रयोग करते हैं।


3. प्लास्टिक की हाई-फ्रीक्वेंसी इंडक्शन वेल्डिंग (High Frequency Induction Welding of Plastic)

हाल ही में इस विधि का प्रयोग थर्मोप्लास्टिक पदार्थों को वेल्ड करने के लिए किया जाने लगा है यह अपने विशेष गुणों के कारण बहुत ही तेजी के साथ फैल रहा है। इसका प्रयोग प्लास्टिक पदार्थों को जोड़ने के लिए किया जा रहा है। इस वेल्डिंग के द्वारा सुरक्षात्मक कपड़े, बरसाती, पैकिंग का समान इत्यादि के जोड़ को आसानी से बनाते हैं। इस वेल्डिंग में दो इलेक्ट्रोड का प्रयोग थर्मोप्लास्टिक पदार्थ पर उच्च आवृत्ति उत्पन्न करने के लिए किया जाता है जब प्लास्टिक पर उच्च आवृत्ति उत्पन्न की जाती है यह प्लास्टिक बहुत तेजी के साथ गर्म हो जाता है।

वेल्ड होने वाले प्लास्टिक पदार्थों को एक स्थिर इलेक्ट्रोड और एक चल इलेक्ट्रोड के मध्य क्लैंप कर दिया जाता है और उसके बाद दोनों इलेक्ट्रॉडो को उच्च आवृत्ति की ऊर्जा प्रदान की जाती है। उच्च आवृत्ति प्राप्त होने के कारण प्लास्टिक का शीट गर्म हो जाता है और उसी समय उसको दबाव देकर आपस में जोड़ दिया जाता है।


4. प्लास्टिक की अल्ट्रासोनिक वेल्डिंग (Ultrasonic Welding of Plastic)

यह प्लास्टिक पदार्थों की वेल्डिंग करने की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अल्ट्रासोनिक कंपन के द्वारा अणुओं के बीच घर्षण कराया जाता है जिससे ऊष्मा उत्पन्न होता है, ऊष्मा उत्पन्न होने से वेल्ड होने वाली सतह पिघलने की अवस्था में आ जाती हैं और उसे दबाब देकर आपस में स्थाई रूप से जोड़ दिया जाता है।


5. प्लास्टिक की घर्षण वेल्डिंग (Friction Welding of Welding)

प्लास्टिक वेल्डिंग कि यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्लास्टिक के दोनों कार्यखंडों के मध्य घर्षण कराकर ऊष्मा को उत्पन्न किया जाता है और जब कार्यखण्ड की दोनों सतह गर्म होकर पिघलने की स्थिति में आ जाती हैं तो उन्हें दबाब देकर आपस में जोड़ दिया जाता है।

प्लास्टिक के दोनों कार्यक्रमों को आपस में रगड़ने के लिए एक विशेष मशीन का प्रयोग किया जाता है और उस पर दबाव डाला जाता है जिससे घर्षण अधिक होने लगता है और इसी कारण ऊष्मा उत्पन्न होती है। जब तक वेल्डिंग होने वाला कार्यखण्ड ठण्डा नहीं हो जाता है तब तक उसको दबाकर के रखा जाता है।



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