लकड़ी की संरचना (Structure of Wood/Timber in Hindi)

लकड़ी की संरचना -:

इस लेख में लकड़ी की संरचना के बारे में बताया गया है जिस लकड़ी की संरचना को हम लोग ज्ञात करेंगे वह बहिर्जात वृक्ष के तने का होगा। बहिर्जात वृक्ष के तने के मुख्य अवयव निम्नलिखित हैं -

1. छाल (Bark or Cortex)

2. ऐधापर्त (Cambium)

3. सैफ काष्ठ (Sap Wood)

4. पीच या मेडुला (Pitch or Medulla)

5. वार्षिक वलय (Annula Rings)

6. अन्तः काष्ठ (Heart Wood)

7. मज्जा रश्मियां (Medullary Rays)


लकड़ी की संरचना

1. छाल (Bark or Cortex) -:

छाल वृक्ष की सबसे बाहरी सतह होती है। यह भद्दे रंग की मजबूत खुरदरी और जगह-जगह कटी-फटी हुई परत होती है। इस परत का मुख्य कार्य तने के आंतरिक भागों की रक्षा करना होता है। यह अधिक उपयोगी नहीं होता है। छाल (Bark or Cortex) के अंदर वाले भाग को आंतरिक छाल (Inner Bark) और बाहर वाले भाग को बाहय छाल (Outer Bark) कहते हैं। यह छाल भी रेशेदार संरचना जैसी दिखाई देती है। चूंकि यह छाल, वृक्ष का सबसे बाहरी परत है। इसलिए यह सर्दी-गर्मी, वर्षा जैसे अनेकों मौसम को सहता है, जिसके कारण यह खुरदुरा, कठोर और कटा-पीटा होता है।


2. ऐधापर्त (Cambium Layer) -:

वृक्ष के छाल के एकदम नीचे जो कोमल परत होती है उसे ऐधा परत (Cambium) कहते हैं। इसका कार्य तने के आंतरिक भाग को ढकना होता है। इसकी परिभाषा अन्य प्रकार से भी दी जा सकती है जैसे - सैप काष्ठ और अन्तः छाल के मध्य जो गाढे रस की परत उपस्थित होती है उसे ऐधापर्त (Cambium Layer) कहते हैं। इस गाढे रस हल्की-हल्की कोशिकाएं होती है जो बाद में सैप काष्ठ बन जाती हैं। इस सैप काष्ठ के बनने के फलस्वरूप एक नई वार्षिक वलय की उत्पत्ति हो जाती है।


3. सैफ काष्ठ (Sap Wood) -:

अंतः काष्ठ और ऐधा परत के बीच में जो लकड़ी उपस्थित होती है उसे सैफ काष्ठ (Sap Wood) कहते हैं। सैफ काष्ठ, अंतः काष्ठ की तुलना में मुलायम, कमजोर और हल्के रंग का होता है। इस भाग में नमी की मात्रा अधिक होती है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में इस भाग को बहुत कम उपयोगी समझा जाता है क्योंकि या भाग अंतः काष्ठ की तुलना में अधिक क्षय होती है। इस लकड़ी का उपयोग इंधन के रूप में किया जाता है।


4. पिच या मेडुला (Pitch or Medulla) -:

वृक्ष के सबसे भीतरी भाग अर्थात केंद्रीय भाग को, जो गहरे रंग होता है, उसे पिच या मेडुला (Pitch or Medulla) कहते हैं। पिच या मेडुला (Pitch or Medulla) वार्षिक वलय उसे घिरा हुआ होता है। पिच/मेडुला द्वारा जड़ों से सैप (Sap) को वृक्ष के अन्य भागों में भेजा जाता है, जिससे वृक्ष की वृद्धि होने लगती है। जब कोई भी पेड़/वृक्ष बनता है तो उसमें पिच आ मेडुला सबसे पहले बनता है। जब किसी भी लकड़ी को प्रयोग में लाया जाता है उससे पूर्व Pitch या Medulla को बाहर निकाल दिया जाता है।


5. अन्तः काष्ठ (Heart Wood) -:

पिच के पास जो लकड़ी, पिच चारों ओर उपस्थित होता है, उसे ही अन्तः काष्ठ (Heart Wood) कहते हैं। यह गहरी रंग का होता है जो अन्य लकड़ियों की तुलना में सबसे मजबूत और कठोर भाग होता है। अन्तः काष्ठ Sap Wood से घिरा हुआ होता है और पिच के ऊपर स्थित होता है।


6. वार्षिक वलय (Annula Rings) -:

पिच के चारों और जो समकेंद्रीय वलय या लकड़ी की जो परत होता है उसे वार्षिक वलय (Annula Rings) कहते हैं। यह वलय 1 वर्ष में एक बढ़ जाता है इसलिए भी इसको वार्षिक वलय कहते हैं। जो वार्षिक वलय सबसे अंदर स्थित होता है उसके द्वारा अंतः काष्ठ का निर्माण होता है और इसी तरह जो वलय सबसे बाहर होता है उसके द्वारा सैप काष्ठ का निर्माण होता है।


7. मज्जा रश्मियां (Medullary Rays) -:

पिच और ऐधापर्त के बीच में से बाहर निकलती हुई सीधी रेशे, जो सीधे या टूटे हुए दिखाई पड़ते हैं उन्हें ही मज्जा रश्मियां (Medullary Rays) कहते हैं। इनकी रचना कोशिकीय होती है। मज्जा रश्मियां के द्वारा वार्षिक वलय को एक साथ बांधकर रखने में यह सहयोग करता है। जब पेड़ की किसी विकसित भागों में सैप (Sap) को भोजन के रूप में भेजना होता है तो मज्जा रश्मियां ही उपयोग में लाई जाती है। 


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