शीतलन प्रक्रम (Cooling Process in Hindi) -:
जब कोई भी मशीन या इंजन चल रहा होता है उस इंजन से ऊष्मा उत्पन्न होने लगती है क्योंकि इंजन द्वारा कार्य किया जा रहा होता है। जंहा पर कार्य होता है वँहा पर ऊष्मा अवश्य उत्पन्न होती है।
जब इंजन में ऊष्मा उत्पन्न होती है है तो इंजन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है और मशीन या इंजन की दक्षता घटने लगती है। इसलिए इंजन की दक्षता या अन्य पुर्जो ओर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़े इसके लिए शीतलन अर्थात Cooling की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
हम इस लेख में जानने वाले हैं कि IC इंजन या अन्तर्दहन इंजन में जो ऊष्मा उत्पन्न होती है उसका शीतलन या कूलिंग करने के लिए किन विधियों और उपायों का सहारा लेना पड़ता है।
हम यह भली-भांति और अच्छी तरीके से जानते हैं कि IC इंजनों में ईंधन का दहन, सिलिंडर के अंदर होता है। जब ईंधन का दहन सिलिंडर के अंदर होता है तो ऊर्जा के रूप में ऊष्मा उत्पन्न होती है और इस ऊष्मा से हम यांत्रिक कार्य को प्राप्त करते है। अगर सामान्य रूप से देखा जाए तो पूरी ऊष्मीय ऊर्जा का 25 से 40% भाग ही यांत्रिक कार्य के रूप में परिवर्तित होता है बाकी ऊष्मीय ऊर्जा व्यर्थ चली जाती है अर्थात बाकी ऊष्मीय ऊर्जा का निकास वायुमंडल में, पुर्जों के Heat में, घर्षण इत्यादि में खर्च हो जाती है। वायुमंडल में गैसों के रूप में जो ऊष्मा निकलती है वह 30 से 35% होती है। बाकी 70 से 75% ऊष्मा, यांत्रिक कार्य और मशीन के अंग के अन्य कार्य में खर्च हो जाती हैं।
इस प्रकार ऊष्मा के कारण अन्तर्दहन इंजनों पर कई प्रकार के नुकसानदायक प्रभाव पड़ते हैं। इन दुष्प्रभावों से अन्तर्दहन इंजन को बचाने के लिए, हमें ऊष्मा को IC इंजन/अन्तर्दहन इंजन से बाहर निकालना पड़ता है। इस प्रकार शीतलन प्रक्रम की परिभाषा निम्न प्रकार से दी की जा सकती है -
ऐसा प्रक्रम, जो IC इंजन में उत्पन्न हुए ऊष्मा को ठंडा कर दे, इस प्रकार के प्रक्रम को कूलिंग/शीतलन प्रोसेस (Cooling Process) कहते हैं।
IC इंजन में उपयोग होने वाला कूलिंग प्रोसेस ऐसा होना चाहिए, जिससे इंजन सिलेंडर से इच्छाअनुसार और शीघ्रतापूर्वक ऊष्मा को निकाला जा सके।
शीतलन प्रक्रम के प्रकार (Types of Cooling Process in Hindi) -:
1. वायु शीतलन (Air Cooling)
2. जल शीतलन (Water Cooling)
1. वायु शीतलन (Air Cooling) -:
जब इंजन के पार्ट, ऊष्मा पाकर अधिक गर्म हो जाते हैं तो इन गर्म हुए पार्ट को शीतलन करने के लिए जब वायु का प्रयोग किया जाता है तो इस प्रक्रिया को वायु शीतलन (Air Cooling) कहते हैं।
2. जल शीतलन (Water Cooling) -:
जब इंजन के पार्ट, ऊष्मा पाकर अधिक गर्म हो जाते हैं तो इन गर्म हुए पार्ट को शीतलन करने के लिए जब पानी का प्रयोग किया जाता है तो इस प्रक्रिया को जल शीतलन (Water Cooling) कहते हैं।
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