Pattern Allowances क्या है? प्रकार

पैटर्न अलाउंसेज/छूट (Pattern Allowances in Hindi) -:

कास्टिंग पर कई प्रकार की मशीनिंग प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए जब पैटर्न की बीमा में उपयुक्त परिवर्तन किया जाता है तो उसे पैटर्न अलाउंसेज (Pattern Allowances) कहते हैं। जिन पैटर्न को छूट देकर बनाया गया होता है उनके द्वारा प्राप्त कास्टिंग हमारी आवश्यकता को पूरा करती हैं। अगर पैटर्न को सही छूट दी जाए तो कास्टिंग की रिजेक्शन दर कम आती है और मशीनिंग कोस्ट भी कम ही आती है।


पैटर्न अलाउंसेज/छूट (Pattern Allowances in Hindi) & प्रकार


जब किसी पिघली धातु से कास्टिंग की जाती है तो प्राप्त होने वाली कास्टिंग की सतह खुरदरी और रुक्ष होती है। उस खुरदरी और रुक्ष सतह को चिकना बनाने के लिए उस पर मशीनिंग क्रियाएं की जाती हैं। जिसके लिए कास्टिंग में से धातु को घर्षण के द्वारा या काट कर अलग किया जाता है। इसलिए पैटर्न में छूट देना आवश्यक होता है ताकि कुछ धातु कम होने पर भी कास्टिंग की गुणवत्ता बनी रहे।


पैटर्न अलाउंसेज/छूट के प्रकार (Types of Pattern Allowances in Hindi) -:

ये पांच प्रकार के होते हैं -

1. संकुचन छूट (Contraction Allowance)

2. ड्राफ्ट-एलाउन्स (Draft Allowance)

3. मशीनिंग-एलाउन्स (Machining Allowance)

4. थपकी या कम्पन छूट (Rapping or Shaking Allowance)

5. ऐंठन या विकृति छूट (Warping or Distrision Allowance)


1. संकुचन छूट (Contraction Allowance) -:

कास्टिंग की वास्तविक परिमाप में की गई बढ़ोतरी को संकुचन छूट कहते हैं। पिघली धातु को जब पैटर्न में डालकर ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है तो ठंडी तो होती है परंतु उसका संकुचन अर्थात सिकुड़न भी होता रहता है और कास्टिंग थोड़ा छोटा हो जाता है।  इसलिए जब पैटर्न को बनाया जाता है तो संकुचन के कारण पैटर्न की बीमा को थोड़ा बड़ा बना दिया जाता है जिससे कि वांछित परिणाम की कास्टिंग प्राप्त हो सके।


2. ड्राफ्ट-एलाउन्स (Draft Allowance) -:

पैटर्न को मोल्ड में से निकालने के लिए उसकी लंबवत सतहों में जो छूट दिया जाता है उसे ड्राफ्ट अलाउंस/छूट कहते हैं। अगर यह छूट नहीं दिया जाता है तो कास्टिंग को पैटर्न में से निकालने पर दीवार क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। इस छूट को देने के लिए पैटर्न की लंब सतहों को टेपर बनाया जाता है। पैटर्न के टेपर होने की मात्रा सतह के लंबवत साइज और मोल्डिंग की विधि पर निर्भर करता है।


3. मशीनिंग-एलाउन्स (Machining Allowance) -:

कास्टिंग की सतह पर मशीनिंग प्रक्रिया या सतह फिनिशिंग करने के लिए जब कास्टिंग को बड़े साइज का बनाया जाता है तो इसके कारण पैटर्न की बीमा में हुए उपयुक्त परिवर्तन को मशीनिंग अलाउंस/फिनिशिंग कहते हैं। प्रयास करना चाहिए कि मशीन अलाउंस कम से कम हो क्यूंकि इससे स्क्रेप बनता है  मशीनी अलाउंस कम रखने से मशीनिंग समय की बचत होती है।

मशीनिंग अलाउंस की मात्रा निम्न कारको पर निर्भर करती है -

● धातु की कठोरता भंगुरता सामर्थ्य इत्यादि।

● मोल्डिंग प्रक्रिया के अंतर्गत हैंड मोल्डिंग और मशीन मोल्डिंग पर।

● कास्टिंग के आकार पर और कास्टिंग की विधि पर निर्भर करती है। जैसे सैंड कास्टिंग, ग्रेविटी कास्टिंग, डाई कास्टिंग इत्यादि।


4. थपकी या कम्पन छूट (Rapping or Shaking Allowance) -:

थपथपा कर या हिलाकर जब पैटर्न को मोल्ड से बाहर निकाला जाता है तो मोल्ड की बाह्य मापे बढ़ जाती हैं और अंदर की माप घट जाती हैं जिसके कारण कास्टिंग की बीमा में वृद्धि होती है। इसलिए जब पैटर्न को वांछित माप से कुछ कम साइज का बनाने के लिए उसकी बीमा में जो परिवर्तन किया जाता है, उसे थपकी या कम्पन छूट (Rapping or Shaking Allowance) कहते हैं। 

किसी भी पैटर्न को मूल्य से बाहर निकालने से पहले उसको थपकी पाया जाता है जिससे मोल्डिंग रेत, पैटर्न की सतहों को छोड़ देता है। इस कारण पैटर्न आसानी से निकल जाता है। यह छूट हमेशा नेगेटिव होती है और इस छूट को केवल बड़े-बड़े कास्टिंग में ही दिया जाता है।


5. ऐंठन या विकृति छूट (Warping or Distrision Allowance) -:

जब कास्टिंग ठंडी होने के बाद अनियमित दिशाओं में बिगड़ जाती है तो उसमें ऐठन बन जाती है। जहां पर ऐठन बनती है वहां पर कुछ धातु और छोड़ने के लिए पैटर्न में इंतजाम कर दिया है। धातु छोड़ने के लिए पैटर्न में किए गए इस इंतजाम को ही ऐंठन या विकृति छूट (Warping or Distrision Allowance) कहते हैं।

यह दोष उन कास्टिंग में अधिक देखने को मिलता है जो जटिल और अनियमित आकार की होती हैं। ऐसी कास्टिंग ठंडा होने पर सभी दिशाओं में संकुचन समान नहीं कर पाती हैं और अनियमित रूप से बिगड़ जाती हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि ऐसे कास्टिंग में तापीय प्रतिबल पैदा हो जाता है।

इस अतिरिक्त विकृति को रोकने के लिए कुछ उपाय किए जाते हैं जो नीचे दिए गए हैं -

● सेक्शनों में अधिक अंतर से भी यह दोष आ जाता है। इसलिए कास्टिंग की डिजाइन ऐसी बनाइ जाए जिससे उसके सेक्शन में अधिक अंतर न आ पाए।

● ठंडा होते समय और असमान संकुचन के कारण प्रतिबल पैदा ना हो।

● मोल्डिंग करते समय चिल का प्रयोग ठंडा होने की दर को सामान करता है।

● कास्टिंग के लिए ऐसी धातु का प्रयोग करना चाहिए  जिसमें संकुचन कम होता हो।

● कास्टिंग को ठंडी अवस्था में 400℃ से 500℃ तक गर्म करके उसको सीधा किया जाए।

● पैटर्न में ऐठन या विकृति अलाउंस दिया जाए जिससे प्राप्त कास्टिंग सही आकार की प्राप्त हो सके।


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