लकड़ी का पैटर्न/प्रतिरूप क्या है? लाभ और हानियाँ

लकड़ी का पैटर्न (Wood Pattern in Hindi) -:

लकड़ी के पैटर्न/प्रतिरूप का प्रयोग आज कल अन्य पदार्थों की तुलना में सबसे अधिक किया जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि लकड़ी में पैटर्न मटेरियल/पदार्थ के गुण अन्य की तुलना में अधिक पाए जाते हैं। लकड़ी के पैटर्न का प्रयोग बहुत ही प्राचीन समय से होता चला आ रहा है। लकड़ी, पैटर्न के लिए हल्की होने के कारण परफेक्ट होती है क्योंकि मोल्डिंग करने के बाद इसे आसानी से निकाला और बैठाया जा सकता है। इसमें पैटर्न बनाने के लिए बहुत सारे गुण हैं परंतु इसमें कुछ अवगुण भी होते हैं। जिसमें सबसे बड़ी इसकी कमी है कि यह नमी सोखता है और मौसम के प्रभाव से प्रभावित भी होता है।


लकड़ी का पैटर्न/प्रतिरूप (Wood Pattern in Hindi) क्या है? लाभ और हानियाँ

इसमें ऐसे अनेक अवगुण भी पाए जाते हैं इन अवगुणों को दूर करने के लिए लकड़ी का पैटर्न बनाने के लिए, लकड़ी को तैयार करना पड़ता है जिसके लिए लकड़ी की सीजनिंग की जाती है। अगर पार्ट-पुर्जो का उत्पादन कम करना होता है तो लकड़ी का पैटर्न उसके लिए परफेक्ट होता है परंतु अगर उत्पादन अधिक करना होता है तो लकड़ी का पैटर्न उसके लिए उपयुक्त नहीं होता है। लकड़ी बहुत बड़ी ढलाई और कम मात्रा में उत्पादन के लिये अति उत्तम होता है। लकड़ी के पैटर्न का निर्माण करते समय इसको पैटर्न का आकार आसानी से दिया जा सकता है इसमें आकार देने के लिए अधिक जटिलता की आवश्यकता नहीं होती है।


पैटर्न बनाने के लिए उपयुक्त लकड़ियां (Woods Suitable for Making Pattern in Hindi) -:

जिस लकड़ी को पैटर्न बनाने के लिए चुनना चाहिए उस में गांठ नहीं होनी चाहिए। पैटर्न के लिए प्रयोग की जाने वाली लकड़ी टेढ़ी-मेढ़ी ना हो, लकड़ी सुखी, सीधी और रेशे वाली ही होनी चाहिए। जिस लकड़ी का सीजनिंग हुआ हो उसी लकड़ी को पैटर्न बनाने के लिए प्रयोग करना चाहिए अन्यथा ऐसा नहीं करने पर पैटर्न (Pattern) का जीवन काल कम हो जाता है।

पैटर्न के लिए निम्नलिखित लकड़ियों का प्रयोग अधिक किया जाता है -

●सागौन की लकड़ी

●देवदार की लकड़ी

●पाइन की लकड़ी

●महोगनी की लकड़ी


सागौन की लकड़ी - यह लकड़ी फर्नीचर में उपयोग होने के कारण थोड़ी महंगी तो होती है परंतु यह कठोर और सामर्थ्यवान होती है। सागौन की लकड़ी में दीमक नहीं लगते हैं। इसलिए इसका प्रयोग पैटर्न बनाने के लिए करना उपयुक्त होता है।


देवदार की लकड़ी - इस लकड़ी पर मशीन इन प्रक्रिया आसानी से हो जाती है जिससे इसकी सतह चिकनी प्राप्त होती है और इसके द्वारा कार्य करना भी सुविधाजनक होता है परंतु यह लकड़ी थोड़ी कम कठोर होती है फिर भी इसका प्रयोग पैटर्न बनाने के लिए किया जाता है।


पाइन की लकड़ी - पाइन की लकड़ी का भी प्रयोग पैटर्न बनाने के लिए किया जाता है। यह लकड़ी कमजोर होती है फिर भी इसका प्रयोग पैटर्न बनाने के लिए किया जाता है। इस लकड़ी में यह गुण पाया जाता है कि यह अच्छी सतह का निर्माण करती है, हल्की होती है, कार्य को सुगमता पूर्वक समाप्त करती है। इसलिए इसका प्रयोग किया जाता है।


महोगनी की लकड़ी - महोगनी की लकड़ी के द्वारा अच्छी सतह फिनिशिंग प्राप्त की जा सकती है। यह लकड़ी बहुत ही कठोर सामर्थ्यवान तथा अधिक समय तक चलने वाली होती है। महोगनी की लकड़ी का सीजनिंग करने के बाद इसके गुणों में बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है। जब इस लकड़ी का सीजनिंग हो जाता है तो इस पर मौसम के साथ होने वाला परिवर्तन बहुत कम रह जाता है और नमी तथा तापमान का प्रभाव नगण्य हो जाता है। इसके गुणों को देखते हुए हम कह सकते हैं कि पैटर्न बनाने के लिए यह लकड़ी आदर्श है।

Note - उपरोक्त लकड़ियों के अलावा प्लाईवुड, बैटन बोर्ड,  वीनियर, लैमिन बोर्ड का भी प्रयोग पैटर्न बनाने के लिए अधिकतर किया जाता है।


लकड़ी के पैटर्न के लाभ (Advantages of Wooden Pattern in Hindi) -:

1) लकड़ी का पैटर्न सस्ते में बन जाता है।

2) लकड़ी का पैटर्न हल्का होता है।

3) लकड़ी पर प्रत्येक प्रकार की मशीनन प्रक्रिया सुविधापूर्वक और आसानी से की जा सकती है।

4) लकड़ी प्रत्येक जगह आसानी से प्राप्त हो जाती है।

5) लकड़ी के पैटर्न का प्रयोग करने से ढलाई की गई वस्तु की सतह अधिक चिकनी और परिष्कृत प्राप्त होती है।

6) लकड़ी को सीजनिंग करके उसका पैटर्न बनाने पर उसका जीवन काल बढ़ जाता है।

7) लकड़ी का पैटर्न किसी भी आकार में आसानी से बनाया जा सकता है और इसको जोड़ा भी जा सकता है।

8) पहले से बन चुके पैटर्न में आसानी से उसके आकार में परिवर्तित किया जा सकता है।


लकड़ी के पैटर्न से हानि (Disadvantages of Wooden Pattern in Hindi) -:

1) लकड़ी के पैटर्न पर वायुमंडलीय नमी और तापमान का प्रभाव अधिक पड़ता है।

2) लकड़ी के पैटर्न रेत और स्लैग से जल्दी ही घिस जाती है।

3) लकड़ी अपने अंदर कम सामर्थ्य रखती है।

4) लकड़ी में उपस्थित रेशों को ध्यान में रखकर ही पैटर्न का ही निर्माण किया जाना चाहिए।

5) मौसम परिवर्तन के कारण लकड़ी का पैटर्न फट सकता है और इसके ऐंठने की भी संभावना रहती है।

6) कभी-कभी मौसम परिवर्तन के कारण इसके आकार में कमी या बढ़ोतरी हो जाती है।

7) इस पैटर्न का उपयोग बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए नहीं किया जा सकता है।

8) लकड़ी फूल और सिकुड़ भी सकता है।



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