मोम का पैटर्न। रबड़ का पैटर्न । प्लास्टर का पैटर्न - Pattern Making


मोम का पैटर्न। रबड़ का पैटर्न । प्लास्टर का पैटर्न - Pattern Making

मोमबत्तियां का पैटर्न (Waxes Pattern in Hindi) -:

कार्नोबा मोम, शैलेक मोम, मधमक्खी का मोम, माइक्रोक्रिस्टेलाइन मोम इत्यादि का प्रयोग करके मोम का पैटर्न/प्रतिरुप (Pattern) तैयार किया जाता है। मोम के पैटर्न से इन्वेस्टमेंट कास्टिंग प्रक्रिया (Investment Casting Process) की जाती है। मोम के पैटर्न का निर्माण करते वक्त उसमें राख कम होनी चाहिए और साथ ही साथ कठोरता, ऑक्सीडाइज्ड का गुण तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिये। जिस मोम को प्रयोग में लाया जाता है, ध्यान रहे वह ठण्डे होने पर सिकुड़ न पाए।

मोम के द्वारा पैटर्न बनाने के लिए मोम को पहले तो द्रव अवस्था में किया जाता है। उसके बाद एक स्पिल्ट में डालकर डाई को ठंडा किया जाता है। डाई ठंडी हो जाती है तो उसको खोल दिया जाता है और पैटर्न को बाहर निकाल लिया जाता हैं। मोम के द्वारा छोटे साइज के पैटर्न बनाया जाते हैं जिन्हें रनर और और स्प्रू से जोड़कर ट्री आकार का बना दिया जाता है। मोम के पैटर्न को इंवेस्टमेंट मोल्ड बनाने में प्रयोग किया जाता है।


रबड़ का पैटर्न (Rubber Pattern in Hindi) -:

इस पदार्थ के पैटर्न का निर्माण करके कास्टिंग की डाइया बनाई जाती हैं। रबड़ का पैटर्न/प्रतिरुप (Pattern) बनाने के लिए सबसे अधिक सिकिलन रबड़ का प्रयोग किया जाता है।
रबड़ का पैटर्न निर्माण करने के लिए बाइंडर और हार्डनर जैसे पदार्थ की जरूरत होती है। बाइंडर बांधने का और हार्डनर पदार्थ को कठोर करने का कार्य करता है। यह दोनों द्रव अवस्था में आसानी से मिल जाते हैं। इन दोनों को निश्चित मात्रा में अच्छी तरह मिला लिया जाता है और पहले से तैयार मास्टर पैटर्न के ऊपर डाल दिया जाता है कुछ ही समय में यह ठोस रूप में आ जाता है।


प्लास्टर का पैटर्न (Plaster Pattern in Hindi) -:

यह ऐसा पैटर्न है जिसको केवल एक ही बार प्रयोग किया जा सकता है। प्लास्टर का प्रयोग सस्ते पैटर्न/प्रतिरुप (Pattern) को बनाने के लिए किया जाता है। जिप्सम प्लास्टर को प्लास्टर ऑफ पेरिस के नाम से हम सभी जानते हैं। पानी की निश्चित मात्रा को लेकर उसमें निश्चित मात्रा में जिप्सम प्लास्टर का प्रयोग किया जाता है। अब इस बनने वाले घोल को साँचे में डाल दिया जाता है। इस साँचे को पहले ही तैयार कर लिया जाता है। जब तक यह ठण्डा होकर कठोर नही हो जाता है तब तक उसको नही निकालते हैं। प्लास्टर जब ठोस होने लगता है तो वह फैलने लगता है। इसके सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए जरुरत के अनुसार सीमेंट और सैलखड़ी मिलाते हैं।



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