उच्च दाब वेल्डिंग (High Pressure Welding) और निम्न दाब वेल्डिंग (Low Pressure Welding) में अंतर

उच्च दाब वेल्डिंग और निम्न दाब वेल्डिंग में अंतर (Difference Between Low Pressure Welding and High Pressure Welding in Hindi)

उच्च दाब वेल्डिंग (High Pressure Welding) और निम्न दाब वेल्डिंग (Low Pressure Welding) में अंतर

निम्न दाब वेल्डिंग (Low Pressure Welding)

(1) निम्न दाब वेल्डिंग में प्रयोग होने वाला गैस , दुकानों पर ही छोटे गैस जनरेटर द्वारा आसानी से तैयार कर लिया जाता है।

(2) इस वेल्डिंग में प्रयोग होने वाले गैस को शुद्ध और शुष्क करने के लिए गैस प्योरिफायर यंत्र और ड्रायर यंत्र का प्रयोग किया जाता है।

(3) इस वेल्डिंग में प्रयोग करने वाले गैस को जनरेटर के ऊपरी भाग में ही 1Kg/cm^2 पर भर लिया जाता है।

(4) एसिटिलीन गैस की सप्लाई करने वाला इंजेक्टर कोन के माध्यम से जब ऑक्सीजन गैस गुजरती है तो आसपास दाब कम होता है। यह कम दाब , एसिटिलीन गैस और ऑक्सीजन गैस को आपस मे मिलाने के लिए दबाव बनाता है।

(5) निम्न दाब वेल्डिंग में गैस जनरेटर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं ले जाया जा सकता है।

(6) इस वेल्डिंग को करने के लिए निम्न दाब वाली वेल्डिंग टॉर्च का प्रयोग किया जाता है।

(7) इस वेल्डिंग में निम्न दाब पर गैस भरी होने के कारण रेगुलेटर की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

(8) निम्न दाब वेल्डिंग की प्रारंभिक लागत और रखरखाव का खर्च कम रहता है।

(9) इस वेल्डिंग के द्वारा लगातार कार्य करना संभव नहीं होता है। क्योंकि गैस , निम्न दाब पर भरी जाती है और इसी कारण जल्दी समाप्त हो जाती है।

(10) निम्न दाब वेल्डिंग में कैल्शियम कार्बाइड का प्रयोग किया जाता है। इसलिए कैल्शियम कार्बाइड के द्वारा ही गैस सिलेंडर को तैयार किया जाता है।

(11) निम्न दाब वेल्डिंग में दुर्घटना होने का भय अधिक रहता है।

(12) इस वेल्डिंग में व्यर्थ पदार्थ अधिक निकलता है।

(13) निम्न दाब वेल्डिंग में अधिक सफाई नहीं रहती है।

(14) इस विधि में बैक फायर का डर रहता है, जिसके कारण Water Seal और  हाइड्रोलिक बैक प्रेशर वाल्व का प्रयोग किया जाता है।



उच्च दाब वेल्डिंग (High Pressure Welding)

(1) उच्च दाब वेल्डिंग में प्रयोग होने वाली गैस बड़े कारखानों में तैयार की जाती हैं।

(2) उच्च दाब वेल्डिंग में प्रयोग होने वाले गैस शुद्ध व शुष्क अवस्था में प्राप्त होते हैं क्योंकि यह कारखानों में तैयार होते हैं।

(3) इस वेल्डिंग में प्रयोग होने वाला गैस को सिलेंडर में भरा जाता है, जिसका दाब सिलेंडर पर 15Kg/cm^2 होता है।

(4) इस वेल्डिंग में प्रयोग होने वाली ऑक्सीजन गैस और एसिटिलीन गैस, उच्च दाब के कारण अपने आप एक दूसरे में मिल जाती हैं।

(5) उच्च दाब वेल्डिंग में उपयोग होने वाले दोनों सिलेंडरों को एक ट्राली में रखकर सुविधापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।

(6) इस वेल्डिंग को करने के लिए उच्च दाब वाली वेल्डिंग टॉर्च को उपयोग में लाया जाता है।

(7) सिलेंडर में एसिटिलीन गैस को उच्च दाब पर भरा जाता है जिसके कारण सिलेंडर में प्रेशर रेगुलेटर की आवश्यकता होती है।

(8) उच्च दाब वेल्डिंग करने की प्रक्रिया महंगी पड़ती है क्योंकि इस वेल्डिंग को प्रारंभ करने की लागत और रख-रखाव की लागत दोनों ही अधिक होती है।

(9) जब तक सिलेंडर में गैस भरा रहता है तब तक बिना रुके लगातार कार्य किया जा सकता है। चाहे वह गैस थोड़ा हो या अधिक हो।

(10) उच्च दाब वेल्डिंग की प्रक्रिया में कैल्शियम कार्बाइड की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि यह गैस कारखाने में जब तैयार किया जाता है तभी कैलशियम कार्बाईड को पैक करते वक्त सिलेंडर में डाल दिया जाता है।

(11) यह ऐसी विधि है जिसमें दुर्घटना होने के अवसर बहुत कम होते हैं।

(12) इस वेल्डिंग से कोई भी व्यर्थ पदार्थ नहीं निकलता है। 

(13) जहां पर उच्च दाब वेल्डिंग होती है वहां पर सफाई रहता है।

(14) उच्च दाब वेल्डिंग में Water Seal या हाइड्रोलिक बैक प्रेशर वाल्व का प्रयोग नहीं किया जाता है।



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