धातुओं को जोड़ने की विधियां

हम दिन भर में बहुत सी वस्तुओं का प्रयोग करते हैं अगर हम ध्यान दें तो पाएंगे कि प्रतिदिन उपयोग में आने वाली सभी वस्तुओं का निर्माण छोटी-छोटी भागों से किया जाता है। कोई भी वस्तु जब बनती है तो छोटे-छोटे भागों को आपस में जोड़कर एक वस्तु वस्तु का निर्माण किया जाता है। प्रत्येक वस्तु का निर्माण करने के लिए हमें छोटे-छोटे भागों को आपस में जोड़ना पड़ता है और जब हम छोटे-छोटे part को जोड़ते हैं तो सभी part को एक प्रकार से नहीं जोड़ सकते हैं प्रत्येक part के लिए अलग-अलग जोड़ और तरीकों का प्रयोग किया जाता है। परन्तु हम आज हम बात करेंगे धातु जोड़ो के बारे में, जो ऑटो सेक्टर या अन्य किसी भी धातु के जोड़ने वाले सेक्टर में प्रयोग किया जाते है। जब हम धातु जोड़ों को देखते हैं तो हम पाते हैं कि सभी जोड़ अलग-अलग तरीकों से जोड़े गए हैं। कहीं पर हम ऐसे जोड़ देखते हैं जो नट-बोल्ट और स्क्रु द्वारा जोड़े गए होते हैं। जिन्हें पुनः खोल कर वापस जोड़ा जा सकता है। परंतु कहीं इस प्रकार के जोड़ लगे होते हैं जिन्हें एक बार जोड़ दिया गया तो पुनः खोला नहीं जा सकता है। इसलिए धातु को जोड़ते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो भाग हम जोड़ रहे हैं वह पुनः खोलने की आवश्यकता पड़ेगी या नहीं पड़ेगी, और इसी के आधार पर हमें धातु में जोड़ लगाने चाहिए।

जिस धातुओं के जोड़ को वापस खोलना नही होता है उन्हें रिवेट जोड़ और वेल्डिंग जोड़ से जोड़ दिया जाता है। और जिस जोड़ को पुनः खोलने की आवश्यकता होती है उनको नट-बोल्ट और स्क्रू से जोड़ा जाता है।


धातुओं को जोड़ने की विधियां (Method of joining metals)

धातुओं को उनकी आवश्यकता के अनुसार और गुण-दोष को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग प्रकार की विधियों से जोड़ा जाता है। जिन विधियों का प्रयोग धातुओं को जोड़ने के लिए करते हैं वे निम्नलिखित हैं-

1. बोल्ट द्वारा जोड़ना (joining by bolts)

2. वेल्डिंग द्वारा जोड़ना (joining by welding)

3. टांके द्वारा जोड़ना (joining by soldering or brazing)

4. रिवेट द्वारा जोड़ना (joining by Rivets)

5. तह लगाकर जोड़ना (joining by folding or seam)

धातुओं को जोड़ने की विधियां (Method of joining metals)

धातुओं के जोड़ने की विधि



1. बोल्ट द्वारा जोड़ना (joining by bolts)

इस प्रकार के जोड़ अस्थाई होते हैं जिन्हें कभी भी खोला जा सकता है और बंद किया जा सकता है। अतः इस प्रकार के जोड़ ऐसे Part पर लगाए जाते हैं जिन्हें समय-समय पर सफाई करना पड़ता है, मरम्मत करना पड़ता है, रख-रखाव करते हुए देखना पड़ता है। मशीनों में छोटे-छोटे Part को बोल्ट द्वारा जोड़ा जाता है।

Nut and Bolt
नट और बोल्ट


2. वेल्डिंग द्वारा जोड़ना (joining by welding)

ये जोड़ अस्थाई जोड़ होते हैं। इन जोड़ को दोबारा खोला और बंद नहीं किए जा सकता हैं। वेल्डिंग जोड़ जब एक बार लगा दिए जाते है तो इन्हें खोला या बंद नही किया जा सकता है जब तक ये टूट-फुट न जाये। वेल्डिंग जोड़ टिकाऊ और बहुत ही मजबूत होते हैं।

वेल्डिंग विधि के द्वारा दो प्रकार से जोड़ बनाया जाता है-

A) फ्यूजन वेल्डिंग (Fusion Welding)

B) प्लास्टिक या प्रेशर वेल्डिंग (Plastic or Pressure Welding)


A) फ्यूजन वेल्डिंग (Fusion Welding)

Fusion Welding को non-pressure वेल्डिंग कहा जाता है। क्योंकि Fusion Welding में जब भी किसी पार्ट को जोड़ा जाता है तो उसमें दबाव देने की आवश्यकता नही होती है। Fusion Welding करते समय धातुओं के किनारों को गर्म करके पिघलाया जाता है। और जब धातुएं पिघल जाती है तो आपस में जुट जाती हैं। और जो कंही-कंही खाली स्थान बचता है उसे पुरक पदार्थ या वेल्डिंग रॉड की सहायता से भर दिया जाता है। जब यह जोड़ ठंडा होता है तो यह पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है। Fusion Welding के अंर्तगत ही Butt Joint, Lap Joint, Edge Joint, Corner Joint, Corner Joint, Tee Joint इत्यादि आते हैं।


B) प्लास्टिक या प्रेशर वेल्डिंग (Plastic or Pressure Welding)

इस विधि में जिस भी धातुओं को आपस मे जोड़ना होता है उन्हें प्लास्टिक अवस्था तक गर्म किया जाता है और वे जैसे ही प्लास्टिक अवस्था तक गर्म हो जाते हैं उन्हें तुरंत दबाब देकर मोड़ दिया जाता है। इस विधि में पूरक पदार्थ (Filler Metal) की आवश्यकता नही पड़ती है।

इस विधि को फोर्जिंग वेल्डिंग (Forging Welding) के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि फोर्ज वेल्डिंग में भी धातु के टुकड़े को गर्म करके हथौड़े की सहायता से पीटकर ही जोड़ा जाता है।


3. टांके द्वारा जोड़ना (joining by soldering or brazing)

जोड़ लगाने की इस विधि को सबसे पुरानी और प्रचलित विधि कहा जाता है। इस विधि में धातु को 300 डिग्री सेल्सियस से 500 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करके धातुओं को गला दिया जाता है और फिर उन्हें आपस में जोड़ा जाता है। इसमें धातुओं को जोड़ने के लिए सोल्डर का प्रयोग किया जाता है।

जब टांके द्वारा धातुओं को जोड़ने की विधि अपनायी जाती है तो इसमें दो प्रकार के सोल्डर प्रयोग किए जाते हैं जो निम्न हैं-

A) Soft Solder

B) Hard Solder


A) Soft Solder

जब किसी धातु पर टांका लगाने के लिए टिन और लैड (pb) के अलॉय को आपस मे मिलाकर सोल्डरिंग विधि द्वारा जोड़ा जाता है तो यह प्रक्रिया Soft Soldering कहलाती है। इस मिश्रित धातुओं का गलनांक 300℃ है। Soft Solder को हिंदी में मृदु सोल्डर भी कहा जाता है। मृदु सोल्डर (Soft Soldering) का प्रयोग रेडियो, ट्रांजिस्टर, टेलीविजन के तारो और अनेक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के तारों (wire) में किया जाता है


B) Hard Solder

Hard Soldering एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे सोल्डरिंग करने के लिए Spelter अलॉय का प्रयोग किया जाता है। spelter एक ऐसा अलॉय है जिसमे तांबे और जिंक की धातु होती है। इस मिश्र धातु का गलनांक 600℃ होता है। Hard Solder को हिंदी में कठोर सोल्डर कहा जाता है। कठोर सोल्डर (Hard Soldering) का प्रयोग तांबे की पाइप, आरा मशीन के ब्लेड को जोड़ने में, रेडियेटर और रेफ्रिजरेटर में जोड़ लगाने के लिए किया जाता है।


4. रिवेट द्वारा जोड़ना (joining by Rivets)

रिवेट जोड़ का प्रयोग प्लेटो और चादरों को जोड़ने के लिए किया जाता है इस विधि का प्रयोग में शीट या प्लेट की चादर को एक दूसरे के ऊपर रखकर ड्रिल या पंच की सहायता से छिद्र करके और छिद्र में रिवेट डालकर उसे हथौड़े की सहायता से पीटकर , सिर बनाकर जोड़ को पूरा किया जाता है। इस विधि द्वारा स्थाई जोड़ (parmanent joint) बनाया जाता है। रिबेट जोड़ लगाते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस धातु को आपस में जोड़ना है रिवेट भी उसी धातु का हो।

रिबेट जोड़ का प्रयोग अधिकांश बाल्टी में , कब्जों में,  हैंडिलो में, Boiler एवं रेलगाड़ी के डिब्बे में किए जाते हैं। इस विधि के द्वारा धातुओं को अधातु से भी जोड़ा जा सकता है।


5. तह लगाकर जोड़ना (joining by folding or seam)

यह एक ऐसी विधि है जिसमे धातु के पतली शीटो और चादरो को Fold करके आपस मे जोड़ा जाता है। इस जोड़ का प्रयोग संदूक, टब और बर्तनों में किया जाता है। इस जोड़ को लगाने के लिए धातुओं को आपस मे मोड़कर जोड़ दिया जाता है। इस जोड़ में leak होने के चांस अधिक होते हैं लेकिन जब जोड़ मानक को पूरा करते हुए सही तरीके से लगाया गया हो तो कोई भी तरल पदार्थ leak नही होता है। ये जोड़ कई तरीकों से लगाए जा सकते हैं।



ये भी पढ़े...

Post a Comment

0 Comments