अपशिष्ट पदार्थ कहते हैं? स्रोत, प्रकार, प्रभाव, प्रबंधन

अपशिष्ट की परिभाषा (Waste Material in Hindi) -:

किसी उत्पादित पदार्थ का पहली बार या प्राथमिक उपयोग करने के बाद उसमें से जो शेष बचता है उसे अपशिष्ट या अवांछित पदार्थ कहते हैं। उदाहरण -  घरेलू कचरा, जल अपशिष्ट, रेडियोधर्मी अपशिष्ट इत्यादि ।

यह पदार्थ अब उपयोग किए गए कार्य के लिए फिर से उपयोग में नहीं लाया जा सकते हैं जिसके कारण इसे अपशिष्ट पदार्थों मान लिया जाता है, परंतु अगर हम चाहे तो अपशिष्ट पदार्थों को पुनः किसी अन्य कार्य में ला सकते हैं। कुछ अपशिष्ट पदार्थ ऐसे होते हैं जिन्हें पुनः अन्य कार्य मे लाया जा सकता है,  परंतु कुछ अपशिष्ट पदार्थ से ऐसे होते हैं जिन्हें दोबारा, पुनः अन्य कार्य में नहीं लाया जा सकता है। जो पुनः किसी अन्य कार्य में नही लाये जा सकते हैं उन्हें अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत प्रबंधित कर दिया जाता है।


अपशिष्ट पदार्थ कहते हैं? स्रोत, प्रकार, प्रभाव, प्रबंधन । (Waste Material in Hindi)
कूड़ा-करकट

यह अपशिष्ट हमारे घरों, विद्यालयों, दुकानों एवं कार्यालयों से प्रतिदिन अत्यधिक मात्रा में निकलते हैं। जब हम कभी अनाज, दालें, बिस्कुट, दूध अथवा तेल दुकान से खरीदते हैं तो यह सभी पदार्थ किसी प्लास्टिक थैलियों में पैक होते हैं। पैकिंग की यह सभी वस्तुएं प्रयोग करने के बाद कचरे में फेंकी जाती हैं। इसके साथ साथ हम कई घरेलू अपशिष्ट जैसे टूटे खिलौने, पुराने कपड़े, जूते और चप्पल भी बाहर फेंक देते हैं। इस कारण धीरे-धीरे अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा बढ़ती जाती है।


अपशिष्ट के स्रोत (Source of Waste in Hindi) -:

अपशिष्ट पदार्थ के कई स्रोत हैं यह अलग-अलग क्षेत्र से आते हैं जिसमें कुछ स्रोतों के नाम नीचे दिए गए हैं

1. घरेलू अपशिष्ट - इस अपशिष्ट के अंदर घर में प्रयोग किए जाने वाले वस्तुये आती हैं जिनको उपयोग करके बाहर फेंक दिया जाता है। जैसे- कांच, प्लास्टिक, फल तथा सब्जियों के छिलके, खिलौने इत्यादि।

2. औद्योगिक अपशिष्ट - कंपनी में, कारखानों में किसी उत्पाद को बनाने के फलस्वरूप जो कचरा निकलता है वह औद्योगिक अपशिष्ट के अंतर्गत आते हैं।

3. कृषि अपशिष्ट - कृषि के अधिक उत्पादन के लिए जो रासायनिक और अन्य उर्वरक मिलाये जाते हैं तथा अनाज प्राप्त करने के लिए जो कूड़े कचरे निकलते हैं वे सभी कृषि अपशिष्ट के अंतर्गत आते हैं।

5. जांतव अपशिष्ट - जब कोई जीव जंतु मर जाता है उसे बाहर फेंक दिया जाता है तो वह अपघटित होने लगते हैं , जिसके फलस्वरूप मृदा में अधिक पोषक तत्व हो जाता है। परंतु उनके सड़ने से अधिक मात्रा में अपशिष्ट निकलते हैं।

6. व्यापारिक अपशिष्ट - दुकानों, होटलों, ढाबों इत्यादि से जो अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते हैं, वे सभी व्यापारिक अपशिष्ट के अंतर्गत आते हैं। अपशिष्ट पदार्थों के अंतर्गत ड्रिंक की कैन, प्लास्टिक, स्क्रैप का कागज, उपयोग में लिया गया भोजन इत्यादि है।


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7. चिकित्सालय अपशिष्ट - अस्पताल, मेडिकल, इंस्टीट्यूट, नर्सिंग होम इत्यादि से उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट पदार्थों को चिकित्सालय अपशिष्ट पदार्थ कहते हैं। उदाहरण- प्रयोग में ली गई सिरिंज, सुई, पटिया, फेंकने योग्य पदार्थ, दवाओं के डिब्बे इत्यादि।


अपशिष्ट के प्रकार (Types of Waste in Hindi) -:-

अपशिष्ट पदार्थों को उनकी जैविक गुणों के आधार पर विभिन्न प्रकार से विभाजित किया गया है सामान्यतया यह दो प्रकार के होते हैं-

1. जैव अपघटीय अपशिष्ट (Biodegradable Wastes)

2. अजैव अपघटकीय अपशिष्ट (Non-Biodegradable Wastes)


1. जैव अपघटीय अपशिष्ट (Biodegradable Wastes) -:

ऐसे अपशिष्ट पदार्थ जिनको सूक्ष्म जीव के द्वारा सामान्य रूप से विघटित किया जा सकता है ऐसे अपशिष्ट को जैव अपघटीय अपशिष्ट (Biodegradable Wastes) कहते हैं।

जैव अपघटीय अपशिष्ट पदार्थों को जब सुचारू रूप से निस्तारण किया जाए तो यह हानिकारक नहीं होते हैं। इन्हें आसानी से निस्तारित किया जा सकता है। कुछ जैविक अपघटीय की अपशिष्ट पदार्थों के उदाहरण निम्न है, जैसे - फलों तथा सब्जियों के छिलके, गाय का गोबर, पौधों के अपशिष्ट पदार्थ, कृषि अपशिष्ट इन सभी प्रकार के अपशिष्ट पदार्थों को कृषि कंपोस्ट तैयार या बायोगैस बनाकर पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में जैव अपघटीय अपशिष्ट को बदलने की एक प्रकार की तकनीक है जिसका प्रयोग करके कृषि योग्य कंपोस्ट खाद बनाई जाती है। आजकल जैविक अपघटकीय अपशिष्ट से बायोगैस प्लांट में मेथेन गैस का भी उत्पादन किया जाता है, जिस गैस का प्रयोग करके घर में खाना बनाना तथा प्रकाश उत्पन्न किया जाता है।


2. अजैव अपघटीय अपशिष्ट (Non-Biodegradable Wastes) -:

ऐसे अपशिष्ट पदार्थ जिनको सूक्ष्म जीव के द्वारा सामान्य रूप सूक्ष्म कणो में विघटित नही किया जा सकता है, ऐसे अपशिष्ट को अजैव अपघटीय अपशिष्ट (Non-Biodegradable Wastes) कहते हैं। इस प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ को निस्तारित करना बहुत ही बड़ी चुनौती है जिसका निस्तारण करना संभव नहीं लगता है, जिसके कारण यह बहुत ही भारी मात्रा में प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।

अजैव अपघटीय अपशिष्ट पदार्थों के अंतर्गत प्लास्टिक, संश्लेषित पीड़कनाशी, संश्लेषित रेशे, रबड़, कार्बनिक, बहुलक इत्यादि आते हैं।


पर्यावरण और मानव पर अपशिष्ट पदार्थों का प्रभाव -:

कोई भी अपशिष्ट पदार्थ हमें हानि ही पहुंचाते हैं। इनके बढ़ने से हमारी पृथ्वी खतरे में बढ़ती जा रही है। यह हमारे चारों ओर बहुत तेजी के साथ इकट्ठे हो रहे हैं, जो हमें बहुत ही हानि पहुंचाते हैं। अपशिष्ट पदार्थों के प्रभाव के कारण हमें बहुत सारी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।

ये अपशिष्ट धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों के कारण बनते जा रहे हैं। अपशिष्ट पदार्थों के कारण वायु प्रदूषण और भूमि प्रदूषण धीरे धीरे बढ़ते ही जा रहे हैं जिसका परिणाम बहुत ही बुरा होने वाला है। जब अपशिष्ट पदार्थ बहुत भारी मात्रा में जमा हो जाते हैं तो यह हानि पहुंचाते हैं। इनसे हमारी आंखें और नाक भी प्रभावित होते हैं जिससे हमारी शाररिक क्षमता घटने लगती है और हमारी उम्र भी कम होती जा रही है।


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अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण या प्रबंधन Management of Waste in Hindi) -:

सामान्य तौर पर अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण/प्रबंधन करना थोड़ा कठिन है परंतु अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण या प्रबंधन करके काफी हद तक अपशिष्ट पदार्थों को उपयोग में लाया जा सकता है या फिर इनके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। फिर भी अपशिष्ट पदार्थों हानियों से बचना लगभग असंभव प्रतीत होता है, लेकिन इसके निस्तारण से काफी हद तक बचा जा सकता है। अपशिष्ट निस्तारण या प्रबंधन के लिए कुछ विधियां दी गई हैं जिनकी जानकारी नीचे दी गई है।


अपशिष्ट मिट्टी में दबाना -

जब ठोस अपशिष्ट अधिक मात्रा में इकट्ठे हो जाते हैं तो उन्हें गड्ढा खोदकर नीचे धसा दिया जाता है और उसके ऊपर से मिट्टी की मोटी परत बिछा दी जाती है। परंतु जी कचौड़ी तब भी समस्याएं पैदा करते हैं क्योंकि जब यह जमीन के अंदर दब जाते हैं तो जल व मृदा को प्रदूषित करने लगते हैं जिसके फलस्वरूप प्राप्त होने वाला पानी या कृषि के लिए मृदा प्रदूषित हो जाती है जो अधिक उत्पाद नहीं दे पाती है।

मिट्टी में दबे हुए कचड़े में उपस्थित रसायन आपस में क्रिया करने लगते हैं और ऊर्जा व धुआं उत्सर्जित करते हैं। ऊर्जा और धुआं उत्सर्जित होने के कारण यह कई वर्षों तक दबे हुए मिट्टी के नीचे जलते रहते हैं और कभी-कभी यह विस्फोट भी हो जाते हैं।


सफाई पूर्वक भूमि भरण -

इस विधि का प्रयोग करके कचरे को भूमि के नीचे दबाया जाता है, परंतु ऐसा करने में कोई खतरा नहीं होता है क्योंकि इस माध्यम से केवल उसी कचड़े को भूमि के अंदर अर्थात मिट्टी के नीचे दबाया जाता है जो अधिक खतरनाक ना हो। ऐसे कचरो को दबाने के लिए सबसे पहले इन्हें छोटे-छोटे पैक के रूप में बांध लिया जाता है और इनको प्रत्येक दिन भूमि में मिट्टी की परत के नीचे दबा दिया जाता है।

अगर प्रत्येक दिन इस विधि का उपयोग किया जाता है तो यह काफी अच्छा होता है। इससे अधिक मृदा प्रदूषण नहीं होता है मगर बड़े-बड़े देशों में बड़ी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं जिनको ऐसा करना काफी मुश्किल भरा होता है। इसलिए बड़े देश इस विधि द्वारा का पूर्ण रूप से अपशिष्ट निस्तारण करने में असमर्थ हो जाते हैं।


जलाना -

कई अपशिष्ट पदार्थों ऐसे होते हैं जिनको जलाकर में समाप्त कर दिया जाता है लेकिन इस विधि से जो धुआ निकलता है वह वायु को प्रदूषित करने लगता है।


पुनः चक्रण (Recycle) -

अपशिष्ट पदार्थों को Recycle विधि से निस्तारण किया जा सकता है। जब कचरे का निस्तारण Recycle विधि से किया जाता है तो कुछ उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त हो जाते हैं तथा यह विधि पर्यावरण में समस्याएं उत्पन्न नहीं करता है और साथ-साथ ऊर्जा की भी बचत होने लगती है।

इस विधि में सबसे पहले कारखानों को पीसकर लोग भी बना लेते हैं और अब चुंबकीय पृथक्करण विधि से इस लुगदी में से लोहा और स्टील जैसे पदार्थों को अलग कर लिया जाता है तथा पुनः उपयोगी वस्तुएं बनाने में इसका प्रयोग होने लगता है। इसके बाद जो लुगदी बचती है उसको छाटने वाले यंत्र में भेज दिया जाता है।

अब इस लुगदी में से हल्के पदार्थ जैसे कागज, भारी व्यर्थ पदार्थों में से जैसे कांच से अलग हो जाते हैं अभी तक किए हुए पदार्थों से कुछ अन्य पदार्थ जैसे उर्वरक का ग़ज़ल मिनी के डिब्बे आदि बनाए जाते हैं। 

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