अपघर्षक पदार्थ (Abrasive Materials) किसे कहते हैं? प्रकार

अपघर्षक पदार्थ (Abrasive Materials in Hindi) । प्रकार

अपघर्षक पदार्थ (Abrasive Materials in Hindi) -:

अपघर्षक पदार्थ ऐसे पदार्थ होते हैं जो किसी वस्तु के सतह के ऊपर घिस कर उनका आकार बदलने या सतह को चिकना बनाने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। इनका निर्माण छोटे-छोटे कणो को आपस मे मिलाकर किया जाता है। ये छोटे-छोटे कणों के रूप में होने के साथ-साथ काफी कठोर होते हैं। इन छोटे-छोटे कणों को बंधक पदार्थ के साथ मिलाकर ग्राइंडिंग पहिए का निर्माण किया जाता है। ये ग्राइंडिंग पहिया पदार्थ को घिसने का कार्य करता है और सतह को साफ और फिनिशिंग का कार्य करता है। अपघर्षक पदार्थ छोटे-छोटे कणों में होने के साथ-साथ तेज कोरो वाले भी होते हैं। अपघर्षक पदार्थों का उपयोग सामान्यतः ग्राइंडिंग पहियों और पट्टीयों के निर्माण में अधिकांश किया जाता है।

अपघर्षक कणों की साइज को ज्ञात करने के लिए छलनी का उपयोग किया जाता है। यह छलनी जिस नंबर का होता है, अगर कण उस छलनी में से नीचे गिर जाता है तो वह अपघर्षक कण भी उसी नंबर का कहलाता है जिस नंबर की छलनी होती है।

जो अपघर्षक पदार्थ मोटे होते हैं उनका उपयोग रुक्ष ग्राइंडिंग प्रक्रम के लिए इस्तेमाल किया जाता है और जो कण बारीक होते हैं उनका प्रयोग परिष्कृत ग्राइंडिंग पहियों के निर्माण के लिए किया जाता है। अपघर्षक पदार्थों का निर्माण प्राकृतिक से उपलब्ध कुछ पदार्थों से किया जाता है और कुछ अपघर्षक पदार्थों का निर्माण कृत्रिम पदार्थों से किया जाता है। प्रकृतिक अपघर्षक पदार्थ के अंर्तगत क्वार्टज, एमरी तथा कोरंडम आदि ग्राइंडिंग प्रयोग के निर्माण में प्रयोग किए जाते हैं और कृत्रिम पदार्थ के अंर्तगत सिलीकान कार्बाईड, एल्यूमीनियम ऑक्साइड का उपयोग ग्राइंडिंग पहियों के निर्माण में किया जाता है।


अपघर्षक पदार्थों के प्रकार (Types of Abrasives Materials in Hindi) -:

अपघर्षक पदार्थ दो प्रकार के होते हैं -

1. प्राकृतिक अपघर्षक पदार्थ (Natural Abrasive Materials)

2. कृत्रिम या संशलिष्ट अपघर्षक पदार्थ (Artificial or Synthetic Abrasive Materials)


1. प्राकृतिक अपघर्षक पदार्थ (Natural Abrasive Materials) -:

प्राकृतिक अपघर्षक पदार्थ भी तीन प्रकार के होते हैं -

(A) कठोर अपघर्षक (Hard Abrasive)

(B) मुलायम अपघर्षक (Soft Abrasive)

(C) सिलीसीयस अपघर्षक (Siliceous Abrasive)


(A) कठोर अपघर्षक (Hard Abrasive) -:

कठोर अपघर्षक पदार्थ के अंतर्गत निम्न पदार्थ आते हैं -

● हीरा (Diamond)

● कोरंडम (Corrundum)

● एमरी (Emery)

● गार्नेट (Garnet)


हीरा (Diamond) - अपघर्षक पदार्थ के रूप में हीरा सबसे अधिक प्रचलित है। हीरे की अपघर्षक शक्ति अन्य सभी अपघर्षको से बहुत ज्यादा अधिक होती है। इसका प्रयोग चट्टानों में ड्रिलिंग करने, डाइयो को बनाने के लिए, वायर ड्राइंग में, पॉलिशिंग में , काटने में, ग्राइंडिंग व्हील की ड्रेसिंग करने में तथा सुपरफिनिशिंग क्रिया को करने और लैपिंग करने में भी किया जाता है। हीरे के धूल का प्रयोग अपघर्षक पदार्थो के रूप में किया जाता है।


कोरंडम (Corrundum) - कोरंडम को प्राकृतिक एल्यूमीनियम ऑक्साइड कहा जाता है। इसमें कुछ अशुद्धियां होती हैं। इसकी खुरचन कठोरता हीरे के बाद दूसरे नंबर की होती है। जिसके कारण इसका उपयोग अधिकांश धातु के उद्योगों में पट्टीयों के निर्माण के लिए किया जाता है।


एमरी (Emery) - एमरी भी एक प्रकार का प्राकृतिक एल्युमीनियम ऑक्साइड है। जिसमें 55% से 65% तक एल्युमीना होता है। 55% से 65% तक एल्यूमिना होने के कारण बाकी जितनी मात्रा बचती है उतने में आयरन ऑक्साइड और अन्य अशुद्धियां होती हैं। एमरी में जो कठोरता होती है उसका मुख्य कारण कोरंडम होता है क्योंकि कोरंडम एमरी में स्थित होता है। एमरी की गुणवत्ता कुछ वांछित गुणों के कारण बढ़ जाती है। उदाहरण के तौर पर उच्च खुरचन की कठोरता और क्रिस्टल का टूट जाना जैसे गुण है जो इसे कार्य के योग्य बनाते हैं।


गार्नेट (Garnet) - गार्नेट की कठोरता 6.5 से 7.5 मोह स्केल होती है। यह सिलिकेट लवणों के समूह का मिश्रण होता है जो अलग-अलग रंगों में पाया जाता है। गार्नेट का उपयोग ग्लास प्लेट की रेतीकरण करने के लिए और रुक्ष पॉलिशिंग के बीच मध्य फाइनिंग क्रिया करने के लिए करते हैं। सिलीकेट में गार्नेट की थोड़ी सी मात्रा को मिलाकर पट्टीयों का निर्माण किया जाता है। गार्नेट का गलनांक कम होता है जिसके फलस्वरूप विट्रीफाइड बंधक का इसके साथ उपयोग नहीं हो पाता है।


(B) मुलायम अपघर्षक (Soft Abrasive) -:

यह ऐसे अपघर्षक होते हैं जिनके द्वारा सतह को आसानी से चिकना और धातु सतह पर पॉलिश करने के योग्य बनाने के साथ साथ अन्य सतहों पर भी पॉलिश किया जा सकता है। मुलायम अपघर्षक को सिलीसियस अपघर्षक की श्रेणी में नहीं रखा गया है, लेकिन यह इनकी तुलना में मुलायम होते हैं। मुलायम अपघर्षक के अंतर्गत रोटन स्टोन, वियना लाइम तथा अन्य धातु ऑक्साइड आते हैं।


(C) सिलीसीयस अपघर्षक (Siliceous Abrasive) -:

सिलीसीयस अपघर्षक पदार्थ के अंतर्गत निम्न पदार्थ आते हैं -

● क्वॉर्टज (Quartz)

● क्वॉर्टजाइट (Quartzite)

● फ्लिंट (Flint)

● रेत स्टोन (Sand Stone)

● अपघर्षक रेत (Abrasive Sand) - 


क्वॉर्टज (Quartz) - यह ऐसा भंगुर पदार्थ है जो क्रिस्टल रूप में सिलिका होता है और साधारण रूप में एक लवण होता है। क्वार्टज की कठोरता 7.0 मोह स्केल होती है। इसका उपयोग माजने वाला पाउडर बनाने के लिए, साबुन बनाने के लिए और रेत पेपर से बनाने के लिए किया जाता है।


क्वॉर्टजाइट (Quartzite) - इसको शुद्ध सिलका माना जाता है यह रेत स्टोन की तुलना में बहुत ही अधिक सघन और कठोर होता है। इसकी जो रेशे होती हैं उनको पहचानने में बहुत ही मुश्किल होती है।


फ्लिंट (Flint) - फ्लिंट सिलिका का सुधरा हुआ रूप होता है। फ्लिंट में क्वार्टज के समान ही कठोरता होती है। फ्लिंट का प्रयोग तेज धार को बनाने में जो पत्थर प्रयुक्त जाते हैं, उनका निर्माण किया जाता है।


रेत स्टोन (Sand Stone) - रेत स्टोन का प्रयोग करके ग्राइंड स्टोन पल्प स्टोन और धार को तेज करने वाले स्टोन इत्यादि को बनाने में किया जाता है। इस पत्थर की कठोरता हर जगह समान होती है और वैसे भी समान ही आकार के होते हैं इसको बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि यह तेज कोरों वाले हो। रेत स्टोन ऐसा होना चाहिए जिसमें मिट्टी और धूल इत्यादि जैसे अन्य पदार्थ ना हो, अगर मिट्टी और धूल जैसे पदार्थ होंगे तो रेत स्टोन की सामर्थ्य कम हो जाती है।


अपघर्षक रेत (Abrasive Sand) - अपघर्षक का प्रयोग ब्लास्टिक क्रिया में किया जाता है इसके रेशे गोलाकार होते हैं।


2. कृत्रिम या संशलिष्ट अपघर्षक पदार्थ (Artificial or Synthetic Abrasive Materials) -:

कृत्रिम अपघर्षक पदार्थ दो प्रकार के होते हैं -

(A) सिलिकॉन कार्बाइड (Silicon Corbides)

(B) एल्युमीनियम कार्बाइड (Aluminium Oxides)


(A) सिलिकॉन कार्बाइड (Silicon Corbides) -:

यह ऐसा अपघर्षक पदार्थ है जो मानव के द्वारा निर्माण किया जाता है और इसमें 56% सिलिका रेत 34% को पाउडर 2% साल्ट और 12% बुरादा होता है। इन सभी को आपस में मिलाकर एक लंबे और आयताकार विद्युत भट्टी में गरम किया जाता है। यह भट्टी प्रतिरोध के प्रकार जैसी होती है। इसे भट्टी का निर्माण ईंट से किया जाता है। अगर सिलिकॉन कार्बाइड के कठोरता की बात की जाए तो यह हीरे की तरह कठोर होते हैं। एल्यूमीनियम ऑक्साइड की तुलना में ये कम टफ होते हैं।

सिलिकॉन कार्बाइड के क्रिस्टल बहुत ही भंगुर गुण वाले होते हैं, परंतु यह क्रिस्टल जैसे-जैसे घिसते जाते हैं यह उतनी ही अधिक तेज कोर वाले होते जाते हैं। इनकी घिसने के साथ-साथ काटने की शक्ति भी बढ़ती जाती है। सिलिकॉन कार्बाइड का प्रमुख गुण यह है कि ये रासायनिक रूप में प्रतिक्रिया नहीं करते हैं तथा उच्च तापमान को सहन करने की क्षमता रखते हैं। सिलिकॉन कार्बाइड का प्रयोग ग्राइंडिंग व्हील का निर्माण करने में किया जाता है। सिलिकॉन कार्बाइड के द्वारा जो ग्राइंडिंग व्हील बनाए जाते हैं उनका उपयोग ग्लास, ग्रेनाइट, चिल्ड आयरन , एलुमिनियम, रबर, सीमेंटेड कार्बाईड, चमड़े की ग्राइंडिंग करने के लिए किया जाता है।


(B) एल्युमीनियम ऑक्साइड (Aluminium Oxides) -:

एलुमिनियम ऑक्साइड का उत्पादन करने के लिए लवणीय बॉक्साइट, हाईड्रेटेड एलुमिनियम ऑक्साइड क्ले (जिसमें सिलिका मिली हो), आयरन ऑक्साइड, टीटेनियम ऑक्साइड को आपस में कोक पाउडर और आयरन के साथ मिलाया जाता है। इन सभी पदार्थों को आपस में मिलाने के बाद आर्क टाइप विद्युत भट्टी में गर्म किया जाता है और एल्यूमीनियम ऑक्साइड का निर्माण किया जाता है।

एल्युमिनियम ऑक्साइड, सिलीकान कार्बाईड के समान कठोर से नहीं होते हैं परंतु यह सिलिकॉन कार्बाइड से अधिक तापसह और टिकाऊ होते हैं। इनके द्वारा उबड़-खाबड़ सतह को बराबर या समतल करने के लिए उपयोग किया जाता है। एल्युमिनियम ऑक्साइड के भी ग्राइंडिंग व्हील बनाए जाते हैं। अपघर्षक पेपर और कपड़ों पर परत जमाने के लिए एल्यूमीनियम ऑक्साइड का प्रयोग किया जाता है।



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