फोर स्ट्रोक डीजल इंजन कैसे काम करता है - 4 Stroke Diesel Engine in Hindi

चार स्ट्रोक डीजल इंजन क्या है -:

चार स्ट्रोक डीजल इंजन को संपीडन ज्वलन इंजन (Compression Ignition Engine) भी कहते हैं। इस इंजन का निर्माण रुडोल्फ डीजल ने 1892 में किया था। रुडोल्फ डीजल जर्मन इंजीनियर थे, उन्होंने ईंधन का उच्च संपीडन अनुपात का प्रयोग करके 4 स्ट्रोक डीजल इंजन को बनाया था। 4 स्ट्रोक डीजल इंजन में कुछ संपीडन अनुपात होने के कारण इंधन सौदा जलने लगता है इसलिए इसे स्वतः ज्वलन इंजन (Auto Ignition Engine) भी कहते हैं। इस इंजन में जब 4 स्ट्रोक पूर्ण हो जाता है तो ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के कार्यो के लिए करते हैं।


1. चूषण स्ट्रोक (Suction Stroke)

2. संपीडन स्ट्रोक (Compression Stroke)

3. शक्ति या कार्यकारी स्ट्रोक (Power or Working Stroke)

4. निकास स्ट्रोक (Exhaust Stroke)


फोर स्ट्रोक डीजल इंजन - 4 Stroke Diesel Engine in Hindi


1. चूषण स्ट्रोक (Suction Stroke) -:

जब चूषण स्ट्रोक लगता है तो इस स्ट्रोक के दौरान इनलेट वाल्व खुला रहता है और निकास वाल्व बंद रहता है। इसी स्ट्रोक के दौरान इंजन सिलेंडर में केवल वायु प्रवेश करती है। यह वायु इनलेट वाल्व के माध्यम से इंजन सिलेंडर में जाती है। इस स्ट्रोक में पिस्टन TDC से BDC की ओर जाता है और क्रैंक के 0° से 180° की ओर घूमने लगता है। जिसके कारण पिस्टन अपना एक स्ट्रोक पूरा कर लेता है।


2. संपीडन स्ट्रोक (Compression Stroke) -:

जब यह स्ट्रोक लगता है तो दोनों इनलेट और निकास वाल्व बंद रहते हैं और इस स्ट्रोक में पिस्टन BDC से TDC की ओर बढ़ता है। संपीडन स्ट्रोक के दौरान ईंधन का संपीडन होने लगता है। इंधन का संपीड़न होने के कारण उसका दावत आप तिरुपति से बनने लगता है। इस स्ट्रोक में क्रैंक 180° से 360° तक घूमता है। इसी स्ट्रोक में पिस्टन अपना दूसरा स्ट्रोक पूरा कर लेता है।


3. शक्ति या कार्यकारी स्ट्रोक (Power or Working Stroke) -:

इस स्ट्रोक के दौरान इनलेट वाल्व और निकास वाल्व दोनों ही बंद रहते हैं। ईंधन की मापी गई निश्चित मात्रा ही ईंधन पंप की सहायता से फ्यूल इंजेक्टर में पहुंचाई जाती है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि ईधन की मापी गई मात्रा ईंधन पंप के द्वारा पहुंचाया जाता है। जब यह ईंधन इंजेक्टर में पहुंचता है तो फ्यूल इंजेक्टर डीजल को या ईधन को स्प्रे करके इंजन सिलेंडर में प्रवेश करवाता है। चूंकि हम जानते हैं कि संपीडन स्ट्रोक में ईधन संपीडित हो चुकी होती है, जिसके कारण ईधन तथासंपीडित वायु स्वतः जलने लगती है और ईंधन का दहन होने लगता है। इस स्ट्रोक में पिस्टन TDC से BDC की ओर जाता है और क्रैंक 360° से 540° तक घूमता है। इसी स्ट्रोक के दौरान पिस्टन अपना तीसरा स्ट्रोक पूरा करता है।


4. निकास स्ट्रोक (Exhaust Stroke) -:

इस स्ट्रोक के दौरान दहन प्रक्रिया पूरी हो जाती है और दहन के पश्चात जो गैसे बचती हैं वह निकास वाल्व के द्वारा बाहर निकल जाती हैं या निकलती हैं। इस स्ट्रोक में प्रवेश वाल्व बंद रहता है और निकास वाल्व खुला रहता है। इसी निकास वाल्व के माध्यम से गैसे बाहर निकलती हैं।

जब यह स्ट्रोक लगता है तो पिस्टन BDC से TDC की ओर जाता है और क्रैंक 540° से 720° की दूरी करते करते हुए घूमता है।



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