4 स्ट्रोक पेट्रोल इंजन क्या है । Four Stroke Petrol Engine in Hindi

चार स्ट्रोक पेट्रोल इंजन -:

4 स्ट्रोक पेट्रोल इंजन को स्पार्क ज्वलन इंजन (Spark Ignition Engine) के नाम से भी जाना जाता है। यह इंजन स्थिर प्रक्रम के आधार पर आधारित होता है। पेट्रोल इंजन का विकास जर्मन इंजीनियर ऑटो द्वारा 1862 में किया गया। पेट्रोल इंजन ऑटो चक्र पर आधारित होता है। इस इंजन में पेट्रोल का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। जिसका संपीडन अनुपात 5 से 10 के बीच में होता है।


चार स्ट्रोक पेट्रोल इंजन भी चार प्रक्रमों पर आधारित होता है  जो निम्न हैं -

1. चूषण स्ट्रोक (Suction Stroke)

2. संपीडन स्ट्रोक (Compression Stroke)

3. शक्ति या कार्यकारी स्ट्रोक (Power or Working Stroke)

4. निकास स्ट्रोक (Exhaust Stroke)


4 स्ट्रोक पेट्रोल इंजन । Four Stroke Petrol Engine in Hindi


1. चूषण स्ट्रोक (Suction Stroke) -:

इस स्ट्रोक के दौरान पेट्रोल और हवा का मिश्रण इंजन सिलेंडर में प्रवेश करता है। पेट्रोल और वायु के मिश्रण को इंजन सिलेंडर में प्रवेश करने के कारण इसे इंडक्शन स्ट्रोक (Induction Stroke) भी कहते हैं। इस स्ट्रोक में पिस्टन TDC से BDC पर पहुंचता है और क्रैंक 0° से 180° की दूरी तय करते हुये घूमता है। जब यह स्ट्रोक लगता है तो उस समय Inlet Valve में खुला रहता है और Exhaust Valve बंद रहता है।


2. संपीडन स्ट्रोक (Compression Stroke) -:

इस स्ट्रोक के लगने के समय दोनों वाल्व बंद रहते हैं और पिस्टन BDC से TDC की ओर बढ़ता है। इसी स्ट्रोक में जब पिस्टन गति कर रहा होता है तो पिस्टन की गति के कारण मिश्रित ईंधन का धीरे-धीरे संपीडन होने लगता है और संपीडन होने के कारण पेट्रोल और वायु के मिश्रण का दाब और तापमान बढ़ने लगता है। संपीडन स्ट्रोक के अंत तक जाते-जाते जैसे ही क्रैंक 360° पूरा करने वाला होता है अर्थात पिस्टन BDC से TDC पर पहुंचने वाला होता है, उसी समय Spark Plug से एक चिंगारी उत्पन्न होती है। यह चिंगारी मिश्रण वाले ईंधन में जाकर मिल जाती है, जिसके फलस्वरूप ईंधन का दहन होने लगता है। इस प्रकार ईंधन का दूसरा स्टोक पूरा हो जाता है।


3. शक्ति या कार्यकारी स्ट्रोक (Power or Working Stroke) -:

इंधन के दान के परिणाम स्वरूप निकलते हैं और उनका प्रसारण प्रारंभ हो जाता है इसलिए इसे प्रसारण स्ट्रोक (Expansion Stroke) भी कहा जाता है। जब गैसों का प्रसारण होने लगता है तो पिस्टन TDC से BDC की ओर बढ़ने लगता है और क्रैंक 360° से 540° की ओर घूमने लगता है। इस प्रकार ईंधन के दहन के कारण जो ऊष्मा उत्पन्न होती है वह फ्लाईव्हील में संचित हो जाती है।

जब यह स्ट्रोक लगाया जाता है तो दोनों वाल्व बंद रहते हैं और जब यह स्ट्रोक पूरा होने वाला होता है तो इसके कुछ डिग्री पहले ही Exhaust Valve खुल जाता है जिसके कारण निकास गैसे पूर्ण रूप से सिलिंडर के बाहर निकल जाती हैं।


4. निकास स्ट्रोक (Exhaust Stroke) -:

इस स्ट्रोक में पिस्टन BDC से TDC की ओर बढ़ता जाता है और क्रैंक 540° से 720° की ओर घूमने लगता है। जब यह स्ट्रोक लगता है तो Inlet Valve बंद रहता है और निकास  वाल्व खुला हुआ रहता है। इस स्ट्रोक के दौरान सिलिंडर में बची हुई सभी गैस को निकास वाल्व के माध्यम से वायुमंडल में निकाल दिया जाता हैं। और क्रैंक जैसे ही 720° पर पहुंचता है व पिस्टन BDC से TDC पर पहुंचती है वैसे ठीक निकास वाल्व भी बंद हो जाता है। इस स्ट्रोक का समापन होने के साथ-साथ इंजन का भी एक पूरा चक्र पूर्ण हो जाता है। अब इंजन फिर  नए चूषण स्ट्रोक (Suction Stroke) चक्र के लिए तैयार हो जाती है।



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