जिला प्रशासन क्या होता है? कार्यविधि,

जिला प्रशासन (District Administration in Hindi) -:

जिले की सबसे छोटी इकाई गांव होती है। अनेक गांव से मिलकर तहसील बनता है और तहसील और कस्बों को मिलाकर एक जिला या जनपद बनता है। प्रत्येक जिले में उपस्थित गांव, तहसील, कस्बों और शहरों में विद्युत, जल, यातायात के साधन, स्वास्थ्य की सुविधा, सड़कें और शिक्षा व सुरक्षा की आवश्यकता पड़ती है। इन सभी कार्यों को करने के लिए जिला प्रशासन की आवश्यकता पड़ती है। जिला प्रशासन अपने अनुसार इन सभी कार्यों को करवाने का प्रयास करता है।


जिला प्रशासन की कार्यविधि -:

जिले में प्रशासन व्यवस्था को सही करने के लिए सबसे पहले गांव को तहसील व क्षेत्र पंचायत के अनुसार बांटा जाता है और संपूर्ण कार्य को सुचारू रूप से करने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में एक कर्मचारी की नियुक्ति की जाती है। क्योंकि जिले में कानून व्यवस्था, शिक्षा, चिकित्सा, न्याय, भूमि व्यवस्था, कार्य और यातायात नियंत्रण करने की आवश्यकता होती है।

इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए जिला प्रशासन में कार्य भार को अलग-अलग कर्मचारियों को बांट दिया जाता है, जिससे कार्यभार आसानी से हो सके और जिले में आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके।

जिले के कार्यभार को संभालने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग करके जिले के कार्य को सुव्यवस्थित तरीके से संचालित किया जाता है। इन्हें कई भागों में पहले बांट देते हैं उसके बाद जिले का संचालन किया जाता है।


जिला अधिकारी -:

जिले का सबसे बड़ा अधिकारी जिला अधिकारी ही होता है, जिला अधिकारी को कलेक्टर और डी.एम. के नाम से भी जानते हैं। प्रत्येक जिले में जिला अधिकारी का स्थान सर्वोपरि होता है। जिला अधिकारी कानून व्यवस्था, जिला प्रशासन में होने वाले कार्य, शिक्षा, चिकित्सा, जिला न्यायालय, भूमि व्यवस्था एवं कर वसूली, अन्य विकास कार्य और यातायात नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी होती है।

इन सभी कार्यों की जिम्मेदारी जिला अधिकारी के अंतर्गत की जाती है। किसी तरह की कोई गड़बड़ी होने पर जिला अधिकारी इन विभागों को की देखरेख करता है और उचित कार्रवाई करता है।


कानून व्यवस्था -:

कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिला अधिकारी जिले में पुलिस की मदद से कानून व्यवस्था बना पाता है पुलिस का काम अपराधी गतिविधियों को होने से रोकना होता है तथा इनका सबसे प्रमुख कार्य जनता की सुरक्षा करना होता है। पुलिस जनता की सुरक्षा करने के लिए दंगे फसाद को रोकती है और यातायात पर नियंत्रण करती है।

जिले में पुलिस का सबसे बड़ा अधिकारी पुलिस अधीक्षक (S.P.) कहलाता है। पुलिस अधीक्षक की सहायता करने के लिए नगर पुलिस अधीक्षक और ग्रामीण पुलिस अधीक्षक होते हैं। पूरे जनपद में कानून व्यवस्था को बनाने के लिए सबसे पहले पूरे क्षेत्र को थानों में बांटा जाता है जिसके कारण 1 जिले में कई थाने हो जाते हैं। थाने के सबसे बड़े अधिकारी को थानेदार (S.O.) कहते हैं प्रत्येक दो या तीन थानों का एक क्षेत्रीय कार्यालय होता है जिसका सबसे बड़ा अधिकारी क्षेत्राधिकारी होता है जिससे C.O. भी कहते हैं।

जहां-जहां पर थाना होती है, प्रत्येक थाने के अगल-बगल कस्बों और शहरों में पुलिस चौकी भी होती है। इन पुलिस चौकियों पर हेड कांस्टेबल और कई सिपाही उपस्थित होते हैं। अग्निशमन दल भी पुलिस से ही संबंधित होता है जो कहीं लगे हुए आग को बुझाने का कार्य करता है।


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जिले की शिक्षा व्यवस्था -:

प्रत्येक जिले में शिक्षा के निरीक्षण और व्यवस्था के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक (D.I.O.S.) होता है। जिला विद्यालय निरीक्षक (D.I.O.S.) का कार्य होता है कि यह कक्षा 9 से 12 तक के विद्यालयों का निरीक्षण कर सकता है। जबकि कक्षा 8 तक के सभी विद्यालयों का निरीक्षण करना बेसिक शिक्षा अधिकारी (B.S.A.) का कार्य होता है।

बेसिक शिक्षा अधिकारी (B.S.A.) भी जिला स्तर का सरकारी कर्मचारी होता है। परंतु संपूर्ण शिक्षा विभाग का मुखिया जिला अधिकारी ही होता है जिसके अंतर्गत रह कर शिक्षा संबंधित नियम और योजनाएं चलाई जाती हैं।


जिले की चिकित्सा व्यवस्था -:

संपूर्ण जिले की चिकित्सा व्यवस्था की देखरेख करने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (C.M.O.) की नियुक्ति की जाती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (C.M.O.) जिले में सभी चिकित्सको, दवा की दुकानों और डिस्पेंसरीयो पर नियंत्रण रखने का कार्य करता है। इसके द्वारा अस्पताल, क्लीनिक एवं फार्मासिस्ट इत्यादि के लाइसेंस भी बनाए जाते हैं। सी.एम.ओ. को जब भी चिकित्सक संबंधित जांच करना होता है तो वह उसका निरीक्षण कभी भी कर सकता है। अगर किसी अस्पताल, क्लीनिक या दवा की दुकान से कोई गड़बड़ी की सूचना प्राप्त होती है तो सी.एम.ओ. उसका लाइसेंस रद्द कर सकता है।


जिला न्यायालय -:

जिला न्यायालय के अंतर्गत धन, भूमि, मकान अथवा संपत्ति को लेकर हुए विवाद या झगड़ों का निपटारा किया जाता है। जिला न्यायालय में चोरी, डकैती, हत्या, गबन इत्यादि जैसे गंभीर मुकदमा भी चलाया जाते हैं। इसके लिए विभिन्न न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है जो जिला न्यायालय में रहकर इन सभी समस्याओं का समाधान करते हैं और न्याय करते हैं।

जिला न्यायालय के सबसे बड़े अधिकारी को जिला जज कहा जाता है। जब कोई व्यक्ति जिला न्यायालय के निर्णय से असंतुष्ट हो जाता है तो वह उच्च न्यायालय में अर्जी दायर कर सकता है।


जिले की भूमि व्यवस्था -:

जिले में भूमि संबंधित समस्याओं से निपटने के लिए तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो और लेखपाल तथा पटवारी जैसे पदों की नियुक्ति की जाती है। यह सभी भूमि व्यवस्था और अन्य करों की वसूली करने के लिए होते हैं। इन सभी को भूमि से संबंधित अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई होती है। यह अपने क्षेत्र में भूमि की नाप-जोख का लेखा-जोखा, खतौनी इत्यादि का देखभाल करते हैं।

जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र इत्यादि जैसे कागज को बनाना तहसील का कार्य होता है  इन सभी कार्यों को तहसील में ले जाकर के बनवया जा सकता है।


जिले के विकास कार्य -:

जिले में विकास कार्यों को करने के लिए मुख्य विकास अधिकारी की नियुक्ति की जाती है। मुख्य विकास अधिकारी नगर के रखरखाव, सड़कों का निर्माण, विद्युत व्यवस्था, जल की आपूर्ति, भवन निर्माण इत्यादि जैसे संबंधित कार्यों को की देखरेख करता है और किसी तरह उत्पन्न समस्या से छुटकारा दिलाने का कार्य करता है।

जिले में कई विकासखंड बनाया जाते हैं। इन विकास खंडों के आधार पर ही जिले में विकास कार्य होता है। विकासखंड का सबसे बड़ा अधिकारी जो सरकारी की तरफ से नियुक्त किया जाता है वह खंड विकास अधिकारी होता है जिसे बी.डी.ओ. (BDO) कहते हैं।


जिले की यातयात नियंत्रण व्यवस्था -:

जिले में यातायात नियंत्रण और उससे संबंधित कानूनों के लिए मुख्य सड़क परिवहन अधिकारी (RTO) होता है। आर.टी.ओ. को या शक्ति प्राप्त होती है कि यह चलते हुए रास्ते में भी किसी भी यातायात संबंधित कागजों की जांच और निरीक्षण कर सकता है।

इसके अतिरिक्त कभी-कभी नगर के विभिन्न चौराहों और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में यातायात नियंत्रण का कार्य यातायात पुलिस भी करती है। यातायात पुलिस वाहनों की रफ्तार, प्रदूषण, फिटनेस इत्यादि का ध्यान रखने का कार्य करती है। अगर कोई वाहन इस नियमों को तोड़ता है तो उस पर उचित कार्रवाई की जाती है। उचित कार्रवाई करने का कार्य यातायात पुलिस का होता है।

सड़क पर चलने वाली किसी भी प्रकार के मोटर वाहन के मालिक को यातायात दफ्तर में वाहन का पंजीकरण करवा लेना चाहिए क्योंकि यह बहुत ही आवश्यक होता है। यातायात दफ्तर में वाहन चालक का लाइसेंस माल वाहन लाइसेंस रोड परमिट जैसे कार्य को किया जाता है।

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