आज के इस पोस्ट में जानेंगे कि ओवरलैप तथा ओवररॉल (Over-Lap and Over-Roll) क्या है और और यह वेल्डिंग दोष किन कारणों से उत्पन्न होता है। इस लेख में इस दोष से बचाव के लिए सावधानियां और उपाय की भी जानकारी दी गई है। इन जानकारी को आगे दिया गया है।
ओवरलैप तथा ओवररॉल (Over-Lap and Over-Roll in Hindi) -:
कार्यखण्डों को जोड़ते समय हुए फिलर मेटल जब अधिक मात्रा में पिघलकर बेस मेटल की सतह पर बिना उसको फ्यूज किये उस पर जम जाता है तो इस प्रकार के वेल्डिंग दोष को ओवर लैप तथा ओवर रॉल (Over-Lap and Over-Roll) वेल्डिंग दोष कहते हैं। इस दोष के होने से वेल्ड साइज तो अधिक दिखता है परन्तु उसकी शक्ति में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होती है और फिलर मेटल भी नुकसान हो जाता है।
ओवरलैप तथा ओवररॉल उत्पन्न होने के कारण (Over-Lap and Over-Roll of Causes) -:
ओवरलैप तथा ओवररॉल वेल्डिंग दोष के मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं -
1. वेल्डिंग करते वक्त मोटी इलेक्ट्रोड का प्रयोग करने के कारण यह दोष आ जाता है।
2. वेल्डिंग करते समय जरूरत से ज्यादा विद्युत इस्तेमाल करने के कारण भी यह दोष कार्यखण्ड में उत्पन्न हो जाता है।
3. वेल्डिंग स्पीड का बहुत कम होना भी इस ओवरलैप तथा ओवररॉल वेल्डिंग दोष को बढ़ाता है।
4. कार्यखण्ड के सतह पर जब धातु के ऑक्साइड की परत चढ़ी होती है तो यह वेल्डिंग दोष उपजने लगता है।
5. वेल्डिंग करते समय अच्छी तकनीकी की कमी होना भी इस दोष को बढ़ाने का कार्य करता है।
6. कार्यखण्ड की वेल्डिंग के लिए जब पोजीशन ठीक नही होती है तो Overlap और Overroll दोष आसानी से आ जाते हैं।
ओवरलैप तथा ओवररॉल से बचने की सावधानियाँ/उपाय -:
Overlap और Overroll वेल्डिंग दोष को उत्पन्न होने से रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय और सावधनियों को प्रयोग करनी चाहिए -
1. उचित साइज का इलेक्ट्रोड प्रयोग करने से यह दोष नही होता है।
2. इलेक्ट्रोड को उचित पोजीशन मे रखकर वेल्डिंग करने से आर्क ब्लो पिछली धातु को सम्भाले रखती है।
3. कार्यखण्ड को वेल्डिंग करते समय उसको उचित पोजीशन में रखना चाहिए।
4. किसी भी कार्यखण्ड की वेल्डिंग करते समय उसकी स्पीड उचित होनी चाहिए।
5. शुद्ध वेल्डिंग जोड़ बनाने के वीविंग का उपयोग करना उचित होता है।
6. वेल्डिंग करन्ट को समान मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
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