वेल्डिंग जोड़ के दोष (Defects of Welding Joints in Hindi)
वेल्डिंग किए गए कार्यखंड में जब कोई त्रुटि वेल्डिंग के कारण, वेल्डिंग जोड़ वाले स्थान पर उत्पन्न होती है तो उसे वेल्डिंग दोष कहते हैं। वेल्डिंग दोष कार्यखंड को वेल्ड करते समय भी उत्पन्न हो सकता है और वेल्डिंग पूर्ण होने के बाद कुछ समय पश्चात भी उत्पन्न हो सकता है। वेल्डिंग के खराब होने के कारण जान माल की हानि होती है। इसलिए वेल्डिंग किए गए कार्यखण्ड की गुणवत्ता को जांच परख कर और उसके दोष का पता लगाकर उन्हें दूर किया जाना जरूरी होता है जिससे होने वाले नुकसान से बचा जा सके।
वेल्डिंग दोष के प्रकार (Types of Welding Defects)
वेल्डिंग दोष को दो प्रकार से वर्गीकृत किया गया है -
1. बाह्य या ऊपरी वेल्डिंग दोष (External Welding Defects)
2. अंतः या अंदरूनी वेल्डिंग दोष (Internal Welding Defects)
1. बाह्य या ऊपरी वेल्डिंग दोष (External Welding Defects)
वेल्ड किए गए कार्यखंड में ऐसे दोष जो बाहर से देखने पर या जांच करने पर दिखाई देते हैं उसे बाह्य या ऊपरी वेल्डिंग दोष (External Welding Defects) कहते हैं।
इसके अंतर्गत निम्न प्रकार के वेल्डिंग जोड़ के दोष आते हैं -
१. सतही रन्ध्रता (Surface Porosity)
२. बाह्य दरारें (External Cracks)
३. ऊँची-नीची बीड (Uneven Bead)
४. स्पैटर्स (Spatters)
५. क्रैटर्स (Cratters)
६. किनारा पिघलना (Under Cut)
७. टेढ़े-मेढ़े जोड़ (Distorted Joints)
2. अंतः या अंदरूनी वेल्डिंग दोष (Internal Welding Defects)
वेल्ड किए गए कार्यखंड में ऐसे दोष जो बाहर से देखने पर या जांच करने पर दिखाई नही देते हैं इन दोषों को देखा नही जा सकता है इन्हें अनुभव या जांच करके पता किया जाता है। ऐसे बाह्य या ऊपरी वेल्डिंग दोष (External Welding Defects) कहलाते हैं।
इसके अंतर्गत निम्न प्रकार के वेल्डिंग जोड़ के दोष आते हैं -
१. आन्तरिक रन्ध्रता (Blow Holes or Porosity )
२. आन्तरिक दरारें (Internal Cracks)
३. वेल्ड मेटल में स्लैग (Slag Inclusion)
४. मेटल कम पिघलना (Lack of fusion)
५. पैनीट्रेशन की कमी (Incomplete Penetration)
६. ओवरलैप तथा ओवररोल (Over-lap and Over-roll)
७. कठोर और भंगुर जोड़ (Hard and Brittle Joints)
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