राजकीय शोक (State Mourning) क्या है? अवधि, अवकाश और नियम

जब भी अपने राज्य में राजकीय शोक घोषित किया जाता है तो हमारे मन में यह सवाल जरूर आता है कि Rajkiya Shok Kya Hota Hai व इसमें क्या क्या बन्द होता है तथा राजकीय शोक के क्या नियम होते हैं व कितने दिन का अवकाश व छुटटी होती है, राजकीय शोक कितने दिन का होता है, इत्यादि जैसे सवाल हमारे मन में घूमते रहते हैं।

इन्हीं सवालों के जवाब देने के लिए मैंने इस पोस्ट को लिखा है जिसे आप शुरू से अंतिम तक पढ़ करके अपने लगभग सभी सवाल के जवाब पा सकते हैं


राजकीय शोक (State Mourning in Hindi) -:

जब किसी राज्य में शोक की घोषणा की जाती है तो उसे राजकीय शोक कहते हैं जबकि जब पूरे देश में शोक की घोषणा की जाती है तो उसे राष्ट्रीय शोक कहते हैं। इस समय देश में और देश की बाहर उच्चायोग और भारतीय दूतावास में लगे राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है। विधानसभा, सचिवालय व सरकारी कार्यालय के राष्ट्र ध्वज भी आधे झुके रहते हैं।

कभी भी राजकीय शोक को और राष्ट्रीय शोक तभी घोषित किया जाता है जब किसी बड़े नेता, कलाकार या किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु होती है जिसने राष्ट्र के सम्मान के लिए अपने आपको न्योछावर कर दिया हो और उसने राष्ट्र का नाम ऊंचा किया हो। ऐसे व्यक्तियों के लिए ही राजकीय शोक और राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है।


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राजकीय शोक में कितने दिन की छुटटी या अवकाश -:

केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन के अनुसार सामान्य तौर पर राजकीय शोक के दौरान पहले अवकाश किया जाता था परंतु अब कोई भी सार्वजनिक अवकाश या छुट्टी नहीं की जाती है। पहले छुट्टी होने की संभावना रहती थी परंतु अब सभी सार्वजिनक छुट्टियों को रद्द कर दिया गया।

परंतु अगर राज्य सरकार चाहे तो अपने राज्य में राजकीय शोक के दौरान सार्वजनिक छुट्टी कर सकती है परंतु ऐसा उसे अधिकार नहीं दिया गया है।

राजकीय शोक में अवकाश या छुट्टी या अवकाश की घोषणा होने का नियम तभी होती है जब प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की मृत्यु पद पर रहते हुए हो जाती है परंतु अगर राज्य चाहे तो पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की मृत्यु के लिए भी छुट्टी भी कर सकता है।

जब भी किसी बड़े नेता, कलाकार या किसी ऐसे व्यक्ति का निधन होता है जिसने राष्ट्र का नाम रोशन किया हो उसके लिए राजकीय अवकाश घोषित की जाती है तथा उस समय राजकीय अवकाश के दौरान सार्वजनिक अवकाश भी घोषित कर दिया जाता है।


राजकीय शोक के नियम -:

# राज्य सरकार द्वारा तय किए जाते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है और किसे नहीं देना है।

# राज्य सरकार राज्य हित को देखते हुए राजकीय शोक की घोषणा अलग-अलग अवधि व दिनों के लिए करती है।

# इस समय कोई भी सार्वजनिक अवकाश जरूरी नहीं होता है परंतु राज्य सरकार चाहे तो अवकाश कर सकती है। लेकिन अवकाश घोषित करने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है।

# जब राजकीय शोक घोषित किया जाता है तो उस अवधि में विधानसभा, सचिवालय सहित महत्वपूर्ण कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं।

# राजकीय शोक की अवधि में देश भर में लगे राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है परन्तु राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया जाता है।


राजकीय शोक घोषित करने का अधिकार -:

राजकीय शोक पहले केंद्र सरकार द्वारा किया जाता था परंतु अब राज्य सरकार को भी यह पावर दे दिया गया है जिसके चलते राज्य सरकार भी राजकीय शोक घोषित कर सकती हैं।

राजकीय शोक घोषित करने का अधिकार अब राज्य के पास मौजूद है।


राजकीय शोक के दौरान राज्य व देश में क्या होता है -:

राजकीय शोक में अब कोई भी सार्वजनिक छुट्टी नहीं होती है। जब राज्य में राजकीय शोक घोषित किया जाता है तो उस दौरान विधानसभा, महत्वपूर्ण कार्यालय व सचिवालय में लगे तिरंगे को आधा झुका दिया जाता है।

राजकीय शोक घोषित होने के बाद राज्य मे कोई भी सरकारी कार्यक्रम व औपचारिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं साथ ही साथ कोई भी समारोह और ऑफिशियल एंटरटेनमेंट पर भी रोक लगी रहती है।

राजकीय शोक घोषित होने के बाद देश में या देश के बाहर स्थित सभी उच्चायोग व  भारतीय दूतावास में लगे राष्ट्र ध्वज को आधा झुका दिया जाता है।


राजकीय शोक अवधि -:

राजकीय शोक में राज्य अपनी सुविधा अनुसार राज्य के लोगों को देखते हुए राजकीय शोक घोषित है। राजकीय शोक के दौरान 1, 2, 3 या उससे अधिक दिनों का राजकीय शोक घोषित किया जा सकता है।

राजकीय शोक या राष्ट्रीय शोक घोषित होने की अवधि दोनों अलग-अलग होते हैं। दोनों की अवधि अलग-अलग हो सकते हैं या फिर बराबर भी हो सकते हैं।

कहने का तात्पर्य है अगर राष्ट्रीय शोक 1 दिन के लिए या 2 दिन के लिए होता है तो यह जरूरी नहीं है कि राजकीय शोक भी 1 या 2 दिन के लिए ही हो। राजकीय शोक, राष्ट्रीय शोक की तुलना 1 दिन के लिए हो सकता है या 2 दिन के लिए या शायद 3 दिन के लिए हो सकता हो या उससे भी अधिक समय के लिए राजकीय शोक घोषित किया जा सकता है।

यही प्रक्रिया राष्ट्रीय शोक पर भी लागू होती है वह भी केंद्र सरकार की इच्छाअनुसार राष्ट्र को ध्यान में रखते हुए घोषित किया जा सकता है। राष्ट्र को देखते हुए केंद्र सरकार राष्ट्रीय शोक की घोषणा एक या एक से अधिक दिनों के लिए कर सकती है।

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