भारतेन्दु युग (नवजागरण या पुनर्जागरण काल) -:
भारतेंदु युग को नव जागरण कार्यालय जागरण काल के नाम से भी जानते हैं। भारतेंदु युग में जितने भी रचनाकार हुए उन सभी को अगर देखा जाए तो उनका मूल स्वर नवजागरण ही था।
इस युग को लाने में भारतेंदु हरिश्चंद्र का सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। इनके अतिरिक्त भी अनेक लेखकों ने ऐसी ऐसी रचनायें की, जिसके फलस्वरूप भारतेंदु युग को नवजागरण काल या पुनर्जागरण काल कहा जाने लगा।
भारतेन्दु युग की समय सीमा -:
भारतेंदु युग की अवधि 1850 ई. से 1900 ई. तक मानी जाती है। इसलिए 1850 ई. से 1900 ई. तक की अवधि को भारतेंदु युग कहते हैं।भारतेंदु युग का आरंभ 1850 में हुआ और इसकी समाप्ति सन 1900 में हो गई। भारतेंदु युग की इस अवधि में हिंदी का प्रचार-प्रसार बहुत जोर शोर से हुआ और काफी बदलाव आने लगे।
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भारतेन्दु युग के प्रवर्तक/जनक -:
भारतेंदु हरिश्चंद्र को भारतेंदु युग का प्रवर्तक या जनक माना जाता है। इन्होंने हिंदी की विभिन्न विधाओं में साहित्य का सृजन किया जिसके कारण इनके नाम पर भी भारतेंदु युग का नामकरण हुआ। भारतेंदु हरिश्चंद्र को आधुनिकता का प्रवर्तक साहित्यकार माना जाता है।भारतेन्दु युग के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र |
भारतेन्दु युग के प्रमुख लेखक -:
भारतेंदु युग को नवजागरण कहलाने में निम्न रचनाकारों का बहुत ही बड़ा योगदान है। इनकी रचनाओं ने भारतेंदु युग को नवजागरण काल बना दिया।इसी युग से आधुनिकता का विकास हुआ। भारतेंदु युग के प्रसिद्ध लेखक/रचनाकार निम्न है -
1. प्रताप नारायण मिश्र (1856-1894)
2. राधा चरण गोस्वामी
3. भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1885)
4. ठाकुर जगमोहन सिंह (1857-1899)
5. अंबिकादत्त व्यास (1858-1900)
6. राधाकृष्णदास (1865-1907)
7. बद्रीनारायण चौधरी "प्रेमघन" (1855-1923)
8. श्रीनिवासदास
9. सीताराम
10. सुधाकर द्विवेदी
11. राय देवी
12. बालमुकुंद गुप्त
13. बालकृष्ण भट्ट
भारतेन्दु युग की पत्रिका -:
भारतेंदु युग में ऐसी बहुत सी पत्रिकाएं आयी जिनके, संपादन से हिंदी भाषा का विकास अपने चरम पर पहुंच गया।भारतेंदु युग के प्रमुख पत्रिकाओं में कविवचन सुधा, हरिश्चन्द्र मैगजीन (1873 ई.), हरिश्चन्द्र चन्द्रिका, बालाबोधिनी (1874 ई.) एवं हिन्दी प्रदीप, उदन्त मार्तण्ड जैसी महत्वपूर्ण पत्रिकाएं शामिल हैं। इन पत्रिका का उदय भारतेंदु युग में हुआ था।
भारतेन्दु युग की प्रमुख विशेषताएं -:
1) इस समय के कवियों में राष्ट्रीयता की भावना और देशप्रेम कूट-कूट कर भरा था।2) इस काल के कवियों ने पश्चिमी सभ्यता और अंधविश्वास जैसे तथ्यों पर बहुत ही हास्य व्यंग किया।
3)भारतेंदु युग के कवियों ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर काफी जोर दिया और इसे अपनाने के लिए अपनी कविताओं के माध्यम से आग्रह किया।
4) भारतेंदु युग की कविताओं में प्राकृतिक चित्रण का विवरण मिलता है।
5) भारतेंदु युग के लेखकों और कवियों द्वारा अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार प्रसार और अंग्रेजी भाषा का विरोध किया गया है।